सागर। ब्राह्मणों और कथा वाचक के साथ महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी कर भाजपा से निष्कासित नेता प्रीतम लोधी लगातार ब्राह्मणों और कथावाचकों को निशाने पर ले रहे हैं, उनके बयान को लेकर बागेश्वर धाम के अधिपति पंडित धीरेंद्र शास्त्री द्वारा की गई के बाद प्रीतम लोधी, साधना भारती और लोधी समुदाय लगातार पंडित धीरेंद्र शास्त्री पर निशाना साध रहे हैं. पंडित धीरेंद्र शास्त्री को लेकर अब उनके गुरु चित्रकूट धाम के जगतगुरु पद्म विभूषण रामभद्राचार्य जी सामने आए हैं. उन्होंने जहां अपने शिष्य धीरेंद्र शास्त्री का बचाव किया है और उनके बयानों को उचित ठहराया है. वहीं उन्होंने प्रीतम लोधी और साधना भारती को खरी-खोटी सुनाई हैं. उन्होंने प्रीतम लोधी से कहा है कि क्यों भारत का विभाजन करना चाहते हो? वहीं साधना भारती से कहा है कि मेरे से आकर कुछ पढ़ लो, अभी तुम्हें शास्त्रों का क, ख, ग भी नहीं आता. Pritam Lodhi VS Brahmins
क्या है मामला: दरअसल सागर के बंडा थाने के ग्राम खेजराभेड़ा में 13 वर्ष की लोधी समुदाय की लड़की के साथ 56 वर्ष के ब्राह्मण बुजुर्ग पर अपहरण और दुष्कर्म का आरोप लगा था, पीड़िता की शिकायत पर पुलिस द्वारा आरोपी को गिरफ्तार कर अपहरण, दुष्कर्म और पाक्सो एक्ट की धाराओं में न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया था. लेकिन इसके बाद भी इस घटना को जाति और वर्ग ध्रुवीकरण का मुद्दा बनाया जा रहा है. इस घटना को लेकर तत्कालीन भाजपा नेता प्रीतम लोधी का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह ब्राह्मणों, कथावाचक और ब्राह्मण महिलाओं पर अनर्गल टिप्पणी कर रहे थे, वीडियो के वायरल होने के बाद पूरे प्रदेश में ब्राह्मण समुदाय नाराज होकर सड़कों पर उतर आया और भाजपा से प्रीतम लोधी के निष्कासन की मांग की थी. ब्राह्मणों की नाराजगी बढ़ते देख भाजपा ने प्रीतम लोधी को निष्कासित कर दिया. निष्कासन के बाद प्रीतम लोधी और ज्यादा उग्र हो गए और लोधी समुदाय के साथ खुलकर ब्राम्हण विरोध पर उतर आए, उनकी बयानबाजी को लेकर बागेश्वर धाम के कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री ने कथा के दौरान वक्तव्य दिया और प्रीतम लोधी को खरी-खोटी सुनाते हुए उनके डीएनए पर सवाल खड़े किए थे. जिसके बाद लोधी समुदाय वीरेंद्र शास्त्री के विरोध में उतर आया था और प्रीतम लोधी के अलावा साधना भारती ने भी धीरेंद्र शास्त्री को खरी खोटी सुनाई, लेकिन अब धीरेंद्र शास्त्री के गुरु जगद्गुरु पद्मभूषण रामभद्राचार्य ने मोर्चा संभाला है और प्रीतम लोधी से लेकर साधना भारती को खरी-खोटी सुनाई है.
क्या कहा जगतगुरु पद्म विभूषण रामभद्राचार्य ने: पंडित धीरद्र शास्त्री के गुरु जगतगुरु पद्म विभूषण रामभद्राचार्य ने इस प्रकरण को लेकर कहा है कि "प्रीतम लोधी ने अप्रीतम वाक्य बोला है, मेरी दृष्टि में सभी हिंदू एक हैं, सभी वर्णों में कोई भी अपवित्र या पवित्र नहीं है. ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र चारों वर्णों भगवान के पुत्र हैं, किसी को भी किसी से कम नहीं कहा जा सकता है. ये मेरी नहीं शास्त्रों की मान्यता है, मैं कई बार कह भी चुका हूं कि शूद्र को ब्राह्मण से छोटा नहीं समझा जा सकता. जब चरण से निकली गंगा पवित्र हो सकती है, तो चरण से निकला शूद्र अपवित्र कैसे हो सकता है. यह ब्राह्मण का ही वाक्य है."
