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महाराष्ट्र को 'महा' राष्ट्र बनाने वाले मजदूरों का पलायन जारी, सागर की सीमाओं पर की गई खाने-पीने की व्यवस्था

लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर मजदूर वर्ग पर दिख रहा है. क्योंकि जो रोज मजदूरी करता है, दिहाड़ी पाता है, तब ही उसके घर का चूल्हा जलता है. जिले से गुजरने वाले हाइवे पर इन दिनों महाराष्ट्र से पलायन करने वाले मजदूरों की संख्या बढ़ती ही जा रही है.

Workers are coming in large numbers from Maharashtra
महाराष्ट्र को 'महा' राष्ट्र बनाने वाले मजदूरों का पलायन जारी
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Published : May 12, 2020, 9:49 PM IST

सागर। कोरोना महामारी के चलते दुनिया भर के साथ पूरे भारत वर्ष की अर्थव्यवस्था भी बुरी तरह चरमरा गई है. लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर मजदूर वर्ग पर पड़ा है, जो रोज मजदूरी करता है दिहाड़ी पाता है तब ही उसके घर का चूल्हा जलता है. साथ ही इसी श्रेणी में आने वाले ऑटो रिक्शा चालक और टैक्सी चालक भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.

लॉकडाउन में आर्थिक मार झेल रहे ऐसे ही हजारों मजदूर और ऑटो रिक्शा चालक महाराष्ट्र से पलायन कर अपने घरों के लिए निकल पड़े हैं. सागर के भोपाल बाईपास सहित अन्य हाईवे रोड पर महाराष्ट्र से पलायन करने मजदूरों के वाहनों का ताता लगा हुआ है.

ऊंची ऊंची गगनचुंबी इमारतों से लेकर पाताल की गहराइयों में बने मेट्रो ट्रेन की पटरी बिछाने वाले और महाराष्ट्र को ‘महा’राष्ट्र बनाने वाले मजदूरों को अब ना तो वहां पेट भरने के लिए रोटी की गुंजाइश है और ना ही सुकून का आशियाना.

लॉकडाउन ने कर दिये बेबस

लॉकडाउन का दंश झेल रहे इन मजदूरों को पेट की आग ने अपनी मिट्टी से दूर कर दिया था, लेकिन अब यही पेट की आग उन्हें वापस अपनी मिट्टी, अपने गांव की ओर ले जा रही है. यही वजह है कि इन दिनों सागर से गुजरने वाले रास्तों पर महाराष्ट्र से पैदल और वाहनों में जानवरों की तरह भरे मजदूर अपने गांवों की ओर जा रहे हैं. जो कि महाराष्ट्र के विफल होती व्यवस्थाओं की गाथा भी कह रहे हैं.

रोजी-रोटी का संकट

सागर के चारों तरफ गुजरने वाले स्टेट और नेशनल हाईवे सहित बाईपास रोड पर पिछले कई दिनों से लगातार महाराष्ट्र से आने वाली गाड़ियों का तांता लगा है, इनमें ज्यादातर संख्या ऑटो रिक्शा चालकों की है, साथ ही बड़ी संख्या में टैक्सी कैब भी नजर आ रही हैं. जब इन मजदूरों से पलायन की वजह पूछी गई तो उन्होंने महाराष्ट्र में लगातार बिगड़ती स्थिति और लॉकडाउन की वजह से रोजी-रोटी का संकट ही वजह बताई.

भोजन पानी की व्यवस्था

वहीं इतनी बड़ी संख्या में लोगों की सागर की सीमाओं से गुजरने की खबर मिलने के बाद सागर सांसद राजबहादुर सिंह भी उन रास्तों का जायजा लेने और रास्तों पर भोजन पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करने पहुंचे.

सागर। कोरोना महामारी के चलते दुनिया भर के साथ पूरे भारत वर्ष की अर्थव्यवस्था भी बुरी तरह चरमरा गई है. लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर मजदूर वर्ग पर पड़ा है, जो रोज मजदूरी करता है दिहाड़ी पाता है तब ही उसके घर का चूल्हा जलता है. साथ ही इसी श्रेणी में आने वाले ऑटो रिक्शा चालक और टैक्सी चालक भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.

लॉकडाउन में आर्थिक मार झेल रहे ऐसे ही हजारों मजदूर और ऑटो रिक्शा चालक महाराष्ट्र से पलायन कर अपने घरों के लिए निकल पड़े हैं. सागर के भोपाल बाईपास सहित अन्य हाईवे रोड पर महाराष्ट्र से पलायन करने मजदूरों के वाहनों का ताता लगा हुआ है.

ऊंची ऊंची गगनचुंबी इमारतों से लेकर पाताल की गहराइयों में बने मेट्रो ट्रेन की पटरी बिछाने वाले और महाराष्ट्र को ‘महा’राष्ट्र बनाने वाले मजदूरों को अब ना तो वहां पेट भरने के लिए रोटी की गुंजाइश है और ना ही सुकून का आशियाना.

लॉकडाउन ने कर दिये बेबस

लॉकडाउन का दंश झेल रहे इन मजदूरों को पेट की आग ने अपनी मिट्टी से दूर कर दिया था, लेकिन अब यही पेट की आग उन्हें वापस अपनी मिट्टी, अपने गांव की ओर ले जा रही है. यही वजह है कि इन दिनों सागर से गुजरने वाले रास्तों पर महाराष्ट्र से पैदल और वाहनों में जानवरों की तरह भरे मजदूर अपने गांवों की ओर जा रहे हैं. जो कि महाराष्ट्र के विफल होती व्यवस्थाओं की गाथा भी कह रहे हैं.

रोजी-रोटी का संकट

सागर के चारों तरफ गुजरने वाले स्टेट और नेशनल हाईवे सहित बाईपास रोड पर पिछले कई दिनों से लगातार महाराष्ट्र से आने वाली गाड़ियों का तांता लगा है, इनमें ज्यादातर संख्या ऑटो रिक्शा चालकों की है, साथ ही बड़ी संख्या में टैक्सी कैब भी नजर आ रही हैं. जब इन मजदूरों से पलायन की वजह पूछी गई तो उन्होंने महाराष्ट्र में लगातार बिगड़ती स्थिति और लॉकडाउन की वजह से रोजी-रोटी का संकट ही वजह बताई.

भोजन पानी की व्यवस्था

वहीं इतनी बड़ी संख्या में लोगों की सागर की सीमाओं से गुजरने की खबर मिलने के बाद सागर सांसद राजबहादुर सिंह भी उन रास्तों का जायजा लेने और रास्तों पर भोजन पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करने पहुंचे.

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