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चमत्कारों के लिए जाना जाता है आगर का बाबा बैजनाथ मंदिर, देशभर से पहुंचते हैं श्रद्धालु

आगर मालवा में स्थित बाबा बैजनाथ मंदिर चमत्कारिक घटनाओं के लिए जाना जाता है. बाबा बैजनाथ के प्रति आस्था रखने वाले देश भर में फैले हुए हैं. यहां हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं.

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Published : Aug 6, 2019, 3:13 PM IST

आगर मालवा में स्थित बाबा बैजनाथ मंदिर

आगर मालवा। ब्रिटेन ने करीब दो शताब्दियों तक भारत पर शासन किया, लेकिन यहां वे हमेशा बाहरी ही बने रहे. उन्होंने अपने शासन में कई गिरिजाघरों को बनवाया, लेकिन एक मंद‍िर ऐसा है जो माना जाता है कि उसका निर्माण ब्रिटिशर्स ने करवाया था. ये मंदिर है आगर मालवा में स्थित बाबा बैजनाथ का मंदिर.
मध्‍य प्रदेश के आगर मालवा में स्थित बाबा बैजनाथ मंदिर कई चमत्कारिक घटनाओं के लिए जाना जाता है. सावन माह के दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं.

आगर मालवा में स्थित बाबा बैजनाथ मंदिर
बाबा बैजनाथ के चमत्कार की कहानीआगर में कई साल पहले एक वकील हुए जय नारायण बापू जी. वकील साहब बाबा बैजनाथ महादेव के बड़े भक्त भी थे. वह साधना में इतने लीन हो जाते थे कि कोर्ट के काम ही भूल जाते थे. 23 जुलाई 1931 को रोज़ की तरह जय नारायण उपाध्याय बाबा बैजनाथ महादेव की पूजा करने मंदिर गए और वहां ध्यान में इतना लीन हो गए कि जब दोपहर 3 बजे उनका ध्यान टूटा, तो उन्हें याद आया कि उन्हें पेशी के लिए कोर्ट जाना था, जिसमें फैसला होने वाला था. तब वह घबराते हुए गोपाल मंदिर के पुजारी नाथूराम दुबे, शंकर अध्यापक के साथ सीधे न्यायालय पहुंचे. न्यायालय पहुंचते ही साथी वकील उन्हें बधाईयां देने लगे. सभी उनकी तारीफ करते हुए कहने लगे कि आपने गजब की बहस की और पक्षकार को निर्दोष साबित कर दिया. बधाई संदेश और इतनी तारीफ सुनकर जय नारायण उपाध्याय खुश होने के बजाय घबरा गए. जब न्यायाधीश से उन्होंने कहा कि वह सीधे बैजनाथ मंदिर से आ रहे हैं, तब जय नारायण ने हस्ताक्षर मिलाए, अन्य केस की तारीख भी डायरी में नोट की हुई थी. यह देखने के बाद वकील साहब इस घटना से समझ गए कि भगवान स्वयं रूप धारण कर कोर्ट आए थे. इस चमत्कारिक घटना के बाद वकील साहब ने सांसारिक जीवन त्याग दिया और मालवा विभूति सद्गुरु नित्यानंद महाराज की शरण ले ली और आगे चलकर उनके परम शिष्य बने और छोटे बापजी के रूप में अनुयायियों के बीच पहचाने जाने लगे.23 मार्च 1886 को बलदेव उपाध्याय के घर जन्मे छोटे बापजी की प्रारंभिक शिक्षा भी आगर में ही हुई और वकालत भी आगर में ही की. 26 अक्टूबर 1945 को रतलाम के जिले के धौंस्वास में बापजी ने समाधि ले ली.

आगर मालवा। ब्रिटेन ने करीब दो शताब्दियों तक भारत पर शासन किया, लेकिन यहां वे हमेशा बाहरी ही बने रहे. उन्होंने अपने शासन में कई गिरिजाघरों को बनवाया, लेकिन एक मंद‍िर ऐसा है जो माना जाता है कि उसका निर्माण ब्रिटिशर्स ने करवाया था. ये मंदिर है आगर मालवा में स्थित बाबा बैजनाथ का मंदिर.
मध्‍य प्रदेश के आगर मालवा में स्थित बाबा बैजनाथ मंदिर कई चमत्कारिक घटनाओं के लिए जाना जाता है. सावन माह के दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं.

