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मांझे ने परिंदों से छीना उड़ने का हक, युवक ने उठाया बेजुबानों की जान बचाने का बीड़ा

पतंगबाजी का खतरनाक खेल सैकड़ों परिंदों से उनके उड़ने का हक छीन रहा है. धारदार (birds injured during kite flying ) मांझे न सिर्फ बेजुबां परिंदों को घायल कर रहे बल्कि कई की जान तक ले ली है. उज्जैन में एक व्यक्ति ऐसा है जिसने पक्षियों की जान बचाने का बीड़ा उठाया है, वह अब तक 4 से अधिक पक्षियों की जान बचा चुका है.

kite string being killed birds
पक्षियों के हमदर्द ओम योगी
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Published : Jan 23, 2022, 11:09 PM IST

उज्जैन। मकर संक्रांति के अवसर पर लोग जमकर पतंगबाजी करते हैं, जिसमें काफी (birds injured during kite flying) लोगों द्वारा चाइनिज डोर का भी प्रयोग किया जाता है. एक-दूसरे को हराने की होड़ हर साल पक्षियों पर भारी पड़ जाती है. आसमान में उड़ती पतंग इन पक्षियों को घायल कर उन्हें जीवन भर के लिए अपंग बना देती हैं. अपनी खुशियों के लिए हम जाने अनजाने में ही यह भयंकर गलती साल दर साल दोहराते जा रहे हैं. उज्जैन में एक शख्स ऐसा भी है जो इन बेजुबानों के बारे में सोचना भी है, उनसे प्यार भी करता है और जरूरत पड़ने पर उनका ​इलाज भी करता है. इस शख्स का नाम ओम योगी है.

पक्षियों को बचाने का काम कर हरे ओम योगी

अब तक बचाई सैंकड़ों पक्षियों की जान
महाकाल मंदिर समिति में दिव्यांगों को ट्राय साइकिल पर बैठाकर भगवान महाकाल के दर्शन कराने वाले युवक ओम योगी ने पिछले 10 दिनों में 40 से अधिक पक्षियों की जान बचाई है. हर साल हजारों पक्षियों की मौत को लेकर ओम ने उन पक्षियों को बचाने का बीड़ा उठाया है. वह मंदिर में अपनी ड्यूटी खत्म करने के बाद पक्षियों की जान बचाने के लिए अकेले ही निकल पड़ते हैं. इस नेक काम में पेड़ो पर चढ़ने के दौरान उनके पैरों की हड्डी में परेशानी आ चुकी है, लेकिन वे अपने दर्द को भूलकर उन बेजुबानों को बचाते हैं.

घर में करते हैं पक्षियों का इलाज
ओम ने बताया की चाइना डोर सहित अन्य डोरों के कारण पक्षी तारों और पेड़ों पर फंस जाते हैं, जिससे उनकी मौत हो जाती है. पेड़ों पर चढ़कर उनकी जान बचाने के लिए जो प्रयास हो सकते हैं वह करते हैं. दो दिन पहले ही जिला अस्पताल के अंदर लगे पेड़ों से 7 बगुले को निकला था जिसमे से 2 की मौत हो गयी थी. शनिवार को भी नरसिंघ घाट से 5 जिंदा कौवों, बाज और चील का रेस्क्यू किया है. ओम ने बताया की कई बार पक्षी इतने घायल होते हैं कि उनकों पेड़ों से निकालने के बाद इलाज के लिए घर में रखना पड़ता है. ठीक होने पर उन्हें आजाद कर देते हैं.

PM आवास का सपना अधूरा, अधिकारियों की लापरवाही से नहीं मिली दूसरी किस्त, पन्नी के नीचे जीवन गुजार रहे ग्रामीण

फोन पर लोग मांगते हैं मदद
पिछले 10 वर्षों से पक्षियों की जिंदगी बचाने का बीड़ा उठाने वाले ओम को लोग फोन कर बुलाते हैं. उन्हें सबसे अधिक बुलावा मकर संक्राति पर आता है. क्योंकि पतंगबाजी के दौरान पक्षी डोर में फंस जाते हैं. ओम किसी को भी मना नहीं करते हैं और पक्षियों के लिए एक बांस लेकर उनकी जान बचाने के लिए निकल पड़ते हैं. इस नेक काम के लिए महाकाल मंदिर समिति भी उनका पूरा सहयोग करती है. उज्जैन में 12 जनवरी से लेकर 18 जनवरी के बिच 8 लोगों के गले चाइना डोर से कट चुके हैं.

