उज्जैन. शहर के एक बड़े निजी मेडिकल कॉलेज आरडी गार्डी अस्पताल में बुधवार रात 5 मरीजों की ऑक्सीजन की कमी से मौत की खबर से हड़कंप मचा हुआ है। आरडी गार्डी हॉस्पिटल के सूत्रों ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि जैसे ही रात 3:00 बजे ऑक्सीजन खत्म होने का अलार्म बजा वैसे ही हमने उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह को फोन लगाया और सूचना दी. जिसके बाद एक ट्रक ऑक्सीजन लेकर तपोभूमि प्रदीप ऑक्सीजन वाले के यहां से ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर भी निकला लेकिन वह उज्जैन शहर में ही कहीं और चला गया आरडी गार्डी हॉस्पिटल नहीं पहुंचा. काफी देर तक सेलेंडर नहीं आने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने इसकी जानकारी अधिकारियों को दी जिसके बाद दोबारा ऑक्सीजन की सेलेंडर की गाड़ी अस्पताल को भेजी गई, लेकिन तब तक लापरवाह सिस्टम क्रिटिकल कंडीशन के 5 मरीजों की जान ले चुका था. इसके बाद यह सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर इन 5 मौतों का जिम्मेदार कौन है.
कहां गायब हो गया ऑक्सीजन सेलेंडर से भरा ट्रक ?
आरडी गार्डी अस्पताल से ऑक्सीजन सेलेंडर की डिमांड आते ही अधिकारियों ने रात तीन बजे ही तत्काल कार्रवाई करते हुए तपोभूमि स्थित प्रदीप ऑक्सीजन से ऑक्सीजन सेलेंडर लदवाकर ट्रक रवाना किया गया. मेडिकल कॉलेज का एक डॉक्टर खुद अपनी गाड़ी से गैस सिलेंडर लदवाकर आया लेकिन वह उज्जैन आते ही अपने घर पर मुंह धोने चले गए और तभी रास्ते में यह ट्रक कहीं गायब हो गया. इधर अपनी गाड़ी से आ रहे डॉक्टर जब अस्पताल पहुंचे तब उन्हें पता चला कि ट्रक तो आरडी गार्डी हॉस्पिटल पहुंचा ही नहीं है. इसके बाद आनन-फानन में कलेक्टर को सूचना देते हुए दोबारा ऑक्सीजन की व्यवस्था करवाई गई लेकिन ऑक्सीजन मिलने में हुई यह देरी कुछ लोगों के लिए जानलेवा साबित हुई.
हॉस्पिटल प्रबंधन नहीं मानता कि ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतें
हालांकि इस पूरे मामले में अपर कलेक्टर और आरडी गार्डी हॉस्पिटल के प्रभारी सुजान सिंह रावत कुछ मरीजों की मौत की बात तो मानते हैं लेकिन यह मानने को तैयार नहीं हैं कि इन मरीजों की मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई है. इन मौतों को सामान्य मौतें मानते हुए रावत कहते हैं कि यहां रोजाना मरीजों की मौत होती है आज भी हुई मैं देख कर बताऊंगा की कितनी मौत आज आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में हुई हैं.
ऑक्सीजन खत्म हुई उस वक्त 120 मरीज अस्पताल में थे
हॉस्पिटल के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर भेजे जा रहे हैं इसकी रसीद भी अस्पताल ही कटी है. हॉस्पिटल प्रबंधन का कहना है कि जब अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी हुई तब वहां कोरोना के 120 मरीज थे जो कि ऑक्सीजन पर थे।
श्मशान में आए 6 शव किसके?
प्रशासन की तरफ से कोरोना मरीजो की मौत के लिए तय किए गए त्रिवेणी घाट मुक्तिधाम पर काम करने वाले कर्मचारी ने बताया कि यहां गुरुवार को ही 6 शव लाए गए थे। इनका अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकॉल से किया गया था। अब सवाल यह उठ रहा है कि अगर ऑक्सीजन की कमी से यहां मौतें हुई हीं नहीं तो यह शव किसके थे, जबकि गुरुवार के मेडिकल बुलेटिन में एक भी मृतक नहीं था. कर्मचारी ने यह भी बताया कि शिप्रा नदी के किनारे स्थित उज्जैन के त्रिवेणी श्मशान घाट पर इसके पहले तीन से चार शव को जला करते थे पर अभी एक हफ्ते से 2 दर्जन से अधिक चिताएं रोजाना जल रही हैं. श्मशान में शव रखने तक की जगह नहीं है.