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यूनिवर्सिटी में नमाज से बढ़ा विवाद, हिंदू संगठनों ने विरोध में पढ़ा हनुमान चलीसा

केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर में एक छात्रा द्वारा हिजाब पहनकर नमाज़ पढ़े जाने का वीडियो वायरल होने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने जहां तीन दिन में जांच के आदेश दिए हैं वहीं, अब अलग-अलग संगठनों द्वारा प्रतिक्रिया भी सामने आ रही हैं. (Sagar University Namaz controversy)

Sagar University Namaz controversy
कॉलेज में नमाज से बढ़ा विवाद
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Published : Mar 26, 2022, 8:41 PM IST

Updated : Mar 26, 2022, 9:27 PM IST

सागर। केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर में एक छात्रा द्वारा हिजाब पहनकर नमाज़ पढ़े जाने का वीडियो वायरल होने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने जहां तीन दिन में जांच के आदेश दिए हैं वहीं, अब अलग-अलग संगठनों द्वारा प्रतिक्रिया भी सामने आ रही हैं. (Sagar University Namaz controversy)

हिंदू संगठनों ने कॉलेज में नमाज के विरोध में पढ़ा हनुमान चलीसा

क्या है मामला: सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होता वीडियो सागर के डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय के एजुकेशन डिपार्टमेंट का है. यहां दमोह निवासी एक छात्रा जो नियमित रूप से हिजाब पहन कर आती है, वह शुक्रवार दोपहर में यूनिवर्सिटी में ही नमाज अदा कर रही थी. वीडियो वायरल होते ही कई हिंदू संगठन इसके विरोध में उतर आए और विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार और कुलपति से शिकायत की. छात्रा बीएससी बीएड की पढ़ाई कर रही है.

कॉलेज में नमाज से बढ़ा विवाद

विश्वविद्यालय ने धार्मिक अनुष्ठानों और क्रियाकलापों पर लगाई रोक: इस संबंध में ईटीवी भारत ने जब केंद्रीय विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता से बात की तो उनका कहना है कि, मैं कल रात ही सागर पहुंची हूं और मामला मेरे संज्ञान में आया है. छात्रा का हिजाब में आना कोई नई बात नहीं है, लेकिन यूनिवर्सिटी कॉरिडोर में नमाज पढ़ने का वीडियो वायरल होने के बाद एक जांच कमेटी गठित कर घटना की जांच के निर्देश दिए हैं. जो घटना से संबंधित तथ्यों को हमारे सामने रखेगी. उन्होंने कहा कि, हमने छात्र-छात्राओं को निर्देशित किया है कि विश्वविद्यालय में पठन-पाठन का माहौल रहता है, जितने भी सांप्रदायिक कार्य हैं, उन्हें घर या किसी धार्मिक स्थल पर करें. जिससे विश्व विद्यालय में पठन-पाठन का माहौल बना रहे. इसके साथ ही, मामले में विश्वविद्यालय के मीडिया ऑफिसर विवेक जायसवाल ने कहा कि, संगठनों ने एक वायरल वीडियो के आधार पर शिकायत दर्ज कराई है. प्रशासन वीडियो की जांच और मामले का अध्ययन कर आगे कार्रवाई का निर्णय करेगा. (Sagar University Namaz in Hijab)

नमाज मामले में कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता का बयान

हिंदू जागरण मंच ने की कानून बनाने की मांग: शिकायतकर्ता हिंदू जागरण मंच के संयोजक उमेश सर्राफ ने कहा है कि, विश्वविद्यालय में नमाज पढ़ने का मामला सामने आया है। विषय की गंभीरता को देखते हुए कल मैंने कुलपति महोदया और कुलसचिव से बात की थी, उन्होंने संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश भी दिए हैं. पूर्व में कर्नाटक में हिजाब के मामले को लेकर पूरे देश में सांप्रदायिकता का माहौल बनाया गया था, यह देश के लिए बहुत बड़ा खतरा है. वहीं शैक्षणिक संस्थानों में इस प्रकार के कृत्य होना गंभीर विषय है. इसलिए इस मामले पर सख्त से सख्त कार्रवाई होना चाहिए और सख्त से सख्त कानून बनाना चाहिए। ताकि शैक्षणिक संस्थानों का माहौल प्रभावित ना हो।

