झाबुआ/उज्जैन। इंसानों के बाद अब जानवरों पर भी कुदरत का कहर बरसने लगा है. खासकर यह कहर गोवंशीय पशुओं पर लंपी वायरस के नाम से बरस रहा है. उत्तर प्रदेश, राजस्थान और गुजरात के बाद अब खतरनाक वायरस ने मध्य प्रदेश (MP Lumpy Virus Cases), खासकर में भी अपनी दस्तक दे दी है. यह वायरस, कोरोना और मंकी पाक्स से भी ज्यादा घातक इसलिए माना जा रहा है क्योंकि सामान्यतया इसका असर तो दुधारू जानवरों में होता है लेकिन उस जानवर का दूध पीने वाले बच्चों एवं युवाओं को भी उससे खतरा हो सकता है. इस खतरनाक वायरस के कारण पशुपालकों में हड़कंप मचा हुआ है.सबसे बड़ी चौकानें वाली बात यह है कि इसका कनेक्शन अपने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से माना जा रहा है. झाबुआ के साथ-साथ उज्जैन जिले के सीमावर्ती गांव में लंपी वायरस का एक मामला प्रकाश में आया था, जिसके चलते जिला प्रशासन का सम्पूर्ण महकमा अलर्ट मोड में आ गया है.हालांकि इस एक केस के अलावा अन्य कोई मामला सामने नहीं आया है. (pakistan spreads lumpy virus India) (mp government advisory on cattle virus)
सैकड़ों मवेशियों की हो चुकी है मौतः इस वायरस की चपेट में आने से सीमावर्ती गुजरात और राजस्थान में सैकड़ों गोवंशीय पशुओं की मौत हो चुकी है. जिसके चलते गुजरात और राजस्थान के बाद अब मप्र सरकार भी अलर्ट हो गई हैं. पाकिस्तान से इस वायरस के कनेक्शन की पुष्टि कृषि विज्ञान केन्द्र के पशु वैज्ञानिक डॉ चंदन कुमार ने की है. उनका मानना है कि ये बीमारी पश्चिम क्षेत्र यानी पाकिस्तान की तरफ से राजस्थान के जैसलमेर और बाड़मेर होती हुई गुजरात के बाद अब मप्र तक आ पहुंची है. शासन और प्रशासन दोनों इस बीमारी को लेकर अलर्ट मोड में हैं. हालांकि इससे निपटने को लेकर अभी तक कोई पुख्ता तैयारी सामने नजर नहीं आ रही है. फौरी और ऊपरी तौर पर कुछ दिशा-निर्देश अवश्य जारी किए गए हैं लेकिन वायरस की भयावता को देखते हुए पशु पालकों में खौफ का माहौल है।
एक अन्य खबर के अनुसार राजस्थान की सीमा से सटे मंदसौर जिले में अब पशुओं में लंपी वायरस और इंसानों में स्क्रब टायफस जैसी बीमारियों के अचानक प्रकोप से एक तरफ प्रशासनिक अमला चिंता में है. वहीं दूसरी तरफ ग्रामीणों ने भी इसे देवी प्रकोप मानते हुए परंपरागत टोने-टोटके शुरू कर दिए हैं. गरोठ ब्लाक के ग्राम ढाबला गुर्जर में ऐसे ही एक मामले में बीती रात ग्रामीणों ने एक मशाल जुलूस निकाला. रात 8 बजे के बाद पूरे गांव में बिजली बंद कर दी गई और माहौल पूरी तरह शांत कर दिया गया. इसके बाद हर घर से एक इंसान अपने दोनों हाथों में मशाल लेकर निकला था. सरकारी आंकड़ों की माने तो अभी तक देश में करीब 2100 दुधारू पशुओं की मौत हो चुकी है जबकि करीब चार लाख मवेशी इस वायरस की चपेट में बताये जा रहे हैं. बीमारी के लक्षण नजर आने पर सैंपल लेकर राज्य पशु रोग अन्वेषण प्रयोगशाला भेजे जायेंगे. लिहाजा झाबुआ जिला प्रशासन भी अलर्ट मोड पर है. एतिहात के तौर पर सीमावर्ती क्षेत्र गुजरात और राजस्थान से आने वाले पशुओं की बॉर्डर पर ही जांच की जा रही है. (lumpy virus infects cattles india)
