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गेहूं बेचने के लिए पूरी रात सड़क पर बिता रहे किसान, खरीदी केन्द्रों पर लगी लंबी कतार - समर्थन मुल्य

आगर के सुसनेर में गुरुवार की रात 12 बजे से ही किसान गेहूं लेकर प्राथमिक सहकारी संस्था के खरीदी केन्द्र पहुंच गए.

farmers are rushing wheat procurement centre to sell their produce in agar
समर्थन मुल्य पर गेहूं बेचने देर रात से लग रही वाहनों की कतार
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Published : Apr 24, 2020, 4:21 PM IST

आगर। जिले के सुसनेर में समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी की जा रही है. पहले 6 किसानों को मैसेज किये जा रहे थे, जिसकी संख्या बढाकर 30 कर दी गई है. इसी वजह से खरीदी केन्द्रों के बाहर देर रात से किसान उपज लेकर बेचने के लिए पहुंच रहे हैं. खरीदी केन्द्रों के बाहर मध्यरात्रि से वाहनों की कतार लगनी शुरू हो जाती है, जो अलगे दिन की दोपहर तक जारी रहती है.

गुरूवार रात्रि 12 बजे से ही कुछ किसान कृषि उपज मंडी में बनाए गए प्राथमिक सहकारी संस्था के खरीदी केन्द्र के बाहर उपज लेकर पहुंच गए. इन्होंने पूरी रात सड़क किनारे खड़े टैक्टरों पर ही बिताई. उधर शुक्रवार की सुबह वाहनों की ये कतार लंबी होती गई, हालात ये बने कि तहसील रोड पर मंडी के दूसरे द्वार से शुरू हुई वाहनों की ये कतार इंदौर-कोटा राजमार्ग पर मंडी के प्रवेश द्वार तक आ पहुंची.

प्राथमिक सहकारी संस्था के प्रबंधक राणा छत्रपाल सिंह के अनुसार सरकार के निर्णयानुसार खरीदी की जा रही है. मैसेज की संख्या बढा दिये जाने से संस्था और किसान दोनों को ही परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

आगर। जिले के सुसनेर में समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी की जा रही है. पहले 6 किसानों को मैसेज किये जा रहे थे, जिसकी संख्या बढाकर 30 कर दी गई है. इसी वजह से खरीदी केन्द्रों के बाहर देर रात से किसान उपज लेकर बेचने के लिए पहुंच रहे हैं. खरीदी केन्द्रों के बाहर मध्यरात्रि से वाहनों की कतार लगनी शुरू हो जाती है, जो अलगे दिन की दोपहर तक जारी रहती है.

गुरूवार रात्रि 12 बजे से ही कुछ किसान कृषि उपज मंडी में बनाए गए प्राथमिक सहकारी संस्था के खरीदी केन्द्र के बाहर उपज लेकर पहुंच गए. इन्होंने पूरी रात सड़क किनारे खड़े टैक्टरों पर ही बिताई. उधर शुक्रवार की सुबह वाहनों की ये कतार लंबी होती गई, हालात ये बने कि तहसील रोड पर मंडी के दूसरे द्वार से शुरू हुई वाहनों की ये कतार इंदौर-कोटा राजमार्ग पर मंडी के प्रवेश द्वार तक आ पहुंची.

प्राथमिक सहकारी संस्था के प्रबंधक राणा छत्रपाल सिंह के अनुसार सरकार के निर्णयानुसार खरीदी की जा रही है. मैसेज की संख्या बढा दिये जाने से संस्था और किसान दोनों को ही परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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