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जानलेवा अनदेखी! सतना में 'सीधी' का इंतजार क्यो ?

सीधी हादसे के बाद सतना में ईटीवी भारत ने बसों का रियलिटी चेक किया, जिसमें ईटीवी भारत ने पाया कि सतना से सीधी जा रही बस में खचाखच यात्री भरे गए और परिवहन नियमों को ताक रख कर सफर शुरू कर दिया गया.

Reality check of buses in Satna after sidhi accident
जानलेवा अनदेखी
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Published : Feb 16, 2021, 8:54 PM IST

सतना। सीधी जिले में आज ह्रदय विदारक घटना सामने आई है, जहां रामपुर नेकिन के बाणसागर कि नहर में बस गिरने से 47 लोगों की मौत हो गई. इस बड़ी घटना के बाद ईटीवी भारत की टीम ने सतना शहर के स्थानीय बस स्टैंड में बसों का रियलिटी चेक किया. इस दौरान सतना से सीधी जा रही बस रियलिटी चेक किया तो यह पाया गया कि बस में बैठने की जगह नहीं है, लेकिन बस संचालक ओवरलोड बस लेकर सफर के लिए रवाना हो गए.

जानलेवा अनदेखी

बस रामपुर नैकिन, गोविंदगढ़, देवसर, बैढ़न की सवारियों को लेकर सतना से रवाना हुई. सबसे बड़ी बात बस के अंदर ड्राइवर की सीट के बगल में सवारियों को बैठाया गया है, जहां पर जगह नहीं है. इस दौरान जब बस के अंदर मौजूद यात्रियों से बात की गई उन्होंने बताया कि सीट नहीं दी गई है, वहीं दूसरे यात्री ने बताया कि बस में कोई व्यवस्था नहीं रहती है जहां पर रूकती है, वहीं पर सवारियों को भर लिया जाता है.

प्रशासन की कार्रवाई शिथिल

यात्रियों ने बताया कि किराया तो पूरा लिया जाता है, लेकिन बैठने के लिए सीट तक नहीं रहती. यही वजह है कि बस अक्सर घटना दुर्घटना का कारण बनती है. लेकिन इसके बावजूद भी सतना जिले में परिवहन विभाग एवं शासन प्रशासन के अधिकारियों की मिलीभगत के चलते इन पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती.

जिले में लगातार पुलिस प्रशासन द्वारा बस संचालकों की बैठक तो की जाती है, लेकिन बैठक में जो हिदायत दी जाती है वह एक बैठक के बंद कमरे तक ही सीमित रह जाती है. जिस तरीके से बस में यात्रियों को बैठाकर सड़कों में बस फर्राटा मारती है और शासन-प्रशासन की आंखों में पट्टी बंधी रहती है, इससे लगता नहीं की प्रशासन कोई खासा कार्रवाई करता है.

जिम्मेदार झाड़ लेते हैं पल्ला

हादसे के बाद अधिकारी में जिम्मेदार किसी और को बता कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं और सिर्फ मुआवजा देकर मामले को शांत कर दिया जाता है. लेकिन जब किसी के घर का चिराग बुझ जाता है तब उस परिवार में मातम छा जाता है और उस मातमी अंधेरे को दूर करने के लिए कोई नहीं होता.

कड़े नियम-कानून की जरूरत

अगर जल्द इस तरह के हादसों को रोकने के लिए सरकार कड़े नियम-कानून नहीं लाती है तो ऐसे ही सड़क हादसे एक बड़ी दुर्घटना के रूप में सामने आते रहेंगे. सतना जिले में अधिकांश बसों के परमिट भी नहीं है, लेकिन उसके बावजूद भी सड़कों पर ओवरलोड यात्रियों को भरकर बसे दौड़ रही हैं और जिम्मेदार अधिकारियों के आंखों में पट्टी बंधी हुई है.

सतना। सीधी जिले में आज ह्रदय विदारक घटना सामने आई है, जहां रामपुर नेकिन के बाणसागर कि नहर में बस गिरने से 47 लोगों की मौत हो गई. इस बड़ी घटना के बाद ईटीवी भारत की टीम ने सतना शहर के स्थानीय बस स्टैंड में बसों का रियलिटी चेक किया. इस दौरान सतना से सीधी जा रही बस रियलिटी चेक किया तो यह पाया गया कि बस में बैठने की जगह नहीं है, लेकिन बस संचालक ओवरलोड बस लेकर सफर के लिए रवाना हो गए.

जानलेवा अनदेखी

बस रामपुर नैकिन, गोविंदगढ़, देवसर, बैढ़न की सवारियों को लेकर सतना से रवाना हुई. सबसे बड़ी बात बस के अंदर ड्राइवर की सीट के बगल में सवारियों को बैठाया गया है, जहां पर जगह नहीं है. इस दौरान जब बस के अंदर मौजूद यात्रियों से बात की गई उन्होंने बताया कि सीट नहीं दी गई है, वहीं दूसरे यात्री ने बताया कि बस में कोई व्यवस्था नहीं रहती है जहां पर रूकती है, वहीं पर सवारियों को भर लिया जाता है.

प्रशासन की कार्रवाई शिथिल

यात्रियों ने बताया कि किराया तो पूरा लिया जाता है, लेकिन बैठने के लिए सीट तक नहीं रहती. यही वजह है कि बस अक्सर घटना दुर्घटना का कारण बनती है. लेकिन इसके बावजूद भी सतना जिले में परिवहन विभाग एवं शासन प्रशासन के अधिकारियों की मिलीभगत के चलते इन पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती.

जिले में लगातार पुलिस प्रशासन द्वारा बस संचालकों की बैठक तो की जाती है, लेकिन बैठक में जो हिदायत दी जाती है वह एक बैठक के बंद कमरे तक ही सीमित रह जाती है. जिस तरीके से बस में यात्रियों को बैठाकर सड़कों में बस फर्राटा मारती है और शासन-प्रशासन की आंखों में पट्टी बंधी रहती है, इससे लगता नहीं की प्रशासन कोई खासा कार्रवाई करता है.

जिम्मेदार झाड़ लेते हैं पल्ला

हादसे के बाद अधिकारी में जिम्मेदार किसी और को बता कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं और सिर्फ मुआवजा देकर मामले को शांत कर दिया जाता है. लेकिन जब किसी के घर का चिराग बुझ जाता है तब उस परिवार में मातम छा जाता है और उस मातमी अंधेरे को दूर करने के लिए कोई नहीं होता.

कड़े नियम-कानून की जरूरत

अगर जल्द इस तरह के हादसों को रोकने के लिए सरकार कड़े नियम-कानून नहीं लाती है तो ऐसे ही सड़क हादसे एक बड़ी दुर्घटना के रूप में सामने आते रहेंगे. सतना जिले में अधिकांश बसों के परमिट भी नहीं है, लेकिन उसके बावजूद भी सड़कों पर ओवरलोड यात्रियों को भरकर बसे दौड़ रही हैं और जिम्मेदार अधिकारियों के आंखों में पट्टी बंधी हुई है.

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