झाबुआ जिले में पांच लाख से अधिक पशुः बीसवीं पशु गणना के अनुसार झाबुआ जिले में गोवंशीय पशुओं की संख्या 4 लाख 30 हजार 840 है. वहीं दुधारू भैसों की संख्या 1 लाख 32 हजार 650 है. उज्जैन जिले में खाचरोद तहसील का गांव कनवास जो की रतलाम जिले के बॉर्डर से लगा है, इसमें 13 अगस्त शनिवार को लंपि वायरस का पहला संदिग्ध मामला सामने आया था. इसके बाद से ही जिला प्रशासन अलर्ट मोड में है. इस मामले में जिला कलेक्टर आशीष सिंह ने संज्ञान लिया था और 14 अगस्त से गांव में और उसके आस-पास के इलाकों में टीकाकरण के आदेश जारी किए थे. हालांकि इस केस के 15 दिनों बाद तक कोई अन्य मामला सामने नहीं आया. बावजूद इसके करीब 3000 पशुओं का टीकाकरण कर दिया गया है. लेकिन टीकाकरण के बावजूद भी इसके लक्षण फैलते जाते हैं. खाचरोद नागदा के पशु चिकित्सा ब्लॉक ऑफिसर विक्रम खराडे के अनुसार अब तक 36 गांवो में यह वायरस फैल चुका है जहां पर गांव के 10 किलोमीटर के अंतराल में टीकाकरण का कार्य लगातार जारी है और सभी पशु मालिकों को संदिग्ध पशुओं को अलग रखने (कोरेंटाइन) के निर्देश दिए हैं. जैसे ही रिपोर्ट आती है उसके अनुसार आगे उपचार दिया जाएगा.
क्या है लंपी वायरस के कारण और लक्षणः
1-पशु वैज्ञानिक डॉ चंदन कुमार और पशु चिकित्सक डॉ दिवाकर के अनुसार यह रोग एक वायरस के चलते मवेशियों में फैलता है.
2-इसे गांठदार त्वचा रोग वायरस कहा जाता है. फिलहाल इस बीमारी का कोई उपचार नहीं है.
3-डॉ चंदन कुमार के अनुसार इस बीमारी में पहले पशुओं की स्किन पर नर्म गांठे बन जाती हैं.
4-वायरस फैलने का एक बड़ा कारण मक्खी और मच्छर को भी माना जा सकता है.
रोकथाम के उपायः (symptoms of lumpy virus)
1-पशुओं को इससे प्रभावित क्षेत्र में जाने से रोकना होगा.
2-बीमारी से बचाव के लिए पशुओं को एंटीबायोटिक और एंटी इन्फ्लेमेटरी दवाई दी जाती है.
4- साथ ही बीमार पशुओं के शरीर पर उभरे चकत्तों पर नीम और हल्दी का लेप लगाया जाता है.
राहत की बात: अच्छी बात यह है कि अभी तक की स्टडी में लंपी वायरस से बीमार पशु का दूध पीने से इंसान पर किसी तरह के कोई प्रभाव का मामला सामने नहीं आया है.
झाबुला जिले में भी अभी तक कोई केस सामने नहीं आया है फिर भी सभी ओर डर का साया है. पशु पालक सतर्क हैं और बताये गए सुरक्षा उपायों पर अमल कर रहे हैं.
कोटःः हमने विभाग के मैदानी अमले को अलर्ट कर दिया है. गुजरात और राजस्थान की सीमा से आने वाले पशुओं की पहले वहीं पर जांच की जा रही है. पशु पालकों से भी कहा गया है कि वे बीमारी के लक्षण नजर आने पर तत्काल विभाग को सूचना दें.
--डॉ विल्सन डावर, उप संचालक, पशु चिकित्सा सेवाएं, झाबुआ
कोराेना के जनक चीन पर भी शक: वैसे तो लंपी वायरस के लिए प्रारंभिक रूप से पाकिस्तान को भी जिम्मेदार माना जा रहा है. लेकिन इसके पीछे कोराेना के जनक चीन का हाथ होने से भी इंकार नहीं किया जा सकता है. चूंकि चीन पर पूरी दुनिया ने कोराेना फैलाने का दोष मढ़ा था, इसलिए संभावना है कि इस बार चीन ने स्वयं को पाक साफ दिखाने के लिए अपनी ही जैसी मानसिकता वाले एवं काफी हद तक आधीन पाकिस्तान को टूल के रूप में इस्तेमाल करते हुए इस नये वायरस को फैलाया हो. चूंकि कोराना वायरस के लिए भी चीन के खिलाफ पुख्ता सुबूत नहीं मिले थे. (pakistan spreads lumpy virus India) (mp me lumpy virus ke kitne case hai) (lumpy virus infects cattles india) (lumpy virus cases in ujjain jhabua mandsaur)