उज्जैन। महाकाल मंदिर के कुछ पुजारियों और सेवादारों ने जिला कलेक्टर को पत्र लिखकर मंदिर के कुछ अधिकारियों की शिकायत की है. उन्होंने शिकायत में लिखा है कि मंदिर के वरिष्ठ अधिकारी उन्हें प्रताड़ित कर रहे हैं. जिसपर प्रशासक ने दोनों पक्षों को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा था, लेकिन इससे मामला और उलझ गया है. दोनों ही पक्षों ने जवाब देने से इनकार कर दिया है. इनका कहना है कि हम कलेक्टर के आधीन हैं मंदिर प्रशासक के नहीं. वे कैसे नोटिस जारी कर सकते हैं. बाबा महाकाल के धाम में तमाम व्यवस्थाएं मंदिर प्रबंधन समिति और प्रशासनिक अधिकारियों की देखरेख में होती है. मंदिर के प्रशासक के अधीन ही मंदिर के कर्मचारी, अधिकारी और पंडे पुजारी रहते हैं. मंदिर समिति के अध्यक्ष कलेक्टर होते हैं. मंदिर के कर्मचारियों की प्रताड़ना का मामला सामने आने के बाद यह विवाद और बढ़ गया है.
शिकायत पर मंदिर प्रशासक ने दिया था नोटिस: मंदिर के कर्मचारियो अनीता शर्मा, मनीषा चावरे, ज्योति चौहान, राजेन्द्र कौशल ने मिलकर प्रशासक गणेश धाकड़ को लिखित शिकायत की थी. जिसमें उन्होंने मंदिर के ही अन्य अधिकारियों अभिषेक भार्गव और रजनी खैर पर प्रताड़ना का आरोप लगाया था. जिसे गम्भीरता से लेते हुए मंदिर प्रशासक ने समिति का गठन किया और दोनो को जवाब दो समिति के माध्यम से नोटिस भेजा गया. दोनो पक्षों ने पत्र का जवाब ना देते हुए कहा कि हम कलेक्टर के अधीन है मंदिर प्रशासक के नहीं. कलेक्टर समिति गठित करें और हमें नोटिस भेजें तभी हम जवाब देंगे. इनमें से एक आरोपित कर्मचारी रजनी खैर ने कलेक्टर कार्यालय में अपना पक्ष रखते हुए दूसरे पक्ष के खिलाफ शिकायत कर दी. पूरे मामले में संज्ञान लेते हुए कलेक्टर आशीष सिंह ने एसडीएम के निर्देशन में कमेटी गठित कर जांच के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा है कि पूरे मामले में जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की जाएगी.
क्या कहते हैं मंदिर के नियम: श्री महाकालेश्वर मंदिर के लिए शासन द्वारा निर्धारित मंदिर अधिनियम की धारा 18(1) में स्पष्ट है कि समस्त पुजारी पंडित सेवक और कर्मचारी जो मंदिर से संबंधित है या जिन्हें मंदिर से कोई उपलब्धियां या परिलब्धियां प्राप्त होती है और समस्त अनुज्ञप्ति धारी प्रशासक (जिला कलेक्टर) के नियंत्रण के अधीन होंगे.