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Dev Diwali 2022: देव दीपावली मनाने के लिए आज स्वर्ग से उतरेंगे देवता, जानिए शुभ मुहूर्त, कथा और पूजा विधि

देव दीपावली उत्तर प्रदेश में मनाया जाने वाला प्रसिद्ध त्यौहार है. इसी तिथि को भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध कर देवतों को इस राक्षस के आतंक एवं भय से मुक्त किया था. इसी विजय की खुशी में, देवलोक से सभी देवी-देव गण पवित्र वाराणसी नगरी में इस उत्सव को मानने हेतु पधारते हैं.इसलिए आगंतुक देवी-देवों के सम्मान में कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को काशी में बहुत साज-सज्जा की जाती है. गंगा घाटों एवं मंदिरों को सजाकर वहां दीपक जला कर दीपावली मनाई जाती है. इसी कारण यह त्यौहार जान मानस के बीच देव दिवाली के नाम से प्रसिद्ध है. (Dev Diwali Shubh Muhurat 2022)(Dev Diwali 2022) (Dev Diwali 2022 Date)(Dev Deepawali 2022)(Dev Diwali katha) (Dev Diwali significance)(Importance of festival of Dev Diwali) (Dev Diwali Puja Vidhi)

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Published : Nov 7, 2022, 7:54 AM IST

Dev Diwali 2022: सनातन धर्म में दिवाली के ही समान देव दिवाली (Dev Diwali) का पर्व भी मनाया जाता है. दीपावली का यह छोटा संस्करण, देव दिवाली, दिवाली के वास्तविक त्योहार के बाद आने वाली पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस बार 7 नवंबर को देव दिवाली मनाई जाती है, इसे त्रिपुरोत्सव अथवा त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है. देव दीपावली हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक महीने में आती है. इसके अलावा, कार्तिक पूर्णिमा (पूर्णिमा दिवस) भारत के प्रमुख हिस्सों में मनाया जाता है. देव दीपावली के मौके पर न सिर्फ बच्चे बल्कि बड़े भी पटाखे फोड़कर जश्न में शामिल होते हैं. कुछ प्राचीन मिथक बताते हैं कि देव दीपावली के इस शुभ दिन को मनाने के लिए देवी-देवता भी स्वर्ग से उतरते हैं. (Importance of festival of Dev Diwali) (Dev Diwali significance)

देव दिवाली की पौराणिक कहानी: शिव पुराण में उल्लेख किया गया है कि त्रिपुरासुर (तारकासुर का पुत्र) नामक एक राक्षस पृथ्वी पर मनुष्यों के साथ-साथ स्वर्ग में रहने वाले देवताओं पर भी अत्याचार कर रहा था. त्रिपुरासुर ने सफलतापूर्वक पूरी दुनिया को जीत लिया और तपस्या के बल पर वरदान प्राप्त किया कि उसके बनाए गए तीन नगरों को जब एक ही बाण से भेद दिया जाए तभी उसका अंत होगा. इन तीन नगरों को ‘त्रिपुरा’ नाम दिया गया. राक्षसों के इस क्रूर कृत्य से दुखी देवताओं ने भगवान शिव से मनुष्य तथा देवताओं की रक्षा करने की प्रार्थना की. उनकी प्रार्थना पर भगवान शिव ने क्रोध स्वरूप धारण किया और त्रिपुरासुर को मारने के लिए सज्ज हो गए. कार्तिक पूर्णिमा के शुभ दिन, भगवान शिव ने त्रिपुरासुर के अस्तित्व को समाप्त कर दिया और एक ही तीर से उनके तीन नगरों को भी नष्ट कर दिया. इसी जीत का स्मरण करने के लिए स्वर्ग के देवी-देवता इस दिन को देव दीवाली के रूप में मनाते हैं. वर्तमान में इसे देव दिवाली या छोटी दीपावली के नाम से जाना जाता है. (Dev Diwali katha)

