उज्जैन। 14 जुलाई से श्रावण माह की शुरुआत होने जा रही है और (Sawan 2022) सावन का पहला सोमवार 18 जुलाई को रहेगा, महाकालेश्वर मंदिर में पिछले दो साल से कोरोना के कारण बाबा की सवारी नए मार्ग से निकाली जा रही थी, (Mahakal Sawari Ujjain) जिससे श्रद्धालुओं की भीड़ एकत्रित ना हो सके. इसके साथ ही कावड़ यात्रियों को भी एक साथ मंदिर में जाने की इजाजत नहीं थी, पर इस बार कोविड प्रतिबंध नहीं होने से बाहर से आने वाले कावड़ यात्रियों को भी बाबा महाकाल के दर्शन को करने मिलेगें. मंदिर में कावड़ यात्रा दल के अनुमति के लिए आवेदन पहुंचने लगे है इसलिए बाबा महाकाल अपनी प्रजा का हाल जानने पुराने मार्ग से होते हुए शहर का भ्रमण करेंगे, जिसमें श्रद्धालु भी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले सकेंगे.
महाकालेश्वर मंदिर में श्रावण माह का अधिक महत्व: उज्जैन महाकाल मंदिर में पिछले दो वर्षो से कोरोना के कारण बाबा महाकाल अपनी प्रजा का हाल जानने पुराने मार्ग से नहीं निकल पा रहे थे, इसके पीछे सिर्फ प्रशासन की यही वजह थी कि भीड़ एकत्रित ना हो सके और कोरोना लाइव लाइन का पालन हो सके. फिलहाल इस बार अब बाबा महाकाल पुराने मार्ग से अपनी प्रजा का हाल जानने शहर के भ्रमण पर निकलेंगे. इसके अलावा कोरोना में कावड़ यात्रा पर प्रतिबंंध होने से कावड़ यात्रियों के जत्थे को अनुमति नही मिली थी, लेकिन इस बार सारे प्रतिबंध समाप्त होने के कारण कावड़ यात्रियों में भी उत्साह है. मंदिर प्रशासन के पास अभी से कावड़ यात्रा संघ के आवेदन पहुंचने लगे है, अब मंदिर समिति सावन महोत्सव को लेकर एक बैठक करेगी जिसमें महाकाल की सवारी से लेकर श्रद्धालुओं की दर्शन व्यवस्था को लेकर चर्चा की जाएगी.
बाबा महाकाल की सवारी के लिए तैयारी शुरू: उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर की परंपरा अनुसार श्रावण मास में प्रत्येक सोमवार तथा भाद्रपद मास में अमावस्या के पहले आने वाले सोमवार पर भगवान महाकाल की सवारी निकाली जाती हैं. इस बार श्रावण मास में चार तथा भाद्रपद मास में अमावस्या से पहले दो सोमवार आएंगे, ऐसे में श्रावण-भाद्रपद मास में भगवान महाकाल की छह सवारियां निकलेंगी. पहला श्रावण सोमवार 18 जुलाई को है, मंदिर प्रशासन ने सवारी के पहले ही भगवान की चांदी की पालकी, रथ और भगवान के मुखारविंद की सफाई करना शुरू कर दिया है. जैसे-जैसे सवारियों का क्रम बढ़ता है, भगवान के विभिन्न मुखारविंद सवारी में शामिल होते हैं. इन मुखारविंदों को विराजित करने के लिए विशेष रथों की परंपरा है, भगवान का शिवतांडव मुखारविंद गरुड़ रथ पर तथा उमा-महेश का मुखारविंद नंदी पर सवार होकर निकाला जाता है.
कावड़ियों के लिए दिशानिर्देश जारी: उज्जैन महाकाल मंदिर समिति द्वारा सामान्य श्रद्धालुओं और आने वाले कावड़ यात्रियों की सुविधा के लिए मंदिर के कार्तिकेय मंडपम और सभा मंडप में जल पात्र लगाया जाता है, इन पात्रों के माध्यम से श्रद्धालु भगवान को जल अर्पित करते हैं. यह जल सीधे भगवान महाकाल तक पहुंचता है, इस बार भी जल पात्र लगाने के लिए मंदिर समिति ने निर्देश दिए है. श्रावण मास में किसी भी श्रद्धालु को गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति नही होगी, इस संबंध में कलेक्टर ने पहले ही निर्देश जारी कर दिए है. कारण ये है कि रसीद के माध्यम से भी गर्भगृह में जाने की अनुमति दी जाती है तो श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ जाती है. वहीं कावड़ यात्री के कुछ सदस्य भी गर्भगृह में जाने के लिए दवाब बनाते हैं, इसलिए इस बार गर्भगृह श्रावण में पूरी तरह सामान्य जनों के लिए बंद रखने का निर्णय लिया गया है. भीड़ के दवाब के चलते बेरिकेट्स के माध्यम से दर्शन कराने के बाद श्रद्धालुओं को निर्गम द्वार से बाहर निकाला जाएगा.