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Shanichari Amavasya 2022 शनिचरी अमावस्या आज, इन टोटकों के करने से होगा लाभ, जानिए पूजा विधि

शनिचरी अमावस्या पर महाकाल की नगरी उज्जैन में आस्था का जनसैलाब उमड़ेगा. शनि महाराज को पगड़ी पहनाई जाएगी. क्षिप्रा के घाटों पर श्रद्धालु स्नान कर दान पुण्य करेंगे साथ ही अपने वस्त्र और जूते, चप्पल भी वहीं छोड़ देंगे. जिसे बाद में प्रशासन के जरिए इनकी नीलामी की जाएगी. माना जाता है कि राजा विक्रमादित्य ने प्रजा के गृहों की दशा सुधारने के लिए शनि देव से इस स्थान पर नवग्रह के साथ विराजने का आह्वान किया था. Shanichari Amavasya 2022, Ujjain Navagraha temple Lord Shani

Shanichari Amavasya 2022
शनिचरी अमावस्या 2022
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Published : Aug 26, 2022, 10:23 PM IST

Updated : Aug 27, 2022, 8:17 AM IST

उज्जैन। शनिवार को शनिचरी अमावस्या के मौके पर उज्जैन के सांवेर रोड स्थित शनि नवग्रह मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है. मान्यता है कि भगवान शनि का जन्म भी अमावस्या के दिन हुआ था. इस मौके पर भगवान शनि के दर्शन लाभ लेने से पहले श्रद्धालु मंदिर के पास बहती क्षिप्रा के घाटों पर परम्परा अनुसार स्नान करते हैं और अपने जूते, चप्पल और पुराने कपड़े वहीं छोड़ देते हैं. इसको फिर नगर निगम उज्जैन एकत्रित कर बोली लगाता है. मंदिर के पुजारी का कहना है कि, ये एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां शनि और नवग्रह शिवरूप में विराजमान हैं. मंदिर में भगवान गणेश, शनि की दशा साढ़े साती, और ढैय्या की प्रतिमा भी विराजित है. इसके पीछे मान्यता है कि राजा विक्रमादित्य ने प्रजा के गृहों की दशा सुधारने के लिए शनि देव से इस स्थान पर नवग्रह के लिए आवाहन किया था. जिला कलेक्टर के अनुसार श्रद्धालुओं के सुगमता से दर्शन हो सके इसके लिए पूरी तरह तैयारियां कर ली गई है. (Shanichari Amavasya 2022)

उज्जैन नवग्रह मंदिर भगवान शनि

राजा रूप में दर्शन देंगे शनि देव: पुजारी जितेंद्र बैरागी के अनुसार आज भी राजा रूप में भगवान का श्रृंगार पूजन अर्चन होता है, क्योंकि एक वक्त पहले राजा विक्रमादित्य यहां देर रात पूजन किया करते थे. जिले के कलेक्टर राजा होते हैं, इसलिए वे देर रात पूजन करते हैं. अमावस्या तिथि लगते ही दर्शन को भक्त उमड़ेंगे. शनि देव को राजा रूप में पगड़ी पहनाई जाएगी. एसपी सत्येंद्र कुमार शुक्ल ने बताया कि, श्रद्धालुओं की सुरक्षा व्यवस्था में 400 पुलिस जवानों की तैनाती की गई है. बारिश और बाढ़ की वजह से नदी नाले उफान पर हैं, ऐसे में घाटों पर श्रद्धालुओं के लिए प्रशासन की तरफ से फव्वारे लगाए गए है, जहां तैराल दल और होमगार्ड के जवान भी तैनात रहेंगे.(Ujjain Navagraha temple Lord Shani)

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शनि की पूजा से मिलता है लाभ: पुजारी जितेंद्र बैरागी ने बताया कि अमावस्या के दिन शनि महाराज का जन्म हुआ था. शनिवार के दिन जो अमावस्या होती है उसे शनिचरी अमावस्या कहा गया है. राजा विक्रमादित्य के शासन काल के इस मंदिर में दशा पूजन का महत्व है. दावा किया गया है कि यहां के अलावा किसी मंदिर में दशा पूजन नहीं होता है. यहां गणेश जी, हनुमान जी साढे साती और ढैय्या की दशा एक साथ विराजमान हैं. यहां राजा को भगवान से आशीर्वाद और वरदान मिला था कि जो भी भक्त मंदिर में आएगा उसका हर कष्ट निवारण होगा. इसलिए यहां बड़े हर्ष उल्लास के साथ भक्त पहुंचते है और आशीर्वाद लेते हैं. इस दिन स्नान और दान का भी विशेष महत्व होता है. शनिवार के दिन अमावस्या की तिथि पड़ने के कारण इस दिन शनि देव की पूजा करने से विशेष शांति मिलती है. जिन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या चल रही वे शनि देव की पूजा करें. पितृ दोष, काल सर्प योग, अशुभ गृह योग सहित अन्य कठनाईयों से निवारण के लिए इस दिन शनिदेव की पूजा से लाभ मिलता है.

