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इंदौर-कोटा राजमार्ग में मौत के गड्ढे, हर रोज होते हैं हादसे - सांकेतिक बोर्ड

इंदौर-कोटा राजमार्ग पर उज्जैन से चंवली के बीच सड़क की हालत बत से बदतर है, जिसके चलते कई लोग हादसे के शिकार हो रहे हैं. इसके बाद भी प्रशासन सड़क की स्थिति सुधारने पर ध्यान नहीं दे रहा है.

इंदौर-कोटा राजमार्ग में मौत के गड्ढे
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Published : Oct 12, 2019, 2:13 PM IST

Updated : Oct 12, 2019, 3:11 PM IST

आगर। सरकार अच्छी सड़कों के भले ही कितने वादे करे लेकिन राष्ट्रीय राजमार्गों की हालत बद से बदतर है. जिसके चलते यहां पर रोज दुर्घटनाएं हो रही हैं. बावजूद इसके प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रहा है. हालत यह है कि इंदौर-कोटा राजमार्ग पर उज्जैन से चंवली के बीच ही लोगों की रोजाना मौत हो रही है. ऐसे में वाहन चालको को जान हथेली पर रखकर सफर तय करने को मजबूर हैं

इंदौर-कोटा राजमार्ग में मौत के गड्ढे

राष्ट्रीय राजमार्ग का करीब 90 किलोमीटर का हिस्सा आगर जिलें से होकर गुजरता है. जिसकी हालत ये है कि कई जगहों पर दो-दो फीट गहरे गड्ढे हो चुके हैं. वहीं इस मार्ग पर बनी पुलिया भी क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं, जो दुर्घटनाओं का कारण बन रहीं हैं. इसके अलावा पूरी सड़क पर कही भी सड़क पर कोई सांकेतिक बोर्ड भी नहीं लगा है. जिसके चलते मार्ग पर चलने वाले लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

राजमार्ग पर हो रहे गड्ढो को भरने के लिए शासन ने विज्ञप्ति जारी कर 19 करोड़ रूपये की राशि जारी की थी लेकिन वह भ्रष्टाचार की भेंट चढ गया. सड़क पर सिवाय गिट्टी कंकर-पत्थर के कुछ नहीं मिलता. जबकि जिम्मेदार सड़क की इस स्थिति को अतिवृष्टि का कारण बताकर पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं.

आगर। सरकार अच्छी सड़कों के भले ही कितने वादे करे लेकिन राष्ट्रीय राजमार्गों की हालत बद से बदतर है. जिसके चलते यहां पर रोज दुर्घटनाएं हो रही हैं. बावजूद इसके प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रहा है. हालत यह है कि इंदौर-कोटा राजमार्ग पर उज्जैन से चंवली के बीच ही लोगों की रोजाना मौत हो रही है. ऐसे में वाहन चालको को जान हथेली पर रखकर सफर तय करने को मजबूर हैं

इंदौर-कोटा राजमार्ग में मौत के गड्ढे

राष्ट्रीय राजमार्ग का करीब 90 किलोमीटर का हिस्सा आगर जिलें से होकर गुजरता है. जिसकी हालत ये है कि कई जगहों पर दो-दो फीट गहरे गड्ढे हो चुके हैं. वहीं इस मार्ग पर बनी पुलिया भी क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं, जो दुर्घटनाओं का कारण बन रहीं हैं. इसके अलावा पूरी सड़क पर कही भी सड़क पर कोई सांकेतिक बोर्ड भी नहीं लगा है. जिसके चलते मार्ग पर चलने वाले लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

राजमार्ग पर हो रहे गड्ढो को भरने के लिए शासन ने विज्ञप्ति जारी कर 19 करोड़ रूपये की राशि जारी की थी लेकिन वह भ्रष्टाचार की भेंट चढ गया. सड़क पर सिवाय गिट्टी कंकर-पत्थर के कुछ नहीं मिलता. जबकि जिम्मेदार सड़क की इस स्थिति को अतिवृष्टि का कारण बताकर पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं.

