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शासकीय स्कूल में बच्चों को नहीं मिल रहा मिड डे मील, घर से लाते हैं खाना

आगर मालवा के शासकीय स्कूल में बच्चों को मिड डे मील नहीं मिल रहा है, जिसके चलते बच्चों को घर से खाना लाना पड़ रहा है.

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नहीं मिल रहा बच्चों को मध्यान भोजन घर से ला रहे खाना
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Published : Nov 30, 2019, 12:36 AM IST

आगर मालवा। शासकीय स्कूल में बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है, लेकिन अफसर और कर्मचारी पलीता लगा रहे हैं. ऐसा ही कुछ छावनी स्थित शासकीय स्कूल में देखने को मिला जहां पिछले कई दिनों से बच्चों को मिड डे मील नही मिल रहा है. मजबूरी में बच्चों को खाना घर से लाना पड़ रहा है.

नहीं मिल रहा बच्चों को मध्यान भोजन घर से ला रहे खाना

स्कूल में कुल 91 छात्राएं हैं, जिन्हे पढ़ाने के लिए 5 शिक्षिकाएं पदस्थ हैं. बताया जा रहा है कि शिक्षिकाओं में आपसी तालमेल नहीं है, जिसकी वजह से बच्चों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. मामले में शिक्षिकाओं से बात की गई तो वो बहना बनाती नजर आईं. किसी ने कहा गैस खत्म हो गई है तो किसी ने कहा प्रभारी के नहीं होने की वजह से खाना नहीं बन पा रहा है.

स्कूली छात्राओं ने बताया कि चार दिन से मिड डे मील उन्हें नही मिला है, घर से खाना लेकर आना पड़ रहा है. मैडम से पूछा तो उन्होंने कहा गैस खत्म हो गई है, खाना नहीं बन पाएगा.
बीआरसी गिरिराज बंशीया से बात की गई तो उन्होंने बताया कि गैस आधे घंटे में आ जाती है, लेकिन स्कूल में कोई भी जिम्मेदारी संभालने को तैयार नहीं है, उन्होंने चेकिंग करवाने की बात कही है.

आगर मालवा। शासकीय स्कूल में बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है, लेकिन अफसर और कर्मचारी पलीता लगा रहे हैं. ऐसा ही कुछ छावनी स्थित शासकीय स्कूल में देखने को मिला जहां पिछले कई दिनों से बच्चों को मिड डे मील नही मिल रहा है. मजबूरी में बच्चों को खाना घर से लाना पड़ रहा है.

नहीं मिल रहा बच्चों को मध्यान भोजन घर से ला रहे खाना

स्कूल में कुल 91 छात्राएं हैं, जिन्हे पढ़ाने के लिए 5 शिक्षिकाएं पदस्थ हैं. बताया जा रहा है कि शिक्षिकाओं में आपसी तालमेल नहीं है, जिसकी वजह से बच्चों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. मामले में शिक्षिकाओं से बात की गई तो वो बहना बनाती नजर आईं. किसी ने कहा गैस खत्म हो गई है तो किसी ने कहा प्रभारी के नहीं होने की वजह से खाना नहीं बन पा रहा है.

स्कूली छात्राओं ने बताया कि चार दिन से मिड डे मील उन्हें नही मिला है, घर से खाना लेकर आना पड़ रहा है. मैडम से पूछा तो उन्होंने कहा गैस खत्म हो गई है, खाना नहीं बन पाएगा.
बीआरसी गिरिराज बंशीया से बात की गई तो उन्होंने बताया कि गैस आधे घंटे में आ जाती है, लेकिन स्कूल में कोई भी जिम्मेदारी संभालने को तैयार नहीं है, उन्होंने चेकिंग करवाने की बात कही है.

Intro:आगर मालवा
-- शासकीय स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार चाहे कितनी ही योजनाएं क्यों न लाती हो लेकिन धरातल पर जिम्मेदार इन योजनाओं को पलीता लगाने में कोई कसर नही छोड़ते। सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में निचले स्तर के कर्मचारी किस प्रकार ढिलाई बरतते है कुछ इसी प्रकार की स्थिति शहर के छावनी स्थित शासकीय बालिका प्राथमिक विद्यालय में दिखाई दी। यहां बच्चों को पिछले 4-5 दिनों से मध्यान भोजन नही मिल रहा है ऐसे में मजबूरीवश बच्चो अपने घर से खाने का टिफिन लेकर आना पड़ रहा है। इस प्रकार की स्थिति निर्मित होने के पीछे स्कूल के शिक्षक बेतुके जवाब दे रहे है लेकिन बच्चों की मध्यान भोजन की परेशानी दूर करने के लिए कोई काम नही किया जा रहा है।


Body:बता दे कि इस विद्यालय में कुल 91 छात्राएं अध्ययनरत है वही छात्राओं को पढ़ाने के लिए 5 शिक्षिकाएं पदस्थ है। इन शिक्षिकाओं में आपसी समन्वय न होने के कारण बच्चों को सरकारी सुविधाएं नही मिल पा रही है। पिछले 4-5 दिनों से छात्राओं को मध्यान भोजन नही मिल पाया है। शिक्षिकाएं खुलकर कुछ भी नही बता पाई किसी ने कहा कि गैस टंकी खत्म हो गई तो कोई स्कूल प्रभारी न होने के कारण खाना नही बन पाने का हवाला देती रही जबकि गैस टंकी में आने में एक घण्टे का समय भी नही लगता है ऐसे 4 दिन तक गैस टंकी का न आना समझ से परे है।


Conclusion:स्कूली छात्राओं ने बताया कि चार दिन से मध्यान भोजन नही मिला है घर से खाना लेकर आना पड़ रहा है मैडम से पूछते है तो कहा जाता है कि गैस टंकी खत्म हो गई है वही रसोईया का भी कहना है कि टंकी खत्म होने के कारण खाना नही बन पा रहा है।
जब इस संबंध में बीआरसी गिरिराज बंशीया से बात की गई तो उन्होंने बताया कि गैस टंकी तो आधे घंटे में आ जाती है दरअसल वहाँ पर इस काम के लिए कोई प्रभार संभालने के तैयार नही है। वही बच्चों को खाना नही मिल रहा है तो हमारे द्वारा वहां जाकर निरीक्षण किया जाएगा।
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