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साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल बना चेहल्लुम, देशभर से मन्नत मांगने आ रहे लोग

इमाम हुसैन की याद में मनाया जाने वाला पर्व चेहल्लुम शनिवार को शुरू हो गया है. इस पर्व के दौरान लोग मन्नत मांगते हैं कहा जाता है कि यहां जो भी मन्नत मांगी जाती है पूरी हो जाती है.

चेहल्लुम पर्व की शुरूआत
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Published : Oct 19, 2019, 5:09 PM IST

Updated : Oct 19, 2019, 8:13 PM IST

आगर। जिले के सुसनेर में आयोजित चेहल्लुम पर्व में शनिवार को साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल देखने को मिली. जहां लोग चेहल्लुम पर मन्नत मांगने और मन्नत पूरी करने के लिए आए. विभिन्न सम्प्रदाय के लोग एक अरदास लेकर आते हैं और मन्नत पूरी होने पर नारियल चढ़ाते हैं.

साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल बना चेहल्लुम

सुसनेर में बोहरा समाज के लोगों ने 153 वर्षों से चली आ रही परम्परा का निवर्हन करते हुए इमाम हुसेन के चेहल्लूम पर्व की शुरूआत की. क्षेत्र में यह पर्व साम्प्रदायिक सोहार्द की एक मिसाल बना हुआ है. कहा जाता है कि यहां मन्नत मांगने से सारी मुरादे पूरी हो जाती है. इसी के चलते हर साल यहां मन्नत मांगने के लिए मुम्बई, दिल्ली, इन्दौर, कोटा, उज्जैन, राजगढ़, ब्यावरा सहित देश के कई राज्यों से लोग आते हैं.

इमाम हुसैन का यह चेहल्लूम पर्व 153 वर्षो से मनाया जाता है. यह पर्व इमाम हुसेन की शहादत के 40 दिन बाद उनकी याद में मनाया जाता है. वहीं पर्व के दूसरे दिन शहर में ताजिए निकाले जाएंगे.

आगर। जिले के सुसनेर में आयोजित चेहल्लुम पर्व में शनिवार को साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल देखने को मिली. जहां लोग चेहल्लुम पर मन्नत मांगने और मन्नत पूरी करने के लिए आए. विभिन्न सम्प्रदाय के लोग एक अरदास लेकर आते हैं और मन्नत पूरी होने पर नारियल चढ़ाते हैं.

साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल बना चेहल्लुम

सुसनेर में बोहरा समाज के लोगों ने 153 वर्षों से चली आ रही परम्परा का निवर्हन करते हुए इमाम हुसेन के चेहल्लूम पर्व की शुरूआत की. क्षेत्र में यह पर्व साम्प्रदायिक सोहार्द की एक मिसाल बना हुआ है. कहा जाता है कि यहां मन्नत मांगने से सारी मुरादे पूरी हो जाती है. इसी के चलते हर साल यहां मन्नत मांगने के लिए मुम्बई, दिल्ली, इन्दौर, कोटा, उज्जैन, राजगढ़, ब्यावरा सहित देश के कई राज्यों से लोग आते हैं.

इमाम हुसैन का यह चेहल्लूम पर्व 153 वर्षो से मनाया जाता है. यह पर्व इमाम हुसेन की शहादत के 40 दिन बाद उनकी याद में मनाया जाता है. वहीं पर्व के दूसरे दिन शहर में ताजिए निकाले जाएंगे.

Intro:आगर। चहुं और अगरबत्ती और लोबान की खुशबू से महकता आलम था, क्या हिन्दु और क्या मुसलमान हर कोई दील में मन्नत और हाथों में नारीयल थामें अपनी बारी का इंतजार कर रहा था। आज यहां साम्प्रदायिक सोहार्द की मिसाल शनिवार के दिन शुरू हुएं दो दिनी चेहल्लूम पर्व के पहले दिन सुसनेर के इतवारीया बाजार में देखने को मिली। जहां विभिन्न धर्म और सम्प्रदाय के लोग अपनी मन्नते पूरे हाेने पर नारीयल चढाने आ रहे थे। दो दिवसीय पर्व के पहले दिन इतवारीया बाजार में दूलदूल रखे गए। यहां विभिन्न सम्प्रदाय के लोगो के द्वारा नारीयल चढाकर मन्नते मांगी गई। साथ ही 200 साल पुराने दुलदुल को मन्नत का सफेद धागा भी बांधा गया।Body:सुसनेर में बोहरा समाजजनो ने शनिवार को 153 वर्षो से चली आ रही परम्परा का निवर्हन करते हुएं इमाम हुसेन के चेहल्लूम पर्व की शुरूआत की। क्षेत्र में यह पर्व साम्प्रदायिक सोहार्द की एक मिसाल बना हुआ है। हर वर्ष आज ही के दिन यहां हर सम्प्रदाय का व्यक्ति मन्नत मांगने आता है। और मन्नत पूरी हाेन पर नारीयल भी चढाता है। मन्नते मांगने के लिए िवदेशो के अलावा मुम्बई, दिल्ली, इन्दौर-कोटा, उज्जैन, राजबढ, ब्यावरा सहित कई राज्यो के महानगरो से लोग यहां आते है।

शाजापुर के शैयद आबिद अली वारसी, तराना से आये फिरोज हुसेन ने बताया कि वे पिछले 43 व 60 सालो से यहाँ आ रहें है उन्होंने सालो पहले पुत्र प्राप्ति के लिए मन्नत मांगी थी मन्नत पूरी होने के बाद उन्होंने नारियल तो चढ़ाये ही साथ ही हर साल यहाँ शीश नवाने आते है। वही सुसनेर की निर्मलाबाई ने बताया कि गये साल बच्चे की मन्नत मांगी थी तो कुछ ही दिनों पूर्व उन्हें पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई है, उन्होंने बच्चे के वजन के हिसाब से यहाँ नारियल चढ़ाये है।
Conclusion:बोहरा समाज के शब्बीर हुसैन बोहरा के अनुसार इमाम हुसेन के चेहल्लूम का यह पर्व 153 वर्षो से साम्प्रदायिक सोहार्द की मिसाल बना हुआ है। यहां हर सम्प्रदाय का व्यक्ति अपनी मन्नत लेकर आता है। मन्नत पूरी हाेने पर अपनी श्रद्धा अनुसार नारीयल व अन्य वस्तुएं चढाता है। दो दिवसीय पर्व के चले देश- विदेश लोगो ने अपन्नी – अपनी मन्नतो के नारीयल चढाने व मन्नत मांगने के लिए पहुच रहे है। पर्व के अलगे दिन रविवार को ताजिए का जूलूस नगर में निकाला जाएगा। इस दौरान ताजियों की इबादत में आयोजन स्थल पर नारीयल का ढेर लगा हुआ है।

विजुअल- नारियल चढ़ाते हुवे, ताजिये के समक्ष बोहरा समाज जन। दुलदुल को मन्नत का धागा बांधते हुवे।इतवारिया बाजार में सजा चेहहलूम पर्व का पंडाल।

बाइट- शैयद आबिद अली, शाजापुर।
बाइट- फिरोज हुसेन, तराना।
बाइट- निर्मलाबाई, महिला श्रद्धालु, सुसनेर।
बाइट- शब्बीर हुसैन बोहरा, अध्यक्ष बोहरा समाज, सुसनेर।
Last Updated : Oct 19, 2019, 8:13 PM IST
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