उज्जैन। मकर संक्रांति के अवसर पर लोग जमकर पतंगबाजी करते हैं, जिसमें काफी (birds injured during kite flying) लोगों द्वारा चाइनिज डोर का भी प्रयोग किया जाता है. एक-दूसरे को हराने की होड़ हर साल पक्षियों पर भारी पड़ जाती है. आसमान में उड़ती पतंग इन पक्षियों को घायल कर उन्हें जीवन भर के लिए अपंग बना देती हैं. अपनी खुशियों के लिए हम जाने अनजाने में ही यह भयंकर गलती साल दर साल दोहराते जा रहे हैं. उज्जैन में एक शख्स ऐसा भी है जो इन बेजुबानों के बारे में सोचना भी है, उनसे प्यार भी करता है और जरूरत पड़ने पर उनका ​इलाज भी करता है. इस शख्स का नाम ओम योगी है.

पक्षियों को बचाने का काम कर हरे ओम योगी

अब तक बचाई सैंकड़ों पक्षियों की जान
महाकाल मंदिर समिति में दिव्यांगों को ट्राय साइकिल पर बैठाकर भगवान महाकाल के दर्शन कराने वाले युवक ओम योगी ने पिछले 10 दिनों में 40 से अधिक पक्षियों की जान बचाई है. हर साल हजारों पक्षियों की मौत को लेकर ओम ने उन पक्षियों को बचाने का बीड़ा उठाया है. वह मंदिर में अपनी ड्यूटी खत्म करने के बाद पक्षियों की जान बचाने के लिए अकेले ही निकल पड़ते हैं. इस नेक काम में पेड़ो पर चढ़ने के दौरान उनके पैरों की हड्डी में परेशानी आ चुकी है, लेकिन वे अपने दर्द को भूलकर उन बेजुबानों को बचाते हैं.

घर में करते हैं पक्षियों का इलाज
ओम ने बताया की चाइना डोर सहित अन्य डोरों के कारण पक्षी तारों और पेड़ों पर फंस जाते हैं, जिससे उनकी मौत हो जाती है. पेड़ों पर चढ़कर उनकी जान बचाने के लिए जो प्रयास हो सकते हैं वह करते हैं. दो दिन पहले ही जिला अस्पताल के अंदर लगे पेड़ों से 7 बगुले को निकला था जिसमे से 2 की मौत हो गयी थी. शनिवार को भी नरसिंघ घाट से 5 जिंदा कौवों, बाज और चील का रेस्क्यू किया है. ओम ने बताया की कई बार पक्षी इतने घायल होते हैं कि उनकों पेड़ों से निकालने के बाद इलाज के लिए घर में रखना पड़ता है. ठीक होने पर उन्हें आजाद कर देते हैं.

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फोन पर लोग मांगते हैं मदद
पिछले 10 वर्षों से पक्षियों की जिंदगी बचाने का बीड़ा उठाने वाले ओम को लोग फोन कर बुलाते हैं. उन्हें सबसे अधिक बुलावा मकर संक्राति पर आता है. क्योंकि पतंगबाजी के दौरान पक्षी डोर में फंस जाते हैं. ओम किसी को भी मना नहीं करते हैं और पक्षियों के लिए एक बांस लेकर उनकी जान बचाने के लिए निकल पड़ते हैं. इस नेक काम के लिए महाकाल मंदिर समिति भी उनका पूरा सहयोग करती है. उज्जैन में 12 जनवरी से लेकर 18 जनवरी के बिच 8 लोगों के गले चाइना डोर से कट चुके हैं.

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