बसंत पंचमी। माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाई जाती है. इस साल 26 जनवरी को बसंत पंचमी मनाई जाएगी. लोग पीले रंग का वस्त्र पहनकर सरस्वती मां की पूजा करते हैं. इस दिन लोग विद्या की देवी सरस्वती की आराधना करते हैं. बसंत ऋतु में जहां पृथ्वी का सौंदर्य निखर उठता है, वहीं उसकी अनुपम छटा देखते ही बनती है. बसंत पंचमी के दिन किसी शुभ और मांगलिक कार्य की शरुआत कर सकते हैं.
देखें कब-कब 26 जनवरी को पड़ती है बसंत पंचमी: इस बार 19 साल बाद 26 जनवरी गुरुवार को सरस्वती पूजा की जाएगा. इससे पहले साल 2004 में 26 जनवरी को बसंत पंचमी पड़ी थी. पंडितों का कहना है कि 2004 से पहले 1985 और उससे भी पहले 1966 में 26 जनवरी के दिन ही सरस्वती पूजन हुआ था. यानी आप यह कह सकते हैं कि प्रत्येक 19 साल बाद सरस्वती पूजन का दिन 26 जनवरी को पड़ता है.
पूजा का शुभ मुहूर्त: इस दिन को अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है. इस दिन लोग अपने अपने घरों में माता सरस्वती की प्रतिमा का पूजन करते हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन ज्ञान और वाणी की देवी मां सरस्वती ब्रह्माजी के मुख से अवतरित हुई थीं. इस वजह से हर वर्ष बसंत पंचमी को सरस्वती पूजा का आयोजन होता है. 26 जनवरी को मां सरस्वती की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 12 मिनट से दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक है. यानी पूजा मुहूर्त 5 घंटे 21 मिनट तक रहेगा. हालांकि, पंचांग के अनुसार माघ शुक्ल पंचमी तिथि 25 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 33 मिनट से ही शुरू हो रही है.
सरस्वती पूजा विधि: इस दिन सुबह स्नान करके पीले वस्त्र धारण करें, सरस्वती माता की पूजा और व्रत का संकल्प लें. एक चौकी पर पीले वस्त्र बिछाकर मां सरस्वती की प्रतिमा अथवा मूर्ति को स्थापित करें. माता को पीले वस्त्र पीला चंदन हल्दी केसर हल्दी से रंगे हुए अक्षत या चावल पीले पुष्प को माता को अर्पित करें. इस दिन माता रानी को केसर युक्त खीर अर्पित करें. माता की आरती और वंदना करके आशीर्वाद प्राप्त करें. ओम सरस्वती नमो नमः मंत्र का जाप करने से माता सरस्वती उस जातक के ऊपर प्रसन्न होंगी और अपना पूर्ण आशीर्वाद उस जातक को प्रदान करेंगी.
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खिचड़ी और पीले चावल का लगाएं भोग: बसंत पंचमी के अवसर पर मां सरस्वती की पूजा की जाती है, लेकिन कई जगहों पर इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ कामदेव की भी पूजा की जाती है, ऐसे ही वसंतोत्सव मनाया जाता है. इस दिन पूजा में खिचड़ी और पीले चावल का भोग लगाने की परंपरा है. मां सरस्वती को पीली मिठाई और बुंदिया का भोग लगाया जाता है. इसके अलावा पूजन में बसंत में उगने वाले फल जैसे गाजर, शकरकंद आदि फलों और पीले फूलों के उपयोग की परंपरा है. बसंत पंचमी के अवसर पर मनाया जाने वाला वसंतोत्सव और सरस्वती पूजा से वातावरण में सकारात्मक उर्जा का संचार होता है.