उज्जैन। शनिवार को शनिचरी अमावस्या के मौके पर उज्जैन के सांवेर रोड स्थित शनि नवग्रह मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है. मान्यता है कि भगवान शनि का जन्म भी अमावस्या के दिन हुआ था. इस मौके पर भगवान शनि के दर्शन लाभ लेने से पहले श्रद्धालु मंदिर के पास बहती क्षिप्रा के घाटों पर परम्परा अनुसार स्नान करते हैं और अपने जूते, चप्पल और पुराने कपड़े वहीं छोड़ देते हैं. इसको फिर नगर निगम उज्जैन एकत्रित कर बोली लगाता है. मंदिर के पुजारी का कहना है कि, ये एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां शनि और नवग्रह शिवरूप में विराजमान हैं. मंदिर में भगवान गणेश, शनि की दशा साढ़े साती, और ढैय्या की प्रतिमा भी विराजित है. इसके पीछे मान्यता है कि राजा विक्रमादित्य ने प्रजा के गृहों की दशा सुधारने के लिए शनि देव से इस स्थान पर नवग्रह के लिए आवाहन किया था. जिला कलेक्टर के अनुसार श्रद्धालुओं के सुगमता से दर्शन हो सके इसके लिए पूरी तरह तैयारियां कर ली गई है. (Shanichari Amavasya 2022)

उज्जैन नवग्रह मंदिर भगवान शनि

राजा रूप में दर्शन देंगे शनि देव: पुजारी जितेंद्र बैरागी के अनुसार आज भी राजा रूप में भगवान का श्रृंगार पूजन अर्चन होता है, क्योंकि एक वक्त पहले राजा विक्रमादित्य यहां देर रात पूजन किया करते थे. जिले के कलेक्टर राजा होते हैं, इसलिए वे देर रात पूजन करते हैं. अमावस्या तिथि लगते ही दर्शन को भक्त उमड़ेंगे. शनि देव को राजा रूप में पगड़ी पहनाई जाएगी. एसपी सत्येंद्र कुमार शुक्ल ने बताया कि, श्रद्धालुओं की सुरक्षा व्यवस्था में 400 पुलिस जवानों की तैनाती की गई है. बारिश और बाढ़ की वजह से नदी नाले उफान पर हैं, ऐसे में घाटों पर श्रद्धालुओं के लिए प्रशासन की तरफ से फव्वारे लगाए गए है, जहां तैराल दल और होमगार्ड के जवान भी तैनात रहेंगे.(Ujjain Navagraha temple Lord Shani)

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शनि की पूजा से मिलता है लाभ: पुजारी जितेंद्र बैरागी ने बताया कि अमावस्या के दिन शनि महाराज का जन्म हुआ था. शनिवार के दिन जो अमावस्या होती है उसे शनिचरी अमावस्या कहा गया है. राजा विक्रमादित्य के शासन काल के इस मंदिर में दशा पूजन का महत्व है. दावा किया गया है कि यहां के अलावा किसी मंदिर में दशा पूजन नहीं होता है. यहां गणेश जी, हनुमान जी साढे साती और ढैय्या की दशा एक साथ विराजमान हैं. यहां राजा को भगवान से आशीर्वाद और वरदान मिला था कि जो भी भक्त मंदिर में आएगा उसका हर कष्ट निवारण होगा. इसलिए यहां बड़े हर्ष उल्लास के साथ भक्त पहुंचते है और आशीर्वाद लेते हैं. इस दिन स्नान और दान का भी विशेष महत्व होता है. शनिवार के दिन अमावस्या की तिथि पड़ने के कारण इस दिन शनि देव की पूजा करने से विशेष शांति मिलती है. जिन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या चल रही वे शनि देव की पूजा करें. पितृ दोष, काल सर्प योग, अशुभ गृह योग सहित अन्य कठनाईयों से निवारण के लिए इस दिन शनिदेव की पूजा से लाभ मिलता है.

Last Updated : Aug 27, 2022, 8:17 AM IST
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