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लोकसभा चुनाव से पहले फिर निकला आरक्षण का जिन्न, सपाक्स ने शुरू किया विरोध - मध्य प्रदेश

आगामी लोकसभा चुनाव से पहले मध्यप्रदेश में आरक्षण का मुद्दा गरमाया हुआ है. जिसके चलते 27 साल से आरक्षण का विरोध कर रही सपाक्स एक बार फिर मैदान में उतर चुकी हैं.

सपाक्स ने किया आरक्षण का विरोध
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Published : Mar 6, 2019, 10:58 PM IST

उज्जैन। पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में मुंह की खाने के बाद केंद्र सरकार ने गरीब सवर्णों के लिए 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था दी, उसके बाद बीजेपी शासित राज्यों में इसे लागू भी कर दिया गया, अब कमलनाथ सरकार ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आरक्षण के जरिए सवर्णों के साथ-साथ पिछड़ों को भी साधने की कोशिश की है.

पिछले साल संपन्न हुए चुनावों में आरक्षण का मुद्दा छाया रहा, अब लोकसभा चुनाव में भी आरक्षण सबसे बड़ा मुद्दा बन सकता है. पिछले 27 सालों से आरक्षण का विरोध कर रही सपाक्स ने मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की लुटिया डुबा दी. वहीं, एसएसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट द्वारा किये गये संसोधन को केंद्र सरकार ने अध्यादेश के जरिये पलट दिया था, जिसके विरोध में वोटरों ने चुनाव में बीजेपी का तख्तापलट कर दिया था. फिलहाल लोकसभा चुनाव सामने है, इससे पहले मोदी सरकार ने सामान्य वर्ग को 10% आरक्षण दिया था. अब कमलनाथ सरकार पिछड़े वर्ग को लुभाने की कोशिश कर रही है, जिसमें 27% आरक्षण की बात कही गई है. इसी मुद्दे को लेकर सपाक्स एक बार फिर विरोध के मूड में है.

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सपाक्स ने कियाआरक्षण का विरोध

सपाक्स के नेता हीरालाल त्रिवेदी का कहना है कि विधानसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने जातिगत आरक्षण का विरोध किया था. इस बार भी वही बात दोहराते हुए उन्होंने कहा कि आरक्षण आर्थिक आधार पर रखा जाए और एक परिवार को एक ही बार लाभ दिया जाए. बात चाहे कांग्रेस की हो या बीजेपी की, दोनों ही इस तरह के आरक्षण की बात करके लोगों को गुमराह कर रही हैं. सामान्य वर्ग को आरक्षण देने से बीजेपी को फायदा होगा, पिछड़े वर्ग का आरक्षण बढ़ाने से कांग्रेस को फायदा होगा, लेकिन प्रदेश की जनता को कोई लाभ नहीं मिल रहा है. लोकसभा चुनाव को देखते हुए जनता को लॉलीपॉप दिया जा रहा है.

उज्जैन। पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में मुंह की खाने के बाद केंद्र सरकार ने गरीब सवर्णों के लिए 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था दी, उसके बाद बीजेपी शासित राज्यों में इसे लागू भी कर दिया गया, अब कमलनाथ सरकार ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आरक्षण के जरिए सवर्णों के साथ-साथ पिछड़ों को भी साधने की कोशिश की है.

पिछले साल संपन्न हुए चुनावों में आरक्षण का मुद्दा छाया रहा, अब लोकसभा चुनाव में भी आरक्षण सबसे बड़ा मुद्दा बन सकता है. पिछले 27 सालों से आरक्षण का विरोध कर रही सपाक्स ने मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की लुटिया डुबा दी. वहीं, एसएसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट द्वारा किये गये संसोधन को केंद्र सरकार ने अध्यादेश के जरिये पलट दिया था, जिसके विरोध में वोटरों ने चुनाव में बीजेपी का तख्तापलट कर दिया था. फिलहाल लोकसभा चुनाव सामने है, इससे पहले मोदी सरकार ने सामान्य वर्ग को 10% आरक्षण दिया था. अब कमलनाथ सरकार पिछड़े वर्ग को लुभाने की कोशिश कर रही है, जिसमें 27% आरक्षण की बात कही गई है. इसी मुद्दे को लेकर सपाक्स एक बार फिर विरोध के मूड में है.

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सपाक्स ने कियाआरक्षण का विरोध

सपाक्स के नेता हीरालाल त्रिवेदी का कहना है कि विधानसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने जातिगत आरक्षण का विरोध किया था. इस बार भी वही बात दोहराते हुए उन्होंने कहा कि आरक्षण आर्थिक आधार पर रखा जाए और एक परिवार को एक ही बार लाभ दिया जाए. बात चाहे कांग्रेस की हो या बीजेपी की, दोनों ही इस तरह के आरक्षण की बात करके लोगों को गुमराह कर रही हैं. सामान्य वर्ग को आरक्षण देने से बीजेपी को फायदा होगा, पिछड़े वर्ग का आरक्षण बढ़ाने से कांग्रेस को फायदा होगा, लेकिन प्रदेश की जनता को कोई लाभ नहीं मिल रहा है. लोकसभा चुनाव को देखते हुए जनता को लॉलीपॉप दिया जा रहा है.

Intro:2018 में हुए विधानसभा चुनाव से आरक्षण का मुद्दा राजनीति में काफी गरमाया हुआ है


Body:2018 में हुए विधानसभा चुनाव से आरक्षण का मुद्दा राजनीति में काफी गरमाया हुआ है अब लोकसभा चुनाव आने को है इस बार इसकी शुरुआत मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने की है 27 साल से आरक्षण के विरोध को लेकर सपा एक बार फिर मैदान में


Conclusion:विधानसभा और लोकसभा चुनाव इस बार आरक्षण का मुद्दा भी हम हैं सपाक्स के विरोध के बाद बीजेपी मध्य प्रदेश राजस्थान और सहित छत्तीसगढ़ मैं अपनी सत्ता से हाथ धो बैठे लोकसभा चुनाव सर पर है इससे पहले मोदी ने सामान्य वर्ग को 10% आरक्षण देकर एक कालि पा दे दिया है अब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पिछड़ा वर्ग को लोहानी ऑफर दे रहे इसमें 27% आरक्षण की बात कर रहे इसी मुद्दे को लेकर सपा एक बार फिर विरोध के मैदान में उतर आई है सपाक्स के हीरालाल त्रिवेदी का कहना है की विधानसभा चुनाव के दौरान भी हमने जातिगत आरक्षण का विरोध किया था इस बार भी वही बात कर रहे हैं कि आरक्षण आर्थिक आधार पर रखा जाए और एक परिवार को एक ही बार लाभ दिया जाए उन्होंने कहा कि बात चाहे कांग्रेस की हो या बीजेपी की दोनों ही जनता को भगाने का काम कर रहे हैं और इसी तरह आरक्षण की बात करके लोगों को गुमराह कर रहे हैं क्योंकि जब प्रकरण सुप्रीम कोर्ट में जाएगा तो कहीं ना कहीं इससे तो बेरोजगारी और अन्य मुद्दों पर ध्यान दिया जाना जरूरी है केंद्र ने 10 परसेंट आरक्षण आर्थिक आधार पर दिया है ऐसे ही आरक्षण अन्य जातिगत रूपो पर भी तय किया जाना चाहिए


बाइट--- हीरालाल त्रिवेदी सपाक्स उज्जैन
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