कैसे मनाया जाता है यह त्यौहार: देव दीवाली का पर्व दीपावली के बाद आने वाली पूर्णिमा को मनाया जाता है. दीवाली के ही समान इस दिन भी लोग पूजा करते हैं, घरों के बाहर दीपक जलाते हैं और गंगा किनारे मिट्टी के दीए जलाए जाते हैं.इस दिन का विशेष महत्व होने के कारण भक्त श्रद्धालुजन इस दिन पवित्र नदियों में स्नान भी करते हैं. हजारों भक्त कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा नदी में स्नान करने के लिए वाराणसी पहुंचते हैं. देव दिवाली प्रबोधिनी एकादशी (कार्तिक महीने के 11 वें दिन) से शुरू होती है, और यह कार्तिक पूर्णिमा पर समाप्त होती है. इस दौरान गंगा नदी के घाट पर शाम की आरती की जाती है. आरती के साथ-साथ भारत के हर शहर और गलियों को रंग-बिरंगी रोशनी और छोटे-छोटे दीयों से सजाया जाता है.हर जगह रंगीन दृश्य देखने के लिए कई आगंतुक और भक्त देव दिवाली के दौरान भारत आते हैं. धार्मिक कर्मकांडों का पालन करते हुए, लोग पास के एक मंदिर में जाकर भगवान और देवी को याद करते हैं. वे सर्वशक्तिमान ईश्वर से अपने लिए आशीर्वाद भी मांगते हैं.(Dev Diwali Puja Vidhi)

Dev Deepawali: दीप दान से मिलेगी सुख-समृद्धि, कार्तिक पूर्णिमा पर होती है भगवान शिव विष्णु-लक्ष्मी और भीष्म पितामह की पूजा

देव दीपावली 2022 शुभ मुहूर्त: (Dev Diwali Shubh Muhurat 2022)
कार्तिक शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ: 07 नवंबर 2022, शाम 4 बजकर 15 मिनट से.
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 08 नवंबर 2022, शाम 4 बजकर 31 मिनट पर.
देव दीपावली पूजा मुहूर्त: 08 नवंबर 2022, शाम 05:14 से 07:49 तक.

देव दीपावली पर करें दीप दान: देव दीपावली पर पवित्र नदी में स्नान और दीप दान करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है. इस दिन नदी के किनारे दीप दान करने की परंपरा है. पौराणिक किवदंतियों के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान शिव ने दैत्य त्रिपुरासुर का वध किया था. इस क्रम में भगवान शिव के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए बड़े स्तर पर देव दीपावली उत्सव मनाया जाता है.

Dev Diwali 2022: सनातन धर्म में दिवाली के ही समान देव दिवाली (Dev Diwali) का पर्व भी मनाया जाता है. दीपावली का यह छोटा संस्करण, देव दिवाली, दिवाली के वास्तविक त्योहार के बाद आने वाली पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस बार 7 नवंबर को देव दिवाली मनाई जाती है, इसे त्रिपुरोत्सव अथवा त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है. देव दीपावली हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक महीने में आती है. इसके अलावा, कार्तिक पूर्णिमा (पूर्णिमा दिवस) भारत के प्रमुख हिस्सों में मनाया जाता है. देव दीपावली के मौके पर न सिर्फ बच्चे बल्कि बड़े भी पटाखे फोड़कर जश्न में शामिल होते हैं. कुछ प्राचीन मिथक बताते हैं कि देव दीपावली के इस शुभ दिन को मनाने के लिए देवी-देवता भी स्वर्ग से उतरते हैं. (Importance of festival of Dev Diwali) (Dev Diwali significance)

