सागर। सुभाग्योदय डेवलपर्स द्वारा खरीदी गई करोड़ों की बेशकीमती सरकारी जमीन को लेकर न्यायालय में चल रहे मामले को कोर्ट द्वारा खारिज कर देने के बाद जिला प्रशासन संदेह के घेरे में आ गया है. अरबों रुपए की जमीन में जिला प्रशासन के राजस्व विभाग का रवैया देख पूंजीपतियों, राजनेताओं और प्रशासन की मिलीभगत सामने आ रही है. इस मामले को लेकर पिछले 4 साल में सरकार की तरफ से ना तो गवाह कोर्ट में पहुंचे और ना ही सरकारी साक्ष्य कोर्ट में पेश किए गए. इस मामले को कई मंचों पर और अदालत में ले जाने वाले व्यक्तियों का आरोप है कि, राजनेताओं, पूंजीपतियों और प्रशासन के गठजोड़ के चलते अरबों रुपए की बेशकीमती जमीन की पर अनैतिक तरीके से कब्जे के बाद भी जिला प्रशासन मौन रहा और केस खारिज हो गया. अब मामले में विपक्ष जहां सड़कों पर उतर आया है, तो दूसरी तरफ जिला प्रशासन प्रकरण को फिर से जिला न्यायालय में खोले जाने के प्रयास कर रहा है. (Subhagyoday land Scam) (Sagar nazuls land) (subhagyoday scandal sagar).
28 एकड़ सरकारी बेशकीमती जमीन का मामला: दरअसल जिस 28 एकड़ जमीन को लेकर जिला न्यायालय में हाई कोर्ट के निर्देश पर केस चल रहा था वह जमीन भाग्योदय तीर्थ अस्पताल के सामने हैं. ये नजूल की जमीन है और इस जमीन को एक व्यक्ति द्वारा अपनी बताकर भेज दिया गया है. बेंचने वाले व्यक्ति का कहना है कि उसे 1965 में मालिकाना हक मिल गया था. इस मामले में बेंंचने वाले व्यक्ति ने जिला कलेक्टर सागर और जिला कमिश्नर कार्यालय से बेचने की परमिशन मांगी थी, लेकिन यहां से उसे अनुमति नहीं मिली तो नियम के विपरीत राजस्व मंडल ग्वालियर द्वारा जमीन बेचने की अनुमति दे दी गई. जबकि राजस्व मंडल को ये अधिकार ही नहीं हैं.
राजस्व विभाग की लापरवाही: मामले को कुछ जागरूक व्यक्तियों द्वारा मीडिया के समक्ष लाया गया और जब सुर्खियों में आया, तो तत्कालीन कलेक्टर ने मामले को संज्ञान में लिया और हाई कोर्ट के निर्देश पर जिला न्यायालय में प्रकरण पर सुनवाई शुरू हुई. खास बात यह है कि, 4 साल से न्यायालय में प्रकरण चल रहा है, लेकिन सरकार द्वारा ही प्रकरण दायर किए जाने के बाद राजस्व विभाग के अधिकारी ना तो अदालत में बयान देने के लिए पहुंचे और ना ही साक्ष्य प्रस्तुत किए कई बार मौका दिए जाने के बाद भी जब जिला प्रशासन का रवैया ऐसा ही रहा, तो मंगलवार को चतुर्थ अतिरिक्त सत्र न्यायधीश सुनील कुमार ने प्रकरण को खारिज कर दिया.
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प्रकरण खारिज होने के बाद जागा जिला प्रशासन: जिला न्यायालय द्वारा प्रकरण में सरकार की तरफ से बयानों के लिए अधिकारियों के पेश न होने और साक्ष्य प्रस्तुत ना करने के कारण जब प्रकरण रद्द कर दिया गया और जिला प्रशासन की किरकिरी हुई तो जिला प्रशासन जागा. बहुचर्चित सुभाग्योदय जमीन मामले में कलेक्टर दीपक आर्य द्वारा न्यायालय में री-स्टोरेशन के आदेश किए हैं. साथ ही उन्होंने मामले में हुई प्रशासनिक चूक के मद्देनजर प्रभारी नजूल अधिकारी सुश्री मिश्रा, आरआई के के श्रीवास्तव और महेंद्र कुमार नापित को शोकॉज नोटिस दिए हैं.
मामले में री-स्टोरेशन की प्रक्रिया प्रारंभ: इस मामले में उन्होंने जिला लोक अभियोजक और मामले में पैरवी कर रहे अधिवक्ता से भी प्रकरण की वस्तु स्थिति की जानकारी ली. जिसके बाद अधिवक्ता से केस के समस्त दस्तावेज वापस लेते हुए जिला लोक अभियोजक एमडी अवस्थी को सौंप दिए गए. अब इस प्रकरण में शासन की तरफ से एमडी अवस्थी पैरवी करेंगे. दूसरी ओर शासन की ओर से अधिवक्ता एमडी अवस्थी ने बताया कि मामले में री-स्टोरेशन की प्रक्रिया प्रारंभ की जा रही है. उन्होंने बताया कि मामले में गवाह उपस्थित न होने के कारण मामले को खारिज कर दिया गया था.
मामले को उजागर करने वाले लोगों की भूमिका: इस मामले को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले एक्टिविस्ट बताते हैं कि, यह जमीन नजूल की जमीन है लेकिन 1965 में रहस्यमय तरीके से सु-भाग्योदय डेवलपर्स को बेचने वाले व्यक्ति के नाम पर चढ़ गई थी. इस व्यक्ति ने जिला कलेक्टर सागर और कमिश्नर से जमीन बेचने की अनुमति मांगी थी, लेकिन नहीं मिली. बाद में राजस्व बोर्ड ग्वालियर ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर जमीन बेचने की अनुमति दे दी. मामला सुर्खियों में आया तो जिला प्रशासन हाई कोर्ट गया और हाई कोर्ट के निर्देश पर यह प्रकरण चल रहा था.
अभियोजन और खरीदारों की मिलीभगत: इस मामले में जबलपुर हाईकोर्ट में हस्तक्षेपकर्ता के रूप में गए एडवोकेट जगदेव सिंह ठाकुर कहते हैं कि, ये मामला तय शुदा लग रहा है. क्योंकि, ठीक एक महीने पहले जिस हल्का में ये जमीन है. वहां के पटवारी को हटाकर नए पटवारी को पदस्थ किया गया. जो धोखाधड़ी के मामले में पहले से ही आरोपी हैं. इस मामले में प्रशासन और अभियोजन ने अदालत में पेश होने में कोई रुचि नहीं दिखाई. लगातार पेशियां होती रही, लेकिन ना तो अभियोजन के एक वकील पहुंचे और ना ही शासन का पक्ष रखने वाले लोग पहुंचे. इन परिस्थितियों से साफ है कि ये प्रशासन, अभियोजन और खरीदारों की मिलीभगत का परिणाम है.
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सड़कों पर उतरा विपक्ष: मामले के सामने आने के बाद विपक्ष ने भी आज कमिश्नर कार्यालय पर प्रदर्शन किया और प्रशासन के गैर जिम्मेदाराना रवैया को लेकर कार्रवाई की मांग की है. युवा कांग्रेस द्वारा किए गए प्रदर्शन में जिला प्रशासन पर मिलीभगत का आरोप लगाकर शासन की बेशकीमती जमीन रसूखदारों को हड़पने में मदद का आरोप लगाया गया है. युवा कांग्रेस ने मांग की है कि, इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कराकर जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की जाए.(Subhagyoday land Scam) (Sagar nazuls land) (subhagyoday scandal sagar)