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प्रशासन की अनदेखी पड़ी भारी, ऐतिहासिक अमरकोट के किले पर हुआ कब्जा - ईटीवी भारत

प्रशासन की अनदेखी के चलते ऐतिहासिक पुरातात्विक धरोहर अमरकोट के किले पर कोटा राजस्थान के कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया है. कब्जा करने वाले मुरली मनोहर राजपुरोहित का कहना है कि ये किला उनके पुरखों का है और इससे जुड़े सारे दस्तावेज उनके पास हैं.

अमरकोट के किले पर कब्जा
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Published : Oct 15, 2019, 10:27 AM IST

Updated : Oct 15, 2019, 3:00 PM IST

आगर। प्रशासन की अनदेखी के कारण आगर जिले के सबसे ऐतिहासिक और पुरातात्विक धरोहर अमरकोट के किले पर कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया है. राजस्थान के कोटा के रहने वाले मुरली मनोहर राजपुरोहित ने अपने निजी स्वामित्व का बोर्ड लगाकर कब्जा कर लिया है. साथ ही इस किले से जुड़ी लगभग 2300 बीघा जमीन पर अपनी निजी संपत्ति का बोर्ड लगा दिया है. ये जमीन इंदौर-कोटा राजमार्ग की शासकीय भूमि के अंतर्गत आती है. वहीं कब्जे से स्थानीय प्रशासन अब तक अनजान नजर आ रहा है.

अमरकोट के किले पर कब्जा

ये किला मध्यप्रदेश में है, जिस पर राजस्थान से लाए दस्तावेजों के सहारे कब्जा करने की कोशिश हो रही है. कब्जा करने वाले मुरली मनोहर राजपुरोहित का कहना है कि ये किला उनके पुरखों का है और इससे जुड़े सारे दस्तावेज उनके पास हैं.

उन्होंने कहा कि ये किला आजादी के पहले राजस्थान की कोटा रियासत के अधीन था. मध्यप्रदेश के गठन के बाद ये किला मध्यप्रदेश में आया है. किले से जुड़े सारे दस्तावेज कोटा के पुरात्व विभाग द्वारा प्रमाणित हैं. उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश प्रशासन के पास किले का कोई भी रिकॉर्ड नहीं है. ये किला राजस्थान की सीमा से तीन किलोमीटर के अंदर मध्यप्रदेश की सीमा में स्थित है.

ग्राम पंचायत अमरकोट के सरपंच दाणुसिंह ने बताया कि किला 1200 साल से भी अधिक पुराना है और इस संबंध में प्रशासन को लिखित शिकायत करके मामले की जांच का अनुरोध भी करेंगे. एक अन्य ग्रामीण शहजाद खान के अनुसार किला मध्यप्रदेश में है और राजस्थान के दस्तावेजों के सहारे कोई इस पर अपना अधिकार नहीं बता सकता है. प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए.

आगर। प्रशासन की अनदेखी के कारण आगर जिले के सबसे ऐतिहासिक और पुरातात्विक धरोहर अमरकोट के किले पर कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया है. राजस्थान के कोटा के रहने वाले मुरली मनोहर राजपुरोहित ने अपने निजी स्वामित्व का बोर्ड लगाकर कब्जा कर लिया है. साथ ही इस किले से जुड़ी लगभग 2300 बीघा जमीन पर अपनी निजी संपत्ति का बोर्ड लगा दिया है. ये जमीन इंदौर-कोटा राजमार्ग की शासकीय भूमि के अंतर्गत आती है. वहीं कब्जे से स्थानीय प्रशासन अब तक अनजान नजर आ रहा है.

अमरकोट के किले पर कब्जा

ये किला मध्यप्रदेश में है, जिस पर राजस्थान से लाए दस्तावेजों के सहारे कब्जा करने की कोशिश हो रही है. कब्जा करने वाले मुरली मनोहर राजपुरोहित का कहना है कि ये किला उनके पुरखों का है और इससे जुड़े सारे दस्तावेज उनके पास हैं.

उन्होंने कहा कि ये किला आजादी के पहले राजस्थान की कोटा रियासत के अधीन था. मध्यप्रदेश के गठन के बाद ये किला मध्यप्रदेश में आया है. किले से जुड़े सारे दस्तावेज कोटा के पुरात्व विभाग द्वारा प्रमाणित हैं. उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश प्रशासन के पास किले का कोई भी रिकॉर्ड नहीं है. ये किला राजस्थान की सीमा से तीन किलोमीटर के अंदर मध्यप्रदेश की सीमा में स्थित है.

ग्राम पंचायत अमरकोट के सरपंच दाणुसिंह ने बताया कि किला 1200 साल से भी अधिक पुराना है और इस संबंध में प्रशासन को लिखित शिकायत करके मामले की जांच का अनुरोध भी करेंगे. एक अन्य ग्रामीण शहजाद खान के अनुसार किला मध्यप्रदेश में है और राजस्थान के दस्तावेजों के सहारे कोई इस पर अपना अधिकार नहीं बता सकता है. प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए.