एनएसयूआई ने पढ़ा चलीसा: वहीं मामले में एनएसयूआई के अक्षय दुबे का कहना है कि, सागर विश्वविद्यालय की ख्याति पूरे देश में शिक्षा को लेकर है. पूरे देश के विद्यार्थी यहां पढ़ाई करने के लिए आते हैं, शिक्षा के मंदिर में शिक्षा ही मिले. इस प्रकार की विवाद की स्थिति बनती है, तो उसकी जिम्मेदारी कुलपति और विश्वविद्यालय प्रशासन की है। इस तरह की घटनाएं नहीं होना चाहिए। जिससे विश्वविद्यालय की ख्याति पर असर पड़े. इसके साथ ही वीडियो वायरल होने के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया है. विश्व हिंदू परिषद के समर्थकों ने विश्वविद्यालय में प्रदर्शन करते हुए हनुमान चालीसा का पाठ किया और कहा कि, अगर विश्वविद्यालय में इस तरह की गतिविधि होंगी, तो हर पीरियड के पहले हनुमान चालीसा का पाठ किया जाएगा.(Hindu organizations read Hanuman Chalisa in protest of Namaz controversy)

जमीयत उलेमा हिंद ने दिया यह बयान: जमीयत उलेमा हिंद के जिला सचिव मुफ्ती अबरार उल हक ने कहा है कि, सबसे पहले तो हम यह जानना चाहते हैं कि जो वीडियो वायरल हुआ है, वह अभी का है या पुराना या फिर कहीं और का है. इसकी जानकारी विश्वविद्यालय प्रशासन या किसी अन्य जिम्मेदार द्वारा अभी तक नहीं दी गई है. इस मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा जांच कमेटी बनाई गई है और जांच कमेटी की जो रिपोर्ट आएगी, उसके बाद ही हम कुछ कह पाएंगे. उन्होंने कहा कि, जहां तक विश्वविद्यालय में जो भी गतिविधियां हो रही हैं, उनकी जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन की है. देखा जाए तो ज्यादातर कार्यक्रम गणेश पूजन और सरस्वती पूजा से शुरू होते है, इनका समर्थन सभी द्वारा किया है. वहीं, योग दिवस का समर्थन सभी लोगों द्वारा किया जाता है. कोई भी धर्म किसी दूसरे धर्म के खिलाफ कोई संदेश नहीं देता है. हमारे संविधान के अनुसार धर्म को अपनाने और उससे संबंधित क्रियाकलाप करने का अधिकार दिया गया है और यह सब के लिए है. इसलिए मेरा मानना है कि इस मामले में काम करना चाहिए.

सागर। केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर में एक छात्रा द्वारा हिजाब पहनकर नमाज़ पढ़े जाने का वीडियो वायरल होने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने जहां तीन दिन में जांच के आदेश दिए हैं वहीं, अब अलग-अलग संगठनों द्वारा प्रतिक्रिया भी सामने आ रही हैं. (Sagar University Namaz controversy)

हिंदू संगठनों ने कॉलेज में नमाज के विरोध में पढ़ा हनुमान चलीसा

क्या है मामला: सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होता वीडियो सागर के डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय के एजुकेशन डिपार्टमेंट का है. यहां दमोह निवासी एक छात्रा जो नियमित रूप से हिजाब पहन कर आती है, वह शुक्रवार दोपहर में यूनिवर्सिटी में ही नमाज अदा कर रही थी. वीडियो वायरल होते ही कई हिंदू संगठन इसके विरोध में उतर आए और विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार और कुलपति से शिकायत की. छात्रा बीएससी बीएड की पढ़ाई कर रही है.

कॉलेज में नमाज से बढ़ा विवाद

विश्वविद्यालय ने धार्मिक अनुष्ठानों और क्रियाकलापों पर लगाई रोक: इस संबंध में ईटीवी भारत ने जब केंद्रीय विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता से बात की तो उनका कहना है कि, मैं कल रात ही सागर पहुंची हूं और मामला मेरे संज्ञान में आया है. छात्रा का हिजाब में आना कोई नई बात नहीं है, लेकिन यूनिवर्सिटी कॉरिडोर में नमाज पढ़ने का वीडियो वायरल होने के बाद एक जांच कमेटी गठित कर घटना की जांच के निर्देश दिए हैं. जो घटना से संबंधित तथ्यों को हमारे सामने रखेगी. उन्होंने कहा कि, हमने छात्र-छात्राओं को निर्देशित किया है कि विश्वविद्यालय में पठन-पाठन का माहौल रहता है, जितने भी सांप्रदायिक कार्य हैं, उन्हें घर या किसी धार्मिक स्थल पर करें. जिससे विश्व विद्यालय में पठन-पाठन का माहौल बना रहे. इसके साथ ही, मामले में विश्वविद्यालय के मीडिया ऑफिसर विवेक जायसवाल ने कहा कि, संगठनों ने एक वायरल वीडियो के आधार पर शिकायत दर्ज कराई है. प्रशासन वीडियो की जांच और मामले का अध्ययन कर आगे कार्रवाई का निर्णय करेगा. (Sagar University Namaz in Hijab)

नमाज मामले में कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता का बयान

हिंदू जागरण मंच ने की कानून बनाने की मांग: शिकायतकर्ता हिंदू जागरण मंच के संयोजक उमेश सर्राफ ने कहा है कि, विश्वविद्यालय में नमाज पढ़ने का मामला सामने आया है। विषय की गंभीरता को देखते हुए कल मैंने कुलपति महोदया और कुलसचिव से बात की थी, उन्होंने संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश भी दिए हैं. पूर्व में कर्नाटक में हिजाब के मामले को लेकर पूरे देश में सांप्रदायिकता का माहौल बनाया गया था, यह देश के लिए बहुत बड़ा खतरा है. वहीं शैक्षणिक संस्थानों में इस प्रकार के कृत्य होना गंभीर विषय है. इसलिए इस मामले पर सख्त से सख्त कार्रवाई होना चाहिए और सख्त से सख्त कानून बनाना चाहिए। ताकि शैक्षणिक संस्थानों का माहौल प्रभावित ना हो।

एनएसयूआई ने पढ़ा चलीसा: वहीं मामले में एनएसयूआई के अक्षय दुबे का कहना है कि, सागर विश्वविद्यालय की ख्याति पूरे देश में शिक्षा को लेकर है. पूरे देश के विद्यार्थी यहां पढ़ाई करने के लिए आते हैं, शिक्षा के मंदिर में शिक्षा ही मिले. इस प्रकार की विवाद की स्थिति बनती है, तो उसकी जिम्मेदारी कुलपति और विश्वविद्यालय प्रशासन की है। इस तरह की घटनाएं नहीं होना चाहिए। जिससे विश्वविद्यालय की ख्याति पर असर पड़े. इसके साथ ही वीडियो वायरल होने के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया है. विश्व हिंदू परिषद के समर्थकों ने विश्वविद्यालय में प्रदर्शन करते हुए हनुमान चालीसा का पाठ किया और कहा कि, अगर विश्वविद्यालय में इस तरह की गतिविधि होंगी, तो हर पीरियड के पहले हनुमान चालीसा का पाठ किया जाएगा.(Hindu organizations read Hanuman Chalisa in protest of Namaz controversy)

जमीयत उलेमा हिंद ने दिया यह बयान: जमीयत उलेमा हिंद के जिला सचिव मुफ्ती अबरार उल हक ने कहा है कि, सबसे पहले तो हम यह जानना चाहते हैं कि जो वीडियो वायरल हुआ है, वह अभी का है या पुराना या फिर कहीं और का है. इसकी जानकारी विश्वविद्यालय प्रशासन या किसी अन्य जिम्मेदार द्वारा अभी तक नहीं दी गई है. इस मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा जांच कमेटी बनाई गई है और जांच कमेटी की जो रिपोर्ट आएगी, उसके बाद ही हम कुछ कह पाएंगे. उन्होंने कहा कि, जहां तक विश्वविद्यालय में जो भी गतिविधियां हो रही हैं, उनकी जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन की है. देखा जाए तो ज्यादातर कार्यक्रम गणेश पूजन और सरस्वती पूजा से शुरू होते है, इनका समर्थन सभी द्वारा किया है. वहीं, योग दिवस का समर्थन सभी लोगों द्वारा किया जाता है. कोई भी धर्म किसी दूसरे धर्म के खिलाफ कोई संदेश नहीं देता है. हमारे संविधान के अनुसार धर्म को अपनाने और उससे संबंधित क्रियाकलाप करने का अधिकार दिया गया है और यह सब के लिए है. इसलिए मेरा मानना है कि इस मामले में काम करना चाहिए.

Last Updated : Mar 26, 2022, 9:27 PM IST
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