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बिना जांच पड़ताल के बनाया कंटेनमेंट जोन, ईटीवी भारत ने पूछा सवाल तो 4 दिन बाद खोला

आगर मालवा में प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई है. जिसमें प्रशासन ने बिना किसी जांच पड़ताल के संबंधित क्षेत्र को कंटेनमेंट बना दिया. जब मामला उजागर हुआ तो रातों रात कंटेनमेंट फ्री जोन बना दिया.

Containment zone created without investigation in agar
बिना जांच पड़ताल के बनाया कंटेनमेंट जोन
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Published : Jul 24, 2020, 5:25 PM IST

आगर। कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए प्रशासन सुसनेर में जो तरीके अपना रहा है, वो प्रशासन की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह खड़े कर रहे हैं. 19 जुलाई को डाक बंगला क्षेत्र में एक मरीज के कोरोना संक्रमित होने की रिपोर्ट प्रशासन के पास पहुंचने के बाद शाम को ही तहसीलदार ने संबंधित क्षेत्र को कंटेनमेंट क्षेत्र बना दिया. लेकिन कलेक्टर ने 23 जुलाई तक इस क्षेत्र को कंटेनमेंट जोन बनाए जाने की सूचना जारी नहीं की.

मामले को लेकर 23 जुलाई को ईटीवी भारत ने एसडीएम महेन्द्र कवचे से सवाल किया तो उन्होंने कैमरे पर जबाव देने से मना करते हुए कहा कि प्रशासन ने डाक बंगला रोड पर कंटेनमेंट जोन नहीं बनाया है. जबकि कंटेनमेंट जोन बनाने की कारवाई करते हुए तहसीलदार और पूरा प्रशासनिक अमला भी वीडियो में दिखाई दे रहा है. इस सवाल के बाद 24 जुलाई की सुबह होने से पहले ही प्रशासन ने डाक बंगला रोड पर बने कंटेनमेंट जोन को हटा लिया और यहां लगाए गए कंटेनमेंट जोन के बैनर को भी निकाल लिया. इन 4 दिनों तक इस कंटेनमेंट में कैद रहे लोगो का न सिर्फ व्यापार प्रभावित हुआ है, बल्कि उनका काफी नुकसान भी हुआ है. प्रशासन के इस रवैये पर रहवासियों में नाराजगी दिखाई दे रही है. रहवासी ललित राठौर सहित कई अन्य ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रशासन के इस मजाक से हमारा काफी नुकसान हुआ है.

बता दें कि 19 जुलाई को जब प्रशासन को मरीज के संक्रमित होने की सूचना मिली तो इस मरीज का उपचार इंदौर के हॉस्पिटल में पहले से चल रहा था. 19 जुलाई से पहले ही मरीज ठीक होकर इंदौर में ही अपने परिजनों के यहां इलाज के बाद होम क्वारंटीन था. उसके बाद भी प्रशासन ने पूरी जांच पड़ताल किए बिना ही डाक बंगला रोड पर उसके घर के आसपास कंटेनमेंट जोन बनाया और 4 दिनों बाद भी जब सूचना जारी नहीं हुई, तो सवाल पूछने पर दूसरे दिन प्रशासन ने कंटेनमेंट जोन हटा भी लिया.

आगर। कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए प्रशासन सुसनेर में जो तरीके अपना रहा है, वो प्रशासन की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह खड़े कर रहे हैं. 19 जुलाई को डाक बंगला क्षेत्र में एक मरीज के कोरोना संक्रमित होने की रिपोर्ट प्रशासन के पास पहुंचने के बाद शाम को ही तहसीलदार ने संबंधित क्षेत्र को कंटेनमेंट क्षेत्र बना दिया. लेकिन कलेक्टर ने 23 जुलाई तक इस क्षेत्र को कंटेनमेंट जोन बनाए जाने की सूचना जारी नहीं की.

मामले को लेकर 23 जुलाई को ईटीवी भारत ने एसडीएम महेन्द्र कवचे से सवाल किया तो उन्होंने कैमरे पर जबाव देने से मना करते हुए कहा कि प्रशासन ने डाक बंगला रोड पर कंटेनमेंट जोन नहीं बनाया है. जबकि कंटेनमेंट जोन बनाने की कारवाई करते हुए तहसीलदार और पूरा प्रशासनिक अमला भी वीडियो में दिखाई दे रहा है. इस सवाल के बाद 24 जुलाई की सुबह होने से पहले ही प्रशासन ने डाक बंगला रोड पर बने कंटेनमेंट जोन को हटा लिया और यहां लगाए गए कंटेनमेंट जोन के बैनर को भी निकाल लिया. इन 4 दिनों तक इस कंटेनमेंट में कैद रहे लोगो का न सिर्फ व्यापार प्रभावित हुआ है, बल्कि उनका काफी नुकसान भी हुआ है. प्रशासन के इस रवैये पर रहवासियों में नाराजगी दिखाई दे रही है. रहवासी ललित राठौर सहित कई अन्य ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रशासन के इस मजाक से हमारा काफी नुकसान हुआ है.

बता दें कि 19 जुलाई को जब प्रशासन को मरीज के संक्रमित होने की सूचना मिली तो इस मरीज का उपचार इंदौर के हॉस्पिटल में पहले से चल रहा था. 19 जुलाई से पहले ही मरीज ठीक होकर इंदौर में ही अपने परिजनों के यहां इलाज के बाद होम क्वारंटीन था. उसके बाद भी प्रशासन ने पूरी जांच पड़ताल किए बिना ही डाक बंगला रोड पर उसके घर के आसपास कंटेनमेंट जोन बनाया और 4 दिनों बाद भी जब सूचना जारी नहीं हुई, तो सवाल पूछने पर दूसरे दिन प्रशासन ने कंटेनमेंट जोन हटा भी लिया.

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