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जलकुम्भी की आगोश में रत्न सागर तालाब, अधिकारी नहीं दे रहे ध्यान

आगर मालवा के रत्नसागर तालाब में जलकुम्भी की भरमार है. जिसके चलते जलस्तर गिरता जा रहा है. प्रशासन को इसकी जानकारी होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.

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Published : Jul 30, 2020, 1:30 PM IST

Hyacinth swallowing the whole pond
तालाब को निगल रही जलकुंम्भी

आगर मालवा। शहर की ऐतिहासिक धरोहर रत्नसागर तालाब की इन दिनों काफी दुर्दशा हो रही है, थोड़े से क्षेत्र में फैली जलकुम्भी धीरे-धीरे पूरे तालाब में फैलती जा रही है. इसके बावजूद नगर पालिका के जिम्मेदार अधिकारी इस तालाब की सुध नहीं ले रहे हैं. जलकुम्भी के चलते इस तालाब का जलस्तर तेजी से कम होता जा रहा है.

शहर के मध्य स्थित ये तालाब वर्षों पुराना है. इस तालाब की देखरेख को लेकर नगर पालिका का रवैया काफी उदासीन है. जलकुम्भी इस तालाब को पूरी तरह अपनी आगोश में ले लिया है. वर्तमान में ये तालाब किसी खेल मैदान जैसा दिखता है. इस मामले को लेकर नगर निगम के अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक अवगत हैं, इसके बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.

बीते साल पूरे तालाब में जलकुम्भी फैल गई थी, तब नगर पालिका ने जलकुम्भी हटाने के लिए करीब 30 लाख रुपए का ठेका दिया था. इसके बावजूद लापरवाह ठेकेदार ने पूरे तालाब से जलकुम्भी नहीं हटाई थी. जिसके कारण उस समय मांझी समाज के लोगों ने श्रमदान करते हुए जलकुम्भी हटाई थी. हालांकि, उस समय कुछ जगह जलकुम्भी शेष होने के कारण अब दोबारा ये जलकुम्भी पूरे तालाब में फैल गई है.

आगर मालवा। शहर की ऐतिहासिक धरोहर रत्नसागर तालाब की इन दिनों काफी दुर्दशा हो रही है, थोड़े से क्षेत्र में फैली जलकुम्भी धीरे-धीरे पूरे तालाब में फैलती जा रही है. इसके बावजूद नगर पालिका के जिम्मेदार अधिकारी इस तालाब की सुध नहीं ले रहे हैं. जलकुम्भी के चलते इस तालाब का जलस्तर तेजी से कम होता जा रहा है.

शहर के मध्य स्थित ये तालाब वर्षों पुराना है. इस तालाब की देखरेख को लेकर नगर पालिका का रवैया काफी उदासीन है. जलकुम्भी इस तालाब को पूरी तरह अपनी आगोश में ले लिया है. वर्तमान में ये तालाब किसी खेल मैदान जैसा दिखता है. इस मामले को लेकर नगर निगम के अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक अवगत हैं, इसके बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.

बीते साल पूरे तालाब में जलकुम्भी फैल गई थी, तब नगर पालिका ने जलकुम्भी हटाने के लिए करीब 30 लाख रुपए का ठेका दिया था. इसके बावजूद लापरवाह ठेकेदार ने पूरे तालाब से जलकुम्भी नहीं हटाई थी. जिसके कारण उस समय मांझी समाज के लोगों ने श्रमदान करते हुए जलकुम्भी हटाई थी. हालांकि, उस समय कुछ जगह जलकुम्भी शेष होने के कारण अब दोबारा ये जलकुम्भी पूरे तालाब में फैल गई है.

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