आगर-मालवा। सरकारी स्कूल के रसोई घर में पढ़ने को मजबूर ये बच्चे और कर भी क्या सकते हैं, जब जिम्मेदार हाथ-पर हाथ धरे तमाशा देख रहे हैं. अधिकारियों की लापरवाही और शिक्षा विभाग की उदासीनता हद पार कर रही है, यही वजह है कि नौनिहालों को बारिश से बचने के लिए नए भवन का इंतजार है. आगर के लाखाखेड़ी गांव के सरकारी स्कूल की ये तस्वीर सरकार के मुंह पर तमाचे से कम नहीं है.
अजब एमपी का गजब स्कूल, रसोईघर में संवारा जा रहा 'देश का भविष्य'
लाखाखेड़ी गांव के सरकारी स्कूल की हालत सरकार के मुंह पर तमाचे से कम नहीं है. कई बार शिकायत के बावजूद स्कूल के लिये नया भवन नहीं पाया है. हालात ये हैं कि बच्चे स्कूल के रसोईघर में बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं.
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आगर-मालवा। सरकारी स्कूल के रसोई घर में पढ़ने को मजबूर ये बच्चे और कर भी क्या सकते हैं, जब जिम्मेदार हाथ-पर हाथ धरे तमाशा देख रहे हैं. अधिकारियों की लापरवाही और शिक्षा विभाग की उदासीनता हद पार कर रही है, यही वजह है कि नौनिहालों को बारिश से बचने के लिए नए भवन का इंतजार है. आगर के लाखाखेड़ी गांव के सरकारी स्कूल की ये तस्वीर सरकार के मुंह पर तमाचे से कम नहीं है.
Intro:शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए सरकार द्वारा भले ही अनेको योजनाएं लाई जाती हो लेकिन धरातल पर शिक्षा व्यवस्था की स्थिति कुछ अलग ही हाल बयां करती है। शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करती कुछ इसी प्रकार की स्थिति ग्राम लाखाखेड़ी में देखने को मिली। यहां सालो से स्कूल भवन जर्जर होने के कारण बच्चों की क्लास किचन में लगाई जा रही है। जिले के जवाबदारों को सब कुछ पता होने के बावजूद आज तक इस समस्या का निराकरण नही किया गया। यहाँ के शिक्षक भी बच्चों को इस किचन में ही पढ़ाने को मजबूर है। शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलते इन नजारो से आखिर कैसे देश का भविष्य गढ़ा जा सकेगा।Body:बता दे विकासखण्ड आगर के ग्राम लाखाखेड़ी में शासकीय विद्यालय का भवन 4-5 साल से जर्जर स्थिति मे है यहां पर बच्चो को बैठाकर पढ़ाना किसी खतरे से खाली नही है। आये दिन इस जर्जर भवन की छत का मलबा गिरता रहता है ऐसे में मजबूरीवश बच्चो की क्लास किचन में लगानी पड़ रही है। इस जर्जर भवन को डिस्मेंटल कर नया भवन बनाने के लिए स्कूल प्रशासन द्वारा कई बार जिला शिक्षा विभाग को पत्र लिखा जा चुका है लेकिन आज तक वहाँ बच्चों की पढ़ाई के लिए नया कक्ष नही बन पाया ऐसी स्थिति में बच्चों को इतने सालों से इस किचन में बैठकर ही पढ़ाई करना पड़ रही है। वही किचन में क्लासरूम होने के कारण बच्चों का मध्यान भोजन गांव के एक निजी घर मे बनाया जा रहा है। ग्रामीण भी अपने बच्चों को बेहतर भविष्य देने के लिए मजबूरन इस किचन क्लासरूम में पढ़ाने भेज रहे है।Conclusion:इस किचन क्लासरूम में पड़ने वाले विद्यार्थी अंकित मेवाड़ा ने बताया कि उनकी पढ़ाई के लिए जो कक्ष है वो काफी जर्जर है इसलिए वहां बैठने की बजाय उनको इस किचन में बैठकर पड़ना पड़ रहा है।
यहाँ पदस्थ शिक्षक कालूदास बैरागी ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी है इसलिए वे बच्चों को जर्जर भवन में बैठाने की बजाय किचन के बिठा रहे है जर्जर भवन को हटाकर नया भवन बनवाने के लिए जिला शिक्षा विभाग को कई बार पत्र लिखा जा चुका है लेकिन कोई सुनवाई नही की जाती है। यहाँ विभाग के इंजीनियर आकर कई बार मौका मुआयना कर गए फिर भी भवन बनवाने के प्रति किसी का रुझान नही दिखा।
जिला शिक्षा केन्द्र के सहायक परियोजना समन्वयक रजनीश स्वर्णकार ने बताया कि लखाखेड़ी का भवन वाकई कॉफी जर्जर हो चुका है। इंजीनियर भी इसका मुआयना कर इस डिस्मेंटल घोषित कर चुके है। नए भवन निर्माण के लिए प्रस्ताव तैयार किया जाएगा।
यहाँ पदस्थ शिक्षक कालूदास बैरागी ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी है इसलिए वे बच्चों को जर्जर भवन में बैठाने की बजाय किचन के बिठा रहे है जर्जर भवन को हटाकर नया भवन बनवाने के लिए जिला शिक्षा विभाग को कई बार पत्र लिखा जा चुका है लेकिन कोई सुनवाई नही की जाती है। यहाँ विभाग के इंजीनियर आकर कई बार मौका मुआयना कर गए फिर भी भवन बनवाने के प्रति किसी का रुझान नही दिखा।
जिला शिक्षा केन्द्र के सहायक परियोजना समन्वयक रजनीश स्वर्णकार ने बताया कि लखाखेड़ी का भवन वाकई कॉफी जर्जर हो चुका है। इंजीनियर भी इसका मुआयना कर इस डिस्मेंटल घोषित कर चुके है। नए भवन निर्माण के लिए प्रस्ताव तैयार किया जाएगा।