आगर मालवा। जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर स्थित बीजानगरी में स्थित मां हरसिद्धि देवी मंदिर में दो हजार साल से अखंड ज्योति जल रही है. ये मंदिर बीजानगरी और आसपास के इलाकों के लोगों की आस्था की केंद्र के रूप में प्रसिद्ध है. हरसिद्धि मंदिर के बारे में लोग बताते हैं कि राजा विक्रमादित्य के भांजे विजय सिंह ने इसे बनवाया था. विजय सिंह उज्जैन की मां हरसिद्धि के बड़े भक्त थे. देवी ने उन्हें सपने में आकर मंदिर बनवाने का आदेश दिया था. मां हरसिद्धि का प्रदेश में ये दूसरा मंदिर है, जो कि बीजानगरी में स्थित है, पहला मंदिर उज्जैन में है.
मां हरसिद्धि देवी के मंदिर के बारे में कई मान्यताएं प्रचलित हैं. कहा जाता है कि मंदिर में कई प्रकार के चमत्कार होते रहते हैं. हरसिद्धि माता के इस मंदिर में हरसिद्धि के साथ- साथ मां अन्नपूर्णा और कालका माता विराजित हैं. मंदिर के अंदर बाबा भैरव की प्रतिमा भी स्थापित है. मंदिर में आने वाले भक्तों को दिन में माता के तीन रूप दिखाई देते हैं. मां की मूर्ति में भक्तों को सुबह में बचपन का, दोपहर में युवावस्था और शाम में बुढ़ापे का रूप नजर आता है. मंदिर के पंडित रामचंद्र व्यास बताते हैं कि नवरात्रि और अन्य त्योहारों के मौके पर मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है.
नवरात्र में घटस्थापना के बाद से यहां पर नारियल नहीं फोड़ा जाता है. महाअष्टमी की पूजा के बाद ही नारियल फोड़ा जाता है. लोगों का मानना है कि बीजानगरी गांव में स्थित इस मंदिर की मूर्तियां कई साल पहले खुदाई के दौरान मिली थीं. इस मंदिर को मध्यप्रदेश पुरातत्व विभाग ने अपने अधीन रखा है, लेकिन रखरखाव के अभाव में मंदिर और यहां स्थापित मूर्तियां खराब हो रही हैं. पुरातत्व विभाग के अधीन होने के कारण स्थानीय ग्रामीण इस मंदिर का विकास कार्य नहीं करा पा रहे हैं.