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आगर मालवा: बीजानगरी के हरसिद्धि मंदिर में दो हजार साल से जल रही अखंड ज्योत

बीजानगरी में मां हरसिद्धि मंदिर है. इन दिनों मंदिर में नवरात्रि के कारण चहल- पहल ज्यादा है. स्थानीय मान्यता के अनुसार लगभग दो हजार साल पहले स्थापित इस मंदिर में आज भी अखंड ज्योत जल रही है.

हरसिद्धि मंदिर
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Published : Oct 7, 2019, 8:16 PM IST

आगर मालवा। जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर स्थित बीजानगरी में स्थित मां हरसिद्धि देवी मंदिर में दो हजार साल से अखंड ज्योति जल रही है. ये मंदिर बीजानगरी और आसपास के इलाकों के लोगों की आस्था की केंद्र के रूप में प्रसिद्ध है. हरसिद्धि मंदिर के बारे में लोग बताते हैं कि राजा विक्रमादित्य के भांजे विजय सिंह ने इसे बनवाया था. विजय सिंह उज्जैन की मां हरसिद्धि के बड़े भक्त थे. देवी ने उन्हें सपने में आकर मंदिर बनवाने का आदेश दिया था. मां हरसिद्धि का प्रदेश में ये दूसरा मंदिर है, जो कि बीजानगरी में स्थित है, पहला मंदिर उज्जैन में है.

मां हरसिद्धि देवी के मंदिर के बारे में कई मान्यताएं प्रचलित हैं. कहा जाता है कि मंदिर में कई प्रकार के चमत्‍कार होते रहते हैं. हरसिद्धि माता के इस मंदिर में हरसिद्धि के साथ- साथ मां अन्नपूर्णा और कालका माता विराजित हैं. मंदिर के अंदर बाबा भैरव की प्रतिमा भी स्थापित है. मंदिर में आने वाले भक्तों को दिन में माता के तीन रूप दिखाई देते हैं. मां की मूर्ति में भक्तों को सुबह में बचपन का, दोपहर में युवावस्था और शाम में बुढ़ापे का रूप नजर आता है. मंदिर के पंडित रामचंद्र व्यास बताते हैं कि नवरात्रि और अन्‍य त्‍योहारों के मौके पर मंदिर में भक्‍तों का तांता लगा रहता है.

नवरात्र में घटस्‍थापना के बाद से यहां पर नारियल नहीं फोड़ा जाता है. महाअष्‍टमी की पूजा के बाद ही नारियल फोड़ा जाता है. लोगों का मानना है कि बीजानगरी गांव में स्थित इस मंदिर की मूर्तियां कई साल पहले खुदाई के दौरान मिली थीं. इस मंदिर को मध्‍यप्रदेश पुरातत्‍व विभाग ने अपने अधीन रखा है, लेकिन रखरखाव के अभाव में मंदिर और यहां स्थापित मूर्तियां खराब हो रही हैं. पुरातत्‍व विभाग के अधीन होने के कारण स्थानीय ग्रामीण इस मंदिर का विकास कार्य नहीं करा पा रहे हैं.

आगर मालवा। जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर स्थित बीजानगरी में स्थित मां हरसिद्धि देवी मंदिर में दो हजार साल से अखंड ज्योति जल रही है. ये मंदिर बीजानगरी और आसपास के इलाकों के लोगों की आस्था की केंद्र के रूप में प्रसिद्ध है. हरसिद्धि मंदिर के बारे में लोग बताते हैं कि राजा विक्रमादित्य के भांजे विजय सिंह ने इसे बनवाया था. विजय सिंह उज्जैन की मां हरसिद्धि के बड़े भक्त थे. देवी ने उन्हें सपने में आकर मंदिर बनवाने का आदेश दिया था. मां हरसिद्धि का प्रदेश में ये दूसरा मंदिर है, जो कि बीजानगरी में स्थित है, पहला मंदिर उज्जैन में है.

मां हरसिद्धि देवी के मंदिर के बारे में कई मान्यताएं प्रचलित हैं. कहा जाता है कि मंदिर में कई प्रकार के चमत्‍कार होते रहते हैं. हरसिद्धि माता के इस मंदिर में हरसिद्धि के साथ- साथ मां अन्नपूर्णा और कालका माता विराजित हैं. मंदिर के अंदर बाबा भैरव की प्रतिमा भी स्थापित है. मंदिर में आने वाले भक्तों को दिन में माता के तीन रूप दिखाई देते हैं. मां की मूर्ति में भक्तों को सुबह में बचपन का, दोपहर में युवावस्था और शाम में बुढ़ापे का रूप नजर आता है. मंदिर के पंडित रामचंद्र व्यास बताते हैं कि नवरात्रि और अन्‍य त्‍योहारों के मौके पर मंदिर में भक्‍तों का तांता लगा रहता है.

नवरात्र में घटस्‍थापना के बाद से यहां पर नारियल नहीं फोड़ा जाता है. महाअष्‍टमी की पूजा के बाद ही नारियल फोड़ा जाता है. लोगों का मानना है कि बीजानगरी गांव में स्थित इस मंदिर की मूर्तियां कई साल पहले खुदाई के दौरान मिली थीं. इस मंदिर को मध्‍यप्रदेश पुरातत्‍व विभाग ने अपने अधीन रखा है, लेकिन रखरखाव के अभाव में मंदिर और यहां स्थापित मूर्तियां खराब हो रही हैं. पुरातत्‍व विभाग के अधीन होने के कारण स्थानीय ग्रामीण इस मंदिर का विकास कार्य नहीं करा पा रहे हैं.

