सागर। अगर हौंसला बुलंद हो तो कमजोरी भी ताकत बन जाती है, और अपनी कमजोरी को ताकत बना लेने वाले लोग दूसरों के लिए प्रेरणा बन जाते हैं. इस विश्व महिला दिवस पर हम बताएंगे आपको एक ऐसी दिव्यांग नृत्यांगना के बारे में बता रहे हैं जो दूसरों के लिए प्रेरणा बन चुकी है. कई कठनाइयों को झेलते हुए कत्थक नृत्यांगना नेहा ने अपने पैशन को पूरा किया, और उसमें अपनी पहचान बनाने के लिए शरीर की दिव्यांगता को कहीं आड़े नहीं आने दिया.आइए जानते हैं ईटीवी भारत पर दिव्यांग नेहा श्रीवास्तव की कहानी उन्हीं की जुबानी.
दिव्यांग होने के बावजूद नहीं मानी हार
सागर की दिव्यांग नेहा श्रीवास्तव गलत इलाज के चलते दिव्यांग हो गई थी, लेकिन इसके बावजूद भी नेहा ने अपने पैशन को पूरा करने के लिये कत्थक सीखने का अपना सपना नहीं छोड़ा. कत्थक में डिप्लोमा कर चुकी नेहा श्रीवास्तव भरतनाट्यम में भी ग्रेजुएशन कर रही है. उनकी आदर्श फिल्म अभिनेत्री सुधा चंद्रन है, जो खुद जानी मानी भरतनाट्यम नृत्यांगना हैं. उन्होंने भी अपना पैर एक हादसे में खो दिया था. नेहा श्रीवास्तव का कहना है कि अगर उनको देखकर उनकी तरह दिव्यांग लोग प्रेरणा पाते हैं तो इस बात की उन्हें खुशी होती है.
किस वजह से नेहा हुई दिव्यांग?
नेहा श्रीवास्तव मूल रूप से उज्जैन की रहने वाली हैं, लेकिन फिलहाल उनका परिवार सागर में रहता है. उनके पिता वन विभाग में रेंजर थे और उनके चार भाई और एक बहन है. नेहा श्रीवास्तव जब 3 साल की थी, तो मलेरिया से पीड़ित हो गई थी. मलेरिया के इलाज के दौरान उन्हें इंजेक्शन लगाया गया और तभी से उनके बाएं पैर ने काम करना बंद कर दिया. इस हादसे से उबरने में नेहा को वक्त जरूर लगा, लेकिन नेहा ने अपने आप को कमजोर नहीं होने दिया, और पढ़ाई के साथ-साथ चित्रकला, कथक नृत्य और फाइन आर्ट्स में एमए भी किया.
कितने सालों तक डांस सिखने का किया इंतजार?
नेहा श्रीवास्तव बताती हैं कि मुझे बचपन से ही डांस का बहुत शौक था. मेरे घर पर मेरी दीदी मां डांस करती थीं तो मुझे डांस करने का बहुत मन होता था. मैं चित्र कला सीखने के लिए आदर्श संगीत विद्यालय जाती थी. जहां पर रागिनी श्रीवास्तव डांस टीचर थी, जो मेरी गुरु हैं. मैंने उनसे बात की और डांस सीखने की इच्छा जाहिर की, तो उन्होंने हां कर दिया, लेकिन मैं करीब 7 साल तक इंतजार करती रही और हिम्मत जुटाने की कोशिश करती रही. अब मैं पिछले 4 साल से कत्थक सीख रही हूं.
इंडोनेशिया में झंडे गाड़ने के लिए तैयार MP की बेटी, दिखाएगी कंधे-बाजू का दम
अपने जज्बे की वजह से सीख पाई डांस
नेहा श्रीवास्तव बताती है कि मैंने फैसला तो कर लिया था, लेकिन बहुत परेशानियां थी. सबसे बड़ी परेशानी घर से परमिशन मिलने की थी. हालांकि मेरे परिवार वाले किसी बात को मना नहीं करते थे, हमेशा सपोर्ट करते थे, लेकिन उनका कहना था कि ऐसी फील्ड में मेहनत करो, जिसमें करियर बना सको. मुझे पेंटिंग का शौक था, लेकिन मैंने डांस भी ज्वाइन किया. कई बार डांस क्लास के दौरान मुझे चोट लगी, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी. उनका मंत्र है जहां चाह, वहां राह.