सागर। केंद्र सरकार के बजट से किसानों को काफी उम्मीदें थी, लेकिन बजट से किसानों को कुछ खास हासिल नहीं हुआ. अब मध्यप्रदेश के किसान प्रदेश के बजट और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से काफी उम्मीद लगाए बैठे हैं. मौजूदा स्थिति में किसान सबसे ज्यादा फसलों की लागत बढ़ने से परेशान हैं. किसानों का कहना है कि उनकी आय बढ़ नहीं रही है, दूसरी तरफ खाद, उर्वरक और कृषि यंत्र लगातार महंगे होते जा रहे हैं. किसानों का कहना है कि हमें राहत देने के लिए सरकार ने कृषक सम्मान निधि जैसी व्यवस्थाएं की तो हैं, लेकिन यह ऊंट के मुंह में जीरा ही साबित हो रही है.
डीजल महंगा होने से लागत हुई दोगुनी
किसान की फसलों की लागत लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन फसलों से उन्हें उचित दाम भी नहीं मिल पा रहा है. इससे किसानों को भारी परेशानी हो रही है. खेती की लागत बढ़ने का सबसे बड़ा कारण डीजल महंगा होना है. डीजल महंगा होने से खेतों की जुताई, बुवाई और हार्वेस्टिंग काफी महंगी हो गई है. डीजल के दाम पिछले 10 से 15 सालों में 3 गुना बढ़ चुके हैं, और ऐसी स्थिति में खेती की लागत भी लगभग 3 गुनी हो चुकी है. जहां किसानों को केंद्र सरकार से डीजल के दामों पर राहत की उम्मीद थी, तो वहीं अब किसानों को प्रदेश सरकार से राज्य सरकार के हिस्से के टैक्स में कुछ कमी की उम्मीद है, जिससे उन्हें कुछ आराम मिल जाए.
कृषि यंत्र और कृषि उपकरण हुए काफी महंगे
आमतौर पर कृषि यंत्र और उपकरण ट्रैक्टर, थ्रेसर, हार्वेस्टर और नई तकनीक के कई कृषि उपकरण के लिए जरूरी हो गए हैं, लेकिन इन उपकरणों पर केंद्र और राज्य सरकार द्वारा कई तरह के टैक्स लगाए जाते हैं. ऐसी स्थिति में यह उपकरण काफी महंगे पड़ते हैं. इन उपकरणों को किसान किराए से लेकर भी अगर अपना काम करना चाहता है, तो किराया भी काफी ज्यादा लगता है. किसानों का कहना है कि उन्हें कम किराए पर कृषि उपकरण उपलब्ध कराने की व्यवस्था सरकार की तरफ से की जाए.
फसल का मिले उचित दाम
केंद्र और प्रदेश सरकार लगातार किसानों की आय दोगुनी करने और खेती को लाभ का धंधा बनाने की बात करती आई है. मोदी सरकार का वादा था कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी, इसके लिए मोदी सरकार ने बड़े-बड़े दावे किए, लेकिन केंद्र का बजटआ चुका है और उसमें किसानों की आय दोगुनी करने का कोई प्लान नहीं दिखा. किसानों को उनकी फसल का उचित दाम भी नहीं मिल पा रहा है.
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फसल बीमा के नाम पर ठगे जा रहे हैं किसान
अतिवृष्टि,सूखा,ओलावृष्टि,पाला जैसी प्राकृतिक आपदा में नष्ट होने वाली फसलों की क्षतिपूर्ति के लिए फसल बीमा योजना लागू है, लेकिन इस योजना से किसानों को ना के बराबर फसल बीमा हासिल हो रहा है. किसानों द्वारा अदा की गई बीमा की प्रीमियम राशि भी फसल बीमा में हासिल नहीं हो रही है और इस योजना के जरिए एक तरह से किसान ठगे ही जा रहे हैं. किसान चाहते है कि किसानों को फसल बीमा का वास्तविक लाभ सुनिश्चित करने के लिए सरकार को बजट में कोई ठोस कदम उठाना चाहिए. (MP Budget 2022) (MP Budget 2022 farmer expect to increase income)