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सर्वपितृ अमावस्या पर पिंडदान, बड़ी संख्या में श्रद्धालु रहे मौजूद

जिलें में प्रज्ञा कुंज आमला के द्बारा तर्पण का कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसमें सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे.

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Published : Sep 29, 2019, 11:41 AM IST

Updated : Sep 29, 2019, 12:01 PM IST

तर्पण का आयोजन

आगर मालवा। सर्वपितृ अमावस्या के मौके पर गायत्री परिवार के द्वारा प्रज्ञा कुंजा आमला में सामूहिक रूप से तर्पण व पिंडदान किया गया. इस मौके पर गायत्री परिजन बड़ी संख्या में मौजूद रहे. कार्यक्रम में उपस्थित सभी ब्राह्मणों को भोजन करवाया गया.

तर्पण का आयोजन
गौरतलब है कि हिन्दू धर्म में श्राद्ध और पूजा का बड़ा महत्व है. इस दौरान लोग अपने पूर्वजों के नाम पर पूजा-अर्चना कर उनका श्राद्ध करवाते हैं, ताकि उन्हें मुक्ति मिल सके. किंतु इस बार सर्वपितृ अमावस्या शनिवार को होने से इसका और भी महत्व बढ़ जाता है. इसे शनिश्चरी अमावस्या कहा जाता है.

प्रज्ञा कुंज आमला में हर माह की पूर्णिमा पर होते है 16 संस्कार
गायत्री परिवार द्वारा प्रज्ञा कुंज आमला में प्रत्येक माह की पूर्णिमा को सोलह संस्कारों की क्रियाएं कराई जाती है .मणि शंकर चौधरी के अनुसार नामकरण, विद्यारंभ सहित सभी संस्कार करवाए जाते हैं. पिछले 2 सालों के दौरान सैकड़ों लोग इसका लाभ ले चुके हैं. इसके अतिरिक्त मकर सक्रांति का पर्व मुख्य रूप से मानया जाता है जिसमें 24 गांवों के हजारों लोग शामिल होते हैं.
गायत्री परिवार के प्रमुख ट्रस्टी मणि शंकर चौधरी ने बताया कि श्राद्ध तर्पण के इस कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 2013 में 11 लोगों द्वारा की गई थी अब करीब 500 लोगों ने शामिल होकर के अर्पण का कार्यक्रम किया है. इस कार्यक्रम में पांच प्रकार का तर्पण किया जाता है.

आगर मालवा। सर्वपितृ अमावस्या के मौके पर गायत्री परिवार के द्वारा प्रज्ञा कुंजा आमला में सामूहिक रूप से तर्पण व पिंडदान किया गया. इस मौके पर गायत्री परिजन बड़ी संख्या में मौजूद रहे. कार्यक्रम में उपस्थित सभी ब्राह्मणों को भोजन करवाया गया.

तर्पण का आयोजन
गौरतलब है कि हिन्दू धर्म में श्राद्ध और पूजा का बड़ा महत्व है. इस दौरान लोग अपने पूर्वजों के नाम पर पूजा-अर्चना कर उनका श्राद्ध करवाते हैं, ताकि उन्हें मुक्ति मिल सके. किंतु इस बार सर्वपितृ अमावस्या शनिवार को होने से इसका और भी महत्व बढ़ जाता है. इसे शनिश्चरी अमावस्या कहा जाता है.

प्रज्ञा कुंज आमला में हर माह की पूर्णिमा पर होते है 16 संस्कार
गायत्री परिवार द्वारा प्रज्ञा कुंज आमला में प्रत्येक माह की पूर्णिमा को सोलह संस्कारों की क्रियाएं कराई जाती है .मणि शंकर चौधरी के अनुसार नामकरण, विद्यारंभ सहित सभी संस्कार करवाए जाते हैं. पिछले 2 सालों के दौरान सैकड़ों लोग इसका लाभ ले चुके हैं. इसके अतिरिक्त मकर सक्रांति का पर्व मुख्य रूप से मानया जाता है जिसमें 24 गांवों के हजारों लोग शामिल होते हैं.
गायत्री परिवार के प्रमुख ट्रस्टी मणि शंकर चौधरी ने बताया कि श्राद्ध तर्पण के इस कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 2013 में 11 लोगों द्वारा की गई थी अब करीब 500 लोगों ने शामिल होकर के अर्पण का कार्यक्रम किया है. इस कार्यक्रम में पांच प्रकार का तर्पण किया जाता है.

