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भारी भरकम जीएसटी ने तोड़ी बीड़ी व्यापारियों की कमर, सरकार को घाटा, अवैध कारोबारियों की चांदी

प्रदेश के बुंदेलखंड और महाकौशल क्षेत्रों के साथ देश के कई राज्यों में ग्रामीण इलाकों के कुटीर उद्योग के रूप में स्थापित हो चुके बीड़ी व्यवसाय पर गंभीर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. जिसके चलते (Beedi industry in crisis) वैध तरीके से व्यवसाय करने वालों की कमर टूटती जा रही है और अवैध व्यवसाय करने वालों की चांदी हो रही है.

Beedi industry in crisis
भारी भरकम जीएसटी ने तोड़ी बीड़ी व्यपारियों की कमर
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Published : Feb 25, 2022, 9:09 PM IST

सागर। प्रदेश के बुंदेलखंड और महाकौशल क्षेत्रों के साथ देश के कई राज्यों में ग्रामीण इलाकों के कुटीर उद्योग के रूप में स्थापित हो चुके बीड़ी व्यवसाय पर गंभीर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. दरअसल, बीड़ी और बीड़ी बनाने में काम आने वाले तमाम उत्पादों पर भारी-भरकम जीएसटी लगा दिया गया है जिसके चलते वैध तरीके से बीड़ी व्यवसाय करने वाले लोगों की कमर टूट (Beedi industry in crisis) गई है. हालाकि, अवैध तरीके से बीड़ी व्यवसायियों की चांदी भी हुई है, लेकिन इन परिस्थितियों में सरकार को राजस्व की हानि हो रही है.

भारी भरकम जीएसटी ने तोड़ी बीड़ी व्यपारियों की कमर

जीएसटी लगने से बढ़ी चिंता
सरकार द्वारा विभिन्न उत्पादों पर लगाई गई जीएसटी आम कारोबारियों की तो कमर तोड़ ही रही है, दूसरी तरफ ग्रामीण अंचलों में ग्रामीण मजदूरों को कुटीर उद्योग के तौर पर रोजगार उपलब्ध कराने वाले बीड़ी व्यवसाय की भी कमर तोड़ दी है. बीड़ी पर मौजूदा स्थिति में 28% जीएसटी लगता है, इसके अलावा तेंदूपत्ता पर 18% और तंबाकू पर 28% जीएसटी लगता है. इसके साथ ही प्रिंटिंग पर 18% जीएसटी देना होता है. भारी भरकम जीएसटी के कारण बीड़ी उत्पादन की लागत काफी बढ़ गई है, पिछले दिनों बीडी पर लगने वाले करों को लेकर स्वदेशी जागरण मंच, भारतीय मजदूर संघ और ऑल इंडिया बीड़ी इंडस्ट्री फेडरेशन के लोगों के अलावा बीड़ी उद्योग वाले प्रदेशों के राजनीतिक दलों के जनप्रतिनिधियों ने राउंड टेबल मीटिंग की थी, इस मीटिंग में बीड़ी उद्योग की मौजूदा स्थिति और बीड़ी पर लगने वाले करों का व्यवसाय पर क्या असर पड़ रहा है, इस पर मंथन किया गया.

जीएसटी रिटर्न का मुश्किल पैटर्न, एमपी के कई कारोबारी नहीं भर पा रहे रिटर्न अब देनी होगी पेनेल्टी, रियल टाइम इनपुट क्रेडिट शो करने की मांग

अवैध व्यवसायियों की चांदी
भारी भरकम जीएसटी के कारण बीड़ी उद्योग का ढांचा पूरी तरह से चरमरा गया है. इस परिस्थितियों में वो लोग ज्यादा पनप रहे हैं, जो नियