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भक्तों की सेवा के लिए चलाया जा रहा भंडारा बना मिसाल, खाने-रहने से लेकर इलाज तक की व्यवस्था - mp news

आगर में इन्दौर-कोटा राजमार्ग पर रामदेवरा जाने वाले भक्तों की सेवा के लिए गांव के बाहर जनसहयोग से भंडारे का आयोजन किया जा रहा है. हर दिन यहां हजारों भक्त आकर भोजन करते हैं. इस सेवा को देख लोग भी अभिभूत हैं.

भक्तों की सेवा के लिए चलाया जा रहा भंडारा बना मिसाल
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Published : Aug 23, 2019, 1:08 PM IST

आगर-मालवा। इंदौर-कोटा राजमार्ग पर रामदेवरा जाने वाले भक्तों की सेवा करने के लिए गांवों के बाहर चलाया जा रहा भंडारा जनसहयोग की मिसाल बना हुआ है. रोजाना यहां हजारों भक्त भोजन करते हैं. इसमें भक्तों के लिए नाश्ता-खाना और प्राथमिक उपचार से लेकर रात्रि विश्राम तक की व्यवस्था की गई है. इस तरह के भंडारे की व्यवस्था कई गांवों में की गई है.

भक्तों की सेवा के लिए चलाया जा रहा भंडारा बना मिसाल

अमरकोट के पास भंडारा संचालित करने वाले सजनसिंह, कालूसिंह और रघु सिंह के अनुसार उनके भंडारे में प्रतिदिन 1 हजार से भी अधिक लोग आ रहे हैं. खर्च की सारी व्यवस्था जनसहयोग से हो रही है. मध्यप्रदेश की सीमा पर चंवली गांव में संचालित भंडारे की व्यवस्था में शामिल भैरूलाल भगत के अनुसार लोग अपनी श्रद्धानुसार सहयोग करते हैं. वे पिछले 5 सालों से इसी मार्ग पर भंडारे का आयोजन कर रहे हैं. मार्ग से प्रतिदिन 3 हजार के लगभग यात्री गुजरते हैं, जो भंडारे का लाभ उठाते हैं. कुछ सेवाभावी लोगों ने भंडारे की जगह को ही अपना आशियाना बना लिया है. वे रात-दिन यहीं रहकर सेवा में जुटे रहते हैं.

आगर-मालवा। इंदौर-कोटा राजमार्ग पर रामदेवरा जाने वाले भक्तों की सेवा करने के लिए गांवों के बाहर चलाया जा रहा भंडारा जनसहयोग की मिसाल बना हुआ है. रोजाना यहां हजारों भक्त भोजन करते हैं. इसमें भक्तों के लिए नाश्ता-खाना और प्राथमिक उपचार से लेकर रात्रि विश्राम तक की व्यवस्था की गई है. इस तरह के भंडारे की व्यवस्था कई गांवों में की गई है.

भक्तों की सेवा के लिए चलाया जा रहा भंडारा बना मिसाल

अमरकोट के पास भंडारा संचालित करने वाले सजनसिंह, कालूसिंह और रघु सिंह के अनुसार उनके भंडारे में प्रतिदिन 1 हजार से भी अधिक लोग आ रहे हैं. खर्च की सारी व्यवस्था जनसहयोग से हो रही है. मध्यप्रदेश की सीमा पर चंवली गांव में संचालित भंडारे की व्यवस्था में शामिल भैरूलाल भगत के अनुसार लोग अपनी श्रद्धानुसार सहयोग करते हैं. वे पिछले 5 सालों से इसी मार्ग पर भंडारे का आयोजन कर रहे हैं. मार्ग से प्रतिदिन 3 हजार के लगभग यात्री गुजरते हैं, जो भंडारे का लाभ उठाते हैं. कुछ सेवाभावी लोगों ने भंडारे की जगह को ही अपना आशियाना बना लिया है. वे रात-दिन यहीं रहकर सेवा में जुटे रहते हैं.

Intro:आगर। कहते है यदी किसी कार्य के साथ इंसान की आस्था जुड जाए ताे फिर मुश्किल से मुश्किल कार्य भी सफल हो जाता है। इसकी मिसाल इन्दाैर- कोटा राजमार्ग पर देखी जा सकती है। राजमार्ग पर आगर से लेकर चंवली तक 70 किलोमीटर की सीमा में 50 से भी अधिक संचालित हो रहे भंडारे जनसहयोग से किसी भी कार्य को करके उसे किस तरह से सफल बनाया जा सकता है। इस बात का उदाहरण बनी हुएं है। इस सीमा के अंदर ग्रामीण ओर नगरीय क्षेत्र के लोग प्रतिदिन हजारो की राशी या फिर इस राशी के बराबर अनाज ओर खाद्यान सामग्री जुटाकर राजस्थान के पोकरण में बाबा रामदेव की समाधि के दर्शन करने के लिए जाने वाले भक्तो पर खर्च की जा रही है। ओर यह सब हो रहा है। इस पुरी सीमा में जनसहयोग से संचालित होने वाले 50 से भी अधिक भंडारो के जरीएे। प्रतिदिन हजारों की संख्या में रामदेव करने वाले यात्री इन भंडारो की सुविधाओं का लाभ भी उठा रहे है।Body:इनमें भक्तो व रामदेव की यात्रा करने वाले यात्रियों के लिऐ स्वल्पाहार आेर भौजन प्रसादी व प्राथमिक उपचार से लेकर रात्रि विश्राम तक की व्यवस्था की गई है। रामदेवरा जाने वाले भक्तो की सेवा करने के लिए गांव- गांव के बाहर लोगो के द्वारा किए जा रहे भंडारे जनसहयोग की मिसाल बने हुए है। इन भंडारो के बाहर सडक के दुसरे किनारे कुछ लाेग हाथ में ध्वजा लेकर आने जाने वाले भक्तो को राेककर उनसे भंडारे में भौजन प्रसादी ग्रहण करने का अनुराेध करते है। ओर अपने हाथो से ही भोजन परोसते है। प्रतिदिन हजार से भी अधिक भक्त करते है भाैजन
राजमार्ग पर सुसनेर से लेकर चंवली तक संचालित हो रहे इन भंडारो में प्रतिदिन 1 से डेढ हजार भक्त इनका लाभ भी उठा रहे है। अमरकोट के समीप भंडारा संचालित करने वाले सजनसिंह, कालुसिंह ओर राघुसिंह के अनुसार उनके भंडारे में प्रतिदिन 1 हजार से भी अधिक लोग आ रहे है। खर्च की सारी व्यवस्था जनसहयोग से हो रही है। मध्यप्रदेश की सीमा पर ग्राम चंवली में संचालित भंडारे के भेरूलाल भगत के अनुसार लोग अपनी श्रृद्धा ओर आस्था से संचालन में सहयोग करते है। वे पिछले 5 सालो से इसी मार्ग पर भंडारे का संचालन कर रहे है। मार्ग से प्रतिदिन 3 हजार के लगभग यात्री गुजर रहे है।Conclusion:गांव- गांव के बाहर राजमार्ग के किनारे जनसहयोग से संचालित हो रहे इन भंडारो में ग्रामो के हर नागरीक के द्वारा अपनी ओर से कुछ न कुछ दिया जाता है। इन भंडारो में ग्राम की समितियो के सदस्याे द्वारा भौजन अपने हाथो से बनाकर भक्तो को परोसा जाता है। कुछ सेवाभावी लोगो ने तो भंडारे की जगह को ही अपना आशीयाना बना लिया है वे रात दिन यही रहकर सेवा में जुटे रहते है।

विज्युअल व फोटो- राजमार्ग पर संचालित हो रहे भंडारे। भंडारे में सजाई गई है बाबा रामदेव की झांकी।
भंडारे में भजन कीर्तन करते हुए भक्त। भोजन करते हुएं श्रद्धालु।

बाईट- सजनसिंह, भंडारा संचालक, सुसनेर।
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