उज्जैन। राजस्थान के दौसा में प्रसूता की मौत के बाद देश भर के डॉक्टर आहत हैं. आरोपों से परेशान स्त्री रोग विशेषज्ञ पर हत्या का प्रकरण दर्ज होने और प्रेशर में आकर आत्महत्या करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. महिला डॉ. को श्रद्धांजलि देने के उद्देश्य से और आगे से किसी भी डॉक्टर पर हत्या की धारा 302 में केस दर्ज न किया जाए. इन सभी मांगों को लेकर उज्जैन जिला चिकित्सालय के तमाम डॉक्टर्स ने आज 1 घंटे तक ओपीडी बंद रख प्रदर्शन किया. काली पट्टी बांधकर डॉक्टर्स ने कहा कि हम डॉक्टर कितने प्रेशर में रहकर कार्य करते हैं. एक स्त्री रोग विशेषज्ञ को सालों लग जाते हैं विशेषज्ञ बनने में, कोई भी डॉक्टर किसी को मारने के उद्देश्य से काम नहीं करता है, बचाने के उद्देश्य से ही काम करता है. अगर डॉक्टरों पर धारा 302 लगने लगेगी तो डॉक्टर बिना स्ट्रेस के कैसे काम कर पाएंगे.
डॉक्टरों ने मीडिया से की चर्चा: डॉक्टर्स ने चर्चा करते हुए कहा कि बिना मेडिकल के कैसे स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अर्चना शर्मा पर हत्या का प्रकरण पंजीबद्ध कर लिया गया, कैसे बिना जांच के महिला डॉक्टर पर हत्या का आरोप लगाया गया. उसका भी अपना एक परिवार था और अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले समय में यह एक बड़ी चिंता का विषय हो जाएगा. शासन को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए, हम आज प्रधानमंत्री जी के नाम ज्ञापन सौंप निष्पक्ष जांच की मांग करते हैं.
राजस्थान के दौसा जिले का है मामला: राजस्थान के दौसा जिले में प्रसूता की मौत के बाद लापरवाही का केस होने पर महिला स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अर्चना शर्मा ने खुदकुशी कर ली थी. अर्चना शर्मा एक गोल्ड मेडलिस्ट डॉक्टर भी थी. कई और ऐसे जिम्मेदार लोगों पर आरोप है कि, जिन्होनें अर्चना पर दबाव बनाया. जिसके चलते उन्होंने आत्महत्या का कदम उठाया. डॉ अर्चना ने 22 वर्षीय आशा बेरवा नामक महिला की चौथी डिलीवरी के केस की जिम्मेवारी उठाई थी, लेकिन महिला डॉक्टर आशा को बचा नहीं पाई और उसके बाद यह बड़ा बवाल खड़ा हुआ जिसमें खुद अर्चना शर्मा डॉक्टर को आत्महत्या जैसा कदम उठाना पड़ा.