Intro:आगर। रोड निर्माण एजेन्सिया और प्रशासन के जिम्मैदार बदहाल सड़को और अपनी गलतियों को छुपान के लिए चाहे कितनी ही सफाई दे दे, मगर सच तो यही है कि पूरे जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग वाहन चालको के साथ यात्रियों के लिए जान लेवा बन रहा है। स्थिति यह है कि अकेले इंदौर-कोटा राजमार्ग पर उज्जैन से चंवली के बीच ही प्रतिदिन 5 लोगो की मौत हो रही है। मार्ग पर जगह-जगह डेंजर झोन बने हुएं है। ऐसे में वाहन चालको को जान हथेली पर रखकर सफर तय करना पड रहा है उन्हे हर समय हादसे का भय सताए रहता है।Body:इस राजमार्ग का करीब 90 किलोमीटर का हिस्सा आगर जिलें से होकर गुजरता है। और इस हिस्से में 15 से 20 जगहों पर दो-दो फीट गहरे गड्ढे हो चुके है। इस वजह से सफर को तय करने में जो समय सालभर पहले लगता था। आज उसे तय करने में दोगुना समय लगता है। गड्ढो पर के कारण मार्ग से गुजरने वाले वाहनों के अस्ति पंचर भी जवाब दे रहे है। राजमार्ग तो कई सालों से वाहन चालको को लिए जानलेवा साबित हो रहा है। जिम्मैदार अतिबारिश की बात बोलकर अपनी जिम्मैदारी से पल्ला झाढ रहे है, जबकि हकिकत यह है कि सड़को की हालत लम्बे समय से बदहाल है। और दिन ब दिन इनकी हालत बद से भी बदतर होती जा रही है। वही दुर्घटनाअों का ग्राफ भी बढता जा रहा है। विडम्बना तो यह है कि इस मार्ग पर हादसों में जान गवाने वाले लोगो को समय पर सहायता राशि तक नहीं मिल पाती है। यदि इस हाइवे पर किसी परिवार के मुखियां ने ही जान गवा दी तो फिर उसके घर पर भरण-पोषण की समस्या भी खडी हो जाती है।

जगह-जगह डेंजर जोन बनते है हादसो का कारण

उज्जैन से लेकर चंवली तक 140 किमी की सड़क पर हर 10 से 20 किमी की दूरी पर बने डैंजर जोन और अंदरूनी मोड लोगो को अपना शिकार बना रहे है। साथ ही सड़क की चोडाई काफी होने के कारण वाहन चालको को क्रासिंग के समय परेशानी होती है। और इसी के चलते कई बार हादसे हो जाते है।

संकेतक बोर्ड का भी अभाव

शहर से गुजर रहे इंदौर-कोटा राजमार्ग पर उज्जैन से चंवली तक संकेतक बोर्ड ही नहीं लगाए गए है। इस वजह से यात्रिकों को काफी परेशानीयों का सामना करना पडता है। कई बार हालात यह बनते है कि यात्रियों को जाना कही और होतेा है अौर वे पहुंच कही और जाते है।

उडती धुल घोंट रही लोगो का दम

शहर की सड़को पर पहले तो बारिश ने गड्ढो की समस्या खडी कर दी। और उन्हे बूरने के लिए मूरम डाल दी गई। जो कि वाहनो के गुजरने से उडने पर लोगो के लिए मुसीबत बन रही है। और यही उडती धूल लोगो का दम भी घोंट रही है। प्रतिदिन सुसनेर के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र 5 से 10 मरीज सांस व अस्थमा की शिकायत के मरीज पहुंच रहे है।Conclusion:भ्रष्टाचर की भेंट चढ गया 19 करोड का पैचवर्क

उज्जैन से लेकर चंवली तक इसी राजमार्ग पर हो रहे गड्ढो और साइडों को भरने के लिए शासन द्वारा बकायदा विज्ञप्ति जारी कर टैंडर देकर के 19 कराेड रूपये का पेचवर्क कराया गया। किन्तु वह भ्रष्टाचार की भेंट चढ गया। सड़क पर हो रहे इन गड्ढो में लोग उसको ढुंढने को कोशिश करते है, लेकिन सिवाय गिट्टी और कंकर पत्थर के कुछ नहीं मिलता।

पुल- पुलियाएं भी हो रहे हादसे

राजमार्ग पर जगह-जगह बनी पुल-पुलियाएं भी वाहन चालको के लिए हादसो का सबब बनी हुई है। कई जगहों पर पुलियाएं क्षतिग्रस्त हालत में है। जिनके कारण पहले भी हादसे हो चुके है। लेकिन उसके बाद भी जिम्मैदार है कि इनकी मरम्मत कराने को तैयार नहीं है। अधिकांश जगह पुलियाओं पर चोडाई बेहद कम है ऐसे में वाहन क्रास भी नहीं कर सकते है। और जिस दिन यातायात का दबाव एक साथ पुलियाओं पर पडता है उस दिन हादसा हो जाता है।

इस राजमार्ग पर हो रहे गड्‌ढो को भरने की बात कहते हुएं एसडीएम मनीष जैन ने बताया कि एमपीआरडीसी के अधिकारीयों से मेरी चर्चा हुई है उज्जैन से गड्‌ढो की मरम्मत का कार्य शुरू भी हो चुका है। आगर जिलें में भी सड़क को जल्द ही दुरस्त किया जाएगा।

विज्युअल- शहर से गुजर रहे राजमार्ग पर इस तरह हो रहे है मौत के गड्ढे।
सड़को पर उडती धूल घोंट रही है लोगो का दम।
इस तरह दिख रहे है बडे-बडे गड्‌ढे।

बाईट- डॉक्टर रामप्रसाप सुसनेरी, साहित्यकार, सुसनेर।
बाईट- मनीष जैन, एसडीएम, सुसनेर।
Last Updated : Oct 12, 2019, 3:11 PM IST
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