Intro:आगर मालवा। सर्वपितृअमावस्या के अवसर पर गायत्री परिवार के द्वारा प्रज्ञा कुंजा आमला में सामूहिक रूप से महापुरुषों, ऋषियों- मुनियों और मृत आत्माओं का तर्पण व पिंडदान किया गया। बड़ी संख्या में गायत्री परिजनों ने शामिल होकर भारतीय परम्परा का निर्वहन करते हुवे वैदिक मंत्रों उच्चार के साथ पूरे विधि विधान से तर्पण किया है।Body:सनातन हिन्दू धर्म में श्राद्ध और पूजा का बड़ा महत्व है। इस दौरान लोग अपने पूर्वजों के नाम पर पूजा-अर्चना कर उनका श्राद्ध करवाते हैं, ताकि उन्हें मुक्ति मिल सके। किंतु इस बार सर्वपितृ अमावस्या शनिवार को होने से इसका और भी महत्व बढ़ जाता है. इसे शनिश्चरी अमावस्या कहा जाता है. इस मौके पर प्रज्ञकुंज आमला में गायत्री परिवार ने भूले भटके पूर्वजों के साथ महापुरुषों, ऋषि- मुनियों को याद कर उनका पिंडदान किया और ब्राह्मणों को भोजन करवाया।

प्रज्ञा कुंज आमला में हर माह की पूर्णिमा पर होते है 16 संस्कार

गायत्री परिवार द्वारा प्रज्ञा कुंज आमला में प्रत्येक माह की पूर्णिमा को निशुल्क सोलह संस्कारों की क्रियाएं कराई जाती है इसमें पुंसवन संस्कार के साथ अन्य सभी संस्कार होते हैं मणि शंकर चौधरी के अनुसार गर्भधारण के 3 माह बाद पुंसवन संस्कार होता है इसी के साथ नामकरण विद्यारंभ सहित सभी संस्कार करवाए जाते हैं पिछले 2 सालों के दौरान सैकड़ों लोग इसका लाभ ले चुके हैं इसके अतिरिक्त मकर सक्रांति का पर्व मुख्य रूप से माना जाता है जिसमें 24 गांवों के हजारों लोग शामिल होते हैं
Conclusion:बता दे कि गणेशोत्सव के बाद 15 दिन तक चलने वाले पितृपक्ष के दौरान सुबह से पितरों को तर्पण करने और पिंडदान करने की परंपरा सदियों से भारत भूमि पर चलती आ रही है. इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए हर साल इस पक्ष के दौरान हजारों लोग अपने पितरों का तर्पण करते हैं

गायत्री परिवार के प्रमुख ट्रस्टी मणि शंकर चौधरी ने बताया कि श्राद्ध तर्पण के इस कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 2013 में 11 लोगों द्वारा की गई थी दूसरे वर्ष से यह संख्या 50 तीसरे वर्ष 300 के करीब पहुंच गई इस वर्ष करीब 500 लोगों ने शामिल होकर के छात्र अर्पण का कार्यक्रम किया है। यह कार्यक्रम डेढ़ डेढ़ घंटे के दो चरणों में पूरा होता है इस कार्यक्रम में पांच प्रकार का तर्पण किया जाता है इसमें ऋषि मुनियों महापुरुषों सामान्य मनुष्य प्रकृति व अकाल मृत्यु वाली ऐसी मृत आत्मा है जिनका परिवार नहीं होता उनके लिए तर्पण किया जाता है कार्यक्रम के दौरान समस्त पूजन सामग्री व भोजन व्यवस्था आश्रम की तरफ से ही की जाती है आयोजन सादगी से होता है और इसमें सभी शामिल होते हैं

विजुअल- प्रज्ञकुंज आमला में आयोजित तर्पण कार्यक्रम का
बाइट- मणिशंकर चौधरी, प्रमुख ट्रष्टि, प्रज्ञाकुंज आमला।


Last Updated : Sep 29, 2019, 12:01 PM IST
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