Intro:आगर। प्रशासन की अनदेखी से आगर जिलें की सबसे ऐतिहासिक और पुरातात्विक 1200 साल पुरानी धरोहर अमरकोट के किलें पर कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया है। मजे की बात यह है कि यह किला मध्यप्रदेश के अंदर है और इस पर कोटा राजस्थान के कुछ लोगो ने अपने निजी स्वामित्व के बोर्ड लगा कर तथा दरवाजे लगाकर कब्जा कर लिया है। साथ ही इस किले से जूडी लगभग 2300 बीघा जमीन पर भी कब्जा करने के तहत इंदौर-कोटा राजमार्ग पर शासकीय भूमि पर अपने कब्जे का बोर्ड लगा दिया है। और स्थानीय प्रशासन इससे अनजान है। पिछले एक सप्ताह से कोटा के बुद्धिप्रकाश और मुरली मनोहर राजपुरोहित नाम के व्यक्ति इस किले पर कब्जा करके किले दरवाजे भी लगवाने का कार्य भी कर रहे है। साथ ही अपनी और से एक चोकीदार को नियुक्त करके उसके जिम्मै किले की देखरेख भी कर दी है। इस चोकीदार के द्वारा किले के अंदर सफाई कार्य भी करवाया जा रहा है।Body:राजस्थान के दस्तावेजो के सहारें मध्यप्रदेश के किले पर कब्जे की कोशिशे-

इस मामले में चोकाने वाली बात यह सामने आ रही है कि यह किला मध्यप्रदेश में है। और इस पर राजस्थान से लाए गए दस्तावेजों के सहारे कब्जा करने की काेशिशे हो रही है। कब्जा करने वाले मुरली मनोहर राजपुरोहित का कहना है कि उनके पूरखे इस किले के मालिक थे। और इससे जुडे सारे दस्तावेज उनके पास मौजूद है। यह किला देश की आजादी से पहले राजस्थान की कोटा रियासत के अधीन था। तथा मध्यप्रदेश के गठन के बाद यह किला मध्यप्रदेश में आ गया। किले से जुडे सारे दस्तावेज कोटा के पुरात्व विभाग द्वारा प्रमाणित है। और उनके पास है। मध्यप्रदेश के प्रशासन के पास इस किले का कोई भी रिकार्ड मौजूद नहीं है। उल्लेखीय है कि यह किला राजस्थान की सीमा से 3 किमी अंदर मध्यप्रदेश की सीमा में स्थित है। ग्राम पंचायत अमरकोट के सरपंच दाणुसिंह के अनुसार किला 1200 साल से भी अधिक पुराना है। और वे इस सम्बंध में प्रशासन को लिखित शिकायत करके मामले की जांच का अनुरोध भी करेंगे। एक अन्य ग्रामीण शेहजाद खांन के अनुसार किला मध्यप्रदेश में है। और राजस्थान के दस्तावेजो के सहारे कोई इस पर अपना अधिकार नही जता सकता है। प्रशासन को इस और ध्यान देना चाहिए।Conclusion:वर्ष 2008 में भी चर्चाओ में आया था किला

अमरकोट का यह किला जिसके अब अवशेष बचे है। 2008 में उस समय चर्चाओं में आया था जब पंजाब के सिक्ख समाज के कुछ लोग यहा आए थे। तथा उन्होने इस जगह को अपने गुरू गुरूनानक की जन्मस्थली बताते हुएं इस पर कब्जा करने का प्रयास किया था। उस समय ग्रामीणों ने पुलिस के सहयोग से उन्है यहा से भगा दिया था। इस बात की जानकारी लगने पर उज्जैन रेंज के तत्कालिन आईजी विपीन माहेश्वरी ने भी इस किले का निरीक्षण किया था। उसके बाद अब 2019 में यह किला एक बार सुर्खियां बन रहा है।

किले में दबे खजाने को तलाशने का भी हो सकता है षडयंत्र

क्षेत्रवासियों का मानना है कि अमरकोट के इस किलें में बडी मात्रा में खजाना दबा हुआ है। इस किलें की खुदाई में अमरकोट के कई ग्रामीणों को गढा हुआ धन भी मिला है। उस धन के सहारे वे आज इंदौर- जयपुर जैसी जगहों पर बिजनेस कर रहे है। इस किलें में दबे खजाने को तलाश करने के लिए भी किलें पर कब्जा करने का प्रयास हो सकता है।

इस सम्बंध में एसडीएम मनीष जैन का कहना है कि अमरकोट का किला मध्यप्रदेश शासन की सम्पत्ति है, इस पर कोई निजी कब्जा नहीं कर सकता है। कब्जा करने वाले को नोटीस जारी करके उनसे दस्तावेज मांगे जाएंगे। साथ ही दस्तावेजो की जांच के बाद आगे की कारवाई की जाएगी। तहसीलदार को जांच प्रतिवेदन देने के लिए आदेश दिए गए है।

विज्युअल-इस तरह किले की जमीन पर लगा दिया है निजी सम्पत्ति का बोर्ड
इंदौर-कोटा राजमार्ग से 2 किलोमीटर दूर अंदर है अमरकोट
गांव अमरकोट का प्रवेश द्वार
किले में स्थित है देवनरायण का मंदिर
इस तरह लगा दिया है कीले पर दरवाजा, किले की दीवार।
गांव में किले को लेकर चर्चा करते ग्रामीण।

बाईट- मुरली मनोहर राजपुरोहित, कोटा
बाईट- गोवर्धनसिंह, चोकीदार
बाईट-दाणुसिंह सरपंच, ग्राम पंचायत अमरकोट
बाईट- शेहजाद खांन, ग्रामीण अमरकोट
बाईट-मनीष जैन, एसडीएम, सुसनेर।
Last Updated : Oct 15, 2019, 3:00 PM IST
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