Intro:आगर मालवा। जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर स्थित बीजानगरी में मां हरसिद्धि मंदिर में इन दिनों नवरात्रि के कारण चहल-पहल ज्यादा है. स्थानीय मान्यता के अनुसार, लगभग 2000 साल पहले स्थापित इस मंदिर में आज भी अखंड ज्योत जल रही है. यह ज्योति कभी नहीं बुझती. बीजानगरी और आसपास के इलाकों के लोगों की आस्था के केंद्र के रूप में प्रसिद्ध हरसिद्धि मंदिर के बारे में लोग बताते हैं कि राजा विक्रमादित्य के भानेज विजय सिंह ने इसे बनवाया था. विजय सिंह उज्जैन की मां हरसिद्धि के बड़े भक्त थे. देवी ने उन्हें सपने में आकर मंदिर बनवाने का आदेश दिया था. उसके बाद से माँ हरसिद्धि का यह प्रदेश में दूसरा मंदिर है जो कि बिजयनगरी में स्थित है, पहला मंदिर उज्जैन में है। यह मंदिर कितना प्राचीन है इसका तो पता नहीं, किन्तु पुरातत्व विभाग के अधिन यह मंदिर राज्य संरक्षक स्मारक है।Body:चमत्कारों की कहानी से बढ़ी आस्था

आगर मालवा जिले के ग्राम बीजानगरी में स्थित मां हरसिद्धि देवी के मंदिर के बारे में कई मान्यताएं प्रचलित हैं. कहा जाता है कि मंदिर में कई प्रकार के चमत्‍कार होते रहते हैं. हरसिद्धि माता के इस मंदिर में मां हरसिद्धि के साथ-साथ मां अन्नपूर्णा और कालका माता विराजित हैं. मंदिर के अंदर बाबा भैरव की प्रतिमा भी स्थापित है. गांव के बुजुर्गों के अनुसार यहां पर लगभग 2000 वर्षों से अखण्‍ड ज्‍योत प्रज्‍वलित है. मंदिर में आने वाले भक्तों को दिन में माता के 3 रूप दिखाई देते हैं. मां की मूर्ति में भक्तों को सुबह में बचपन का, दोपहर में युवावस्था और शाम में बुढ़ापे का रूप नजर आता है. मंदिर के पंडित रामचंद्र व्यास बताते हैं कि नवरात्रि और अन्‍य त्‍योहारों के मौके पर मंदिर में भक्‍तों का तांता लगा रहता है. यह भी कहा जाता है कि राजा विजय सिंह मंदिर में दर्शन किए बिना कभी भी भोजन नहीं करते थे. इन कहानियों से मंदिर के प्रति लोगों की आस्था बढ़ गई है.Conclusion:हर महीने डेढ़ क्विंटल तेल की खपत

ग्रामीणों के अनुसार मां हरसिद्धि देवी के मंदिर में वर्षों से अखंड ज्योत जल रही है. इसे जलाए रखने के लिए हर महीने कुल डेढ़ क्विंटल तेल लगता है. नवरात्रि के दौरान मंदिर में तेल की खपत बढ़ जाती है. इन 10 दिनों में लगभग 10 क्विंटल तेल लगता है. मान्‍यता है कि भक्‍त कोई मन्‍नत मांगते हैं तो वे गोबर से उल्‍टा सातियां बनाते हैं. मन्नत पूरी होने के बाद भक्‍त मंदिर में दोबारा आकर उसे सीधा बनाते हैं. नवरात्र में घटस्‍थापना के बाद से यहां पर नारियल नहीं फोड़ा जाता है. महा-अष्‍टमी की पूजा के बाद ही नारियल फोड़ा जाता है.

खुदाई के दौरान मिली थीं मूर्तियां

स्थानीय लोगों के अनुसार बीजानगरी गांव में स्थित इस मंदिर की मूर्तियां कई साल पहले खुदाई के दौरान मिली थीं. इस मंदिर को मध्‍यप्रदेश पुरातत्‍व विभाग ने अपने अधीन रख रखा है, लेकिन रखरखाव के अभाव में मंदिर और यहां स्थापित मूर्तियां खराब हो रही हैं. पुरातत्‍व विभाग के अधीन होने के कारण स्थानीय ग्रामीण इस मंदिर का विकास कार्य नहीं करा पा रहे हैं. इसको लेकर लोगों ने अफसोस जताया. लोगों ने बताया कि गांव में कुएं या घरों की खुदाई के दौरान भी अब भी कई बार पुरातात्विक महत्व की प्राचीन मूर्तियां निकलती हैं.

विज्युअल- बिजानगरी के हरसिद्धी मंदिर में विराजित मां हरसिद्धी।
मंदिर परिसर व मूर्तियांे व अन्य का।
बाईट- पंडित रामप्रसाद व्यास, पुजारी हरसिद्धी माता मंदिर बीजानगरी।
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