देव दिवाली की पौराणिक कहानी: शिव पुराण में उल्लेख किया गया है कि त्रिपुरासुर (तारकासुर का पुत्र) नामक एक राक्षस पृथ्वी पर मनुष्यों के साथ-साथ स्वर्ग में रहने वाले देवताओं पर भी अत्याचार कर रहा था. त्रिपुरासुर ने सफलतापूर्वक पूरी दुनिया को जीत लिया और तपस्या के बल पर वरदान प्राप्त किया कि उसके बनाए गए तीन नगरों को जब एक ही बाण से भेद दिया जाए तभी उसका अंत होगा. इन तीन नगरों को ‘त्रिपुरा’ नाम दिया गया. राक्षसों के इस क्रूर कृत्य से दुखी देवताओं ने भगवान शिव से मनुष्य तथा देवताओं की रक्षा करने की प्रार्थना की. उनकी प्रार्थना पर भगवान शिव ने क्रोध स्वरूप धारण किया और त्रिपुरासुर को मारने के लिए सज्ज हो गए. कार्तिक पूर्णिमा के शुभ दिन, भगवान शिव ने त्रिपुरासुर के अस्तित्व को समाप्त कर दिया और एक ही तीर से उनके तीन नगरों को भी नष्ट कर दिया. इसी जीत का स्मरण करने के लिए स्वर्ग के देवी-देवता इस दिन को देव दीवाली के रूप में मनाते हैं. वर्तमान में इसे देव दिवाली या छोटी दीपावली के नाम से जाना जाता है. (Dev Diwali katha)

कैसे मनाया जाता है यह त्यौहार: देव दीवाली का पर्व दीपावली के बाद आने वाली पूर्णिमा को मनाया जाता है. दीवाली के ही समान इस दिन भी लोग पूजा करते हैं, घरों के बाहर दीपक जलाते हैं और गंगा किनारे मिट्टी के दीए जलाए जाते हैं.इस दिन का विशेष महत्व होने के कारण भक्त श्रद्धालुजन इस दिन पवित्र नदियों में स्नान भी करते हैं. हजारों भक्त कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा नदी में स्नान करने के लिए वाराणसी पहुंचते हैं. देव दिवाली प्रबोधिनी एकादशी (कार्तिक महीने के 11 वें दिन) से शुरू होती है, और यह कार्तिक पूर्णिमा पर समाप्त होती है. इस दौरान गंगा नदी के घाट पर शाम की आरती की जाती है. आरती के साथ-साथ भारत के हर शहर और गलियों को रंग-बिरंगी रोशनी और छोटे-छोटे दीयों से सजाया जाता है.हर जगह रंगीन दृश्य देखने के लिए कई आगंतुक और भक्त देव दिवाली के दौरान भारत आते हैं. धार्मिक कर्मकांडों का पालन करते हुए, लोग पास के एक मंदिर में जाकर भगवान और देवी को याद करते हैं. वे सर्वशक्तिमान ईश्वर से अपने लिए आशीर्वाद भी मांगते हैं.(Dev Diwali Puja Vidhi)

Dev Deepawali: दीप दान से मिलेगी सुख-समृद्धि, कार्तिक पूर्णिमा पर होती है भगवान शिव विष्णु-लक्ष्मी और भीष्म पितामह की पूजा

देव दीपावली 2022 शुभ मुहूर्त: (Dev Diwali Shubh Muhurat 2022)
कार्तिक शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ: 07 नवंबर 2022, शाम 4 बजकर 15 मिनट से.
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 08 नवंबर 2022, शाम 4 बजकर 31 मिनट पर.
देव दीपावली पूजा मुहूर्त: 08 नवंबर 2022, शाम 05:14 से 07:49 तक.

देव दीपावली पर करें दीप दान: देव दीपावली पर पवित्र नदी में स्नान और दीप दान करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है. इस दिन नदी के किनारे दीप दान करने की परंपरा है. पौराणिक किवदंतियों के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान शिव ने दैत्य त्रिपुरासुर का वध किया था. इस क्रम में भगवान शिव के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए बड़े स्तर पर देव दीपावली उत्सव मनाया जाता है.

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