लोधी साहब को क्या भारत विभाजन का नशा चढ़ गया: जगतगुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि "मैंने तो कभी हिंदुओं में भेद-भाव माना नहीं, अब लोधी साहब को क्या भारत के विभाजन का नशा चढ़ गया है. मैं आज उन को खुली चुनौती दे रहा हूं कि शस्त्र के बल पर नहीं शास्त्र के बल पर मुझसे चर्चा कर लें. बागेश्वर धाम के अधिपति मेरे शिष्य हैं, मैं जिम्मेदारी लेता हूं कि उन्होंने जो कुछ भी कहा है, बहुत अच्छा कहा है. एक कोई महिला भी बोल रही थी, महिलाओं को तो मैं कुछ नहीं कह सकता."
ब्राह्मणों से इतनी चिढ़ क्यों, आखिर क्या बिगाड़ा ब्राह्मणों ने: जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने अपनी कथा के दौरान चर्चा करते हुए कहा कि "मैं आज दो चार बिंदुओं पर चर्चा करूंगा, पहली बात तो यह कह रहा हूं कि ब्राह्मणों से इतनी चिढ़ क्यों? ब्राह्मणों ने क्या बिगाड़ा है, जो लोग चिल्ला रहे हैं. जो कुछ करना है, कर लेना. मैं कह रहा हूं कि बाल्मीकि जी ब्राह्मण थे, ब्राह्मण ही एक ऐसा है जो गोमुख से लेकर गंगासागर तक कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक संपूर्ण भारत को एक करने का काम कर सकता है. ब्राह्मणों ने कहां विभाजन कराया है, महापद्मानंद के चंगुल से भारत को चाणक्य ने छुड़ाया था. क्या लोधी जी को इतना ज्ञान है कि चाणक्य ब्राह्मण ही थे? पूरा इतिहास उठा कर देखिए जब-जब आतंकवादियों के अत्याचार बढ़े, तब-तब ब्राह्मणों ने आतंकवादियों से लोहा लिया है. जब हिरण्यकश्यप का अत्याचार बढ़ा है, तो ब्राह्मण नारद ने ही प्रहलाद आतंकवाद से लोहा लेने के लिए प्रेरित किया था."
मैं अपने शिष्य का शत-प्रतिशत नहीं, हजार प्रतिशत समर्थन करता हूं: जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने यह भी कहा कि "मैं अपने सुयोग्य शिष्य बागेश्वर धाम के अधिपति धीरेंद्र शास्त्री का शत प्रतिशत नहीं हजार प्रतिशत समर्थन कर रहा हूं, जो महिला कह रही थी, अब महिलाओं को मैं कुछ नहीं कह सकता हूं, पर मैं कहता हूं कि बेटी कुछ आकर मेरे से पढ़ लो, तुम शास्त्र का क ख ग नहीं जानती हो. धीरेंद्र शास्त्री को अहंकार गुरु का अहंकार है, दो स्वाभिमान होना चाहिए एक गुरु का स्वाभिमान और दूसरा गोविंद का स्वाभिमान." उन्होंने आगे कहा "आपके जो वक्तव्य उसने दिए ठीक नहीं किया, विषय को पढ़ा नहीं. मैं अधिकारिक व्यक्ति हूं, सामान्य नहीं हूं. मैं स्वयं कह रहा हूं कि धीरद्र शास्त्री का शिष्य हूं, जाओ बहुत हठ करोगे, तो मानहानि का अभियोग भी में चलाऊंगा. धीरेंद्र शास्त्री ने जो कुछ कहा मर्यादा के अनुकूल कहा, कुछ भी विरुद्ध उसने नहीं कहा. ऐसे वक्तव्य कभी नहीं देना चाहिए, ब्राह्मण तुम्हारा क्या बिगाड़ रहा है. निंदा करके क्या लाभ पाओगे, तुम्हारे यहां हम कब भीख मांगने आते हैं."