आगर मालवा में स्थित बाबा बैजनाथ मंदिर
बाबा बैजनाथ के चमत्कार की कहानीआगर में कई साल पहले एक वकील हुए जय नारायण बापू जी. वकील साहब बाबा बैजनाथ महादेव के बड़े भक्त भी थे. वह साधना में इतने लीन हो जाते थे कि कोर्ट के काम ही भूल जाते थे. 23 जुलाई 1931 को रोज़ की तरह जय नारायण उपाध्याय बाबा बैजनाथ महादेव की पूजा करने मंदिर गए और वहां ध्यान में इतना लीन हो गए कि जब दोपहर 3 बजे उनका ध्यान टूटा, तो उन्हें याद आया कि उन्हें पेशी के लिए कोर्ट जाना था, जिसमें फैसला होने वाला था. तब वह घबराते हुए गोपाल मंदिर के पुजारी नाथूराम दुबे, शंकर अध्यापक के साथ सीधे न्यायालय पहुंचे. न्यायालय पहुंचते ही साथी वकील उन्हें बधाईयां देने लगे. सभी उनकी तारीफ करते हुए कहने लगे कि आपने गजब की बहस की और पक्षकार को निर्दोष साबित कर दिया. बधाई संदेश और इतनी तारीफ सुनकर जय नारायण उपाध्याय खुश होने के बजाय घबरा गए. जब न्यायाधीश से उन्होंने कहा कि वह सीधे बैजनाथ मंदिर से आ रहे हैं, तब जय नारायण ने हस्ताक्षर मिलाए, अन्य केस की तारीख भी डायरी में नोट की हुई थी. यह देखने के बाद वकील साहब इस घटना से समझ गए कि भगवान स्वयं रूप धारण कर कोर्ट आए थे. इस चमत्कारिक घटना के बाद वकील साहब ने सांसारिक जीवन त्याग दिया और मालवा विभूति सद्गुरु नित्यानंद महाराज की शरण ले ली और आगे चलकर उनके परम शिष्य बने और छोटे बापजी के रूप में अनुयायियों के बीच पहचाने जाने लगे.23 मार्च 1886 को बलदेव उपाध्याय के घर जन्मे छोटे बापजी की प्रारंभिक शिक्षा भी आगर में ही हुई और वकालत भी आगर में ही की. 26 अक्टूबर 1945 को रतलाम के जिले के धौंस्वास में बापजी ने समाधि ले ली.
Intro:आगर मालवा
-- लोगों की आस्था का केंद्र प्रसिद्ध बाबा बैजनाथ मंदिर चमत्कारिक घटनाओं के लिए जाना जाता है यही कारण है कि सावन माह के दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं इस मंदिर से जुड़ी एक और चमत्कारिक घटना जय नारायण बापू जी वकील साहब से जुड़ी हुई है वकील साहब बाबा बैजनाथ के इतने बड़े भक्त थे कि उनकी भक्ति से खुश होकर बाबा बैजनाथ स्वयं 1 दिन पैरवी के लिए न्यायालय पहुंच गए थे जबकि वकील साहब उस दौरान बाबा की भक्ति में न्यायालय जाना ही भूल गए थे और बैजनाथ में ही भक्ति में लीन हो गए इस घटना के बाद मंदिर की इतनी ख्याति हुई कि आज यह मंदिर जन-जन की आस्था का प्रमुख केंद्र बन गया सावन माह में भक्त बाबा बैजनाथ के साथी जय नारायण दास जी की भी विशेष पूजा-अर्चना करते हैं


Body:बता दे कि आगर में जन्मे जय नारायण उपाध्याय पेशे से वकील थे। साथ ही बाबा बैजनाथ महादेव के अनन्य भक्त भी थे। वे साधना में इतने लीन हो जाते थे कि कोर्ट के काम ही भूल जाते थे। 23 जुलाई 1931 को उपाध्याय के जीवन में एक ऐसी चमत्कारी घटना हुई जिसने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी इस घटना के बाद उन्होंने वैराग्य धारण कर लिया। 23 जुलाई 1931 को हमेशा की भांति वे बाबा बैजनाथ महादेव की पूजा करने मंदिर गए थे और वहां ध्यान में लीन हो गए जब दोपहर 3 बजे ध्यान टूटा तो याद आया कि एक पेशी थी जिसमें फैसला होने वाला था तब वह घबराते गोपाल मंदिर के पुजारी नाथूराम दुबे, शंकर अध्यापक के साथ सीधे न्यायालय पहुंचे जैसे ही वकील साहब न्यायालय पहुंचे तो अन्य साथी वकील बधाइयां देने लगे और कहने लगे कि आज तो आपने गजब की जिरह की और आपके पक्षकार को आपने बड़ी करा दिया। बधाई संदेश से खुश होने की अपेक्षा वकील साहब घबरा गए और कहने लगे कि मैं तो सीधा बैजनाथ चला रहा हूं इस पर तत्कालीन न्यायाधीश भी मुबारक अली ने हस्ताक्षर मिलान कर दिखाया और कहा कि मजाक तो आप कर रहे है। हस्ताक्षर भी आपके ही हैं जो हुआ है वह आपका ही पक्षकार था आपके अन्य केस की तारीख भी डायरी में नोट की है प्रमाण देखने के बाद वकील साहब इस चमत्कारी घटना से समझ गए कि भगवान का रूप धारण कर कोर्ट पहुंचे थे इस घटना के प्रत्यक्षदर्शी उस समय अदालत में मौजूद।
यह भी बता दे कि इस घटना के बाद वकील साहब ने अपना सांसारिक जीवन त्यागते हुए मालवा विभूति सद्गुरु नित्यानंद महाराज की शरण लेली और आगे चलकर उनके परम शिष्य बने और छोटे बापजी के रूप में अनुयायियों के बीच पहचाने जाने लगे। 23 मार्च 1986 को बलदेव उपाध्याय के घर जन्मे छोटे बापजी की प्रारंभिक शिक्षा भी आगर में ही हुई और वकालत भी आगर में ही कि। 26 अक्टूबर 1945 को रतलाम के जिले के धौंस्वास में बापजी ने समाधि ले ली।
बापजी की ख्याति के चलते बैजनाथ मंदिर से श्रद्धालुओं की आस्था और जुड़ने लगी। बता दे सोमवार को नागपंचमी के अवसर बैजनाथ मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे।


Conclusion:यहां के पुजारी भभूत पूरी ने बताया कि बाबा बैजनाथ महादेव मंदिर से बड़ी चमत्कारिक घटनाएं जुड़ी हुई है। ऐसी ही घटना जयनारायण बापजी वकील साहब को लेकर है। बापजी की भक्ति से लीन होकर ही एक बार बाबा बैजनाथ पैरवी के लिए न्यायालय चले गए थे। वही बापजी के भक्त पूरे देश मे फैले हुवे है जो सालभर यहां आते रहते है।

बाइट- भभूत पूरी, मंदिर पुजारी बाबा बैजनाथ महादेव मंदिर आगर मालवा
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