सागर। बुंदेलखंड में बीड़ी कामगारों की अधिकता देखते हुए केंद्र सरकार के श्रम मंत्रालय ने 2006 में केंद्रीय चिकित्सालय बनवाया था. अस्पताल में सिर्फ पंजीकृत बीड़ी कामगारों का इलाज किया जाता है. एक समय ऐसा था कि इस चिकित्सालय में इलाज कराने के लिए रोजाना पांच सौ से ज्यादा मरीज पहुंचते थे. अब हालत यह है कि महीने भर में भी इतने मरीज यहां नहीं पहुंच रहे हैं. तीस बेड का अस्पताल होने के बावजूद भी यहां किसी मरीज को भर्ती नहीं किया जा रहा है. यहां पैथोलॉजी की व्यवस्था नहीं है. सिर्फ एक्स-रे की व्यवस्था अस्पताल में है. हालात ये है कि यह अस्पताल अब सफेद हाथी साबित हो रहा है. स्थानीय जनप्रतिनिधि चाहते हैं कि अस्पताल को राज्य सरकार को सौंप दिया जाए. इतना ही नहीं राज्य सरकार श्रम मंत्रालय की योजना के अंतर्गत बीड़ी कामगारों का इलाज करे. (hospital for beedi workers treatment in sagar)
हजारों की संख्या में पंजीकृत हैं बीड़ी कामगार: बुंदेलखंड में बीड़ी व्यवसाय बड़े पैमाने पर होता है. अकेले सागर में 34 हजार बीड़ी कामगार पंजीकृत हैं. पंजीकृत बीड़ी कामगारों और उनके परिजनों के इलाज के लिए 2006 में सागर में एक विशाल परिसर में केंद्र सरकार के श्रम मंत्रालय ने अस्पताल बनवाया था. आज विशेषज्ञ डॉक्टरों के अभाव में यह अस्पताल सफेद हाथी बन चुका है. आज बीड़ी कामगारों को इलाज तक हासिल नहीं हो पा रहा है. हालात यह है कि इस अस्पताल में जहां रोजाना 250 से 300 बीड़ी मजदूर अपना इलाज कराने के लिए पहुंचते थे. वहीं अब सिर्फ 15 से 30 बीड़ी मजदूर इलाज के लिए पहुंच रहे हैं. महीने भर में औसतन 650 बीड़ी मजदूर ही इस अस्पताल में अपना इलाज कराते हैं. (sagar hospital made for beedi labour)
क्या है डॉक्टर और सुविधाओं की स्थिति: केंद्रीय चिकित्सालय की बात करें तो यहां सिर्फ दो चिकित्सक ही पदस्थ हैं. इनमें एक चिकित्सक के पास सीएमएचओ स्तर का प्रभार है तो दूसरे चिकित्सा मेडिकल ऑफिसर के रूप में पदस्थ है. केंद्रीय चिकित्सालय में कुल 15 पद भरे हुए हैं. जिनमें 2 डॉक्टर, एक एक्स-रे टेक्नीशियन, एक ड्रेसर, तीन फार्मासिस्ट, तीन चौकीदार और दो ड्राइवर पदस्थ हैं. जांच के नाम पर यहां कोई भी सुविधा नहीं है. सिर्फ मरीजों का एक्स-रे अस्पताल में संभव हो पाता है. मरीजों को जिला चिकित्सालय या मेडिकल कॉलेज में रेफर कर दिया जाता है.
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कोरोना के दौरान अधिग्रहित हुआ था अस्पताल: अस्पताल में कार्यरत कर्मचारी और अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों का कहना है कि कोरोना के दौरान अस्पताल को कोरोना मरीजों के लिए बना दिया था. जिसके कारण बीड़ी मजदूरों के लिए यह बंद कर दिया गया था. जिला प्रशासन ने अस्पताल को कोविड-19 केयर सेंटर बनाने के लिए अधिग्रहित किया था. करीब 2 साल तक इलाज बंद होने के कारण बीड़ी मजदूरों ने अब इस अस्पताल में जाना ही बंद कर दिया है. अपने बेटे का बीड़ी मजदूर के रूप में रजिस्ट्रेशन कराने पहुंची मीना बताती है कि, कई दिनों से मजदूरी कार्ड के लिए वो यहां आ रही है. अभी तक कार्ड नहीं बन पाया है. वहीं इलाज कराने पहुंचे राजेश चौरसिया बताते है कि, कोरोना के बाद से ये अस्पताल एक तरह से फेल हो गया है. यहां अब न दवाइयां मिलती हैं, और न ही डॉक्टर इस अस्पताल में मौजूद रहते हैं. (sagar beedi workers hospital)
सागर विधायक ने बताया अस्पताल का हाल: सागर विधायक शैलेंद्र जैन कहते हैं कि अस्पताल की भयावह स्थिति के बारे में जो भी बात सामने आ रही है, स्थिति उससे ज्यादा खतरनाक है. इतना ज्यादा पैसा खर्च किए जाने के बाद भी व्यवस्थाओं के नाम पर इस अस्पताल में कुछ भी नहीं है. हमने सरकार से निवेदन किया है कि केंद्र सरकार का श्रम मंत्रालय अस्पताल राज्य सरकार को सौंप दें. ताकि इसको मध्य प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा व्यवस्थित तरीके से चलाया जाए. सागर के करीब 8 से 10 वार्डों के लोगों के लिए अलग से इस अस्पताल में इलाज की सुविधा दी जाए. फिलहाल हमारा प्रस्ताव लंबित है और हम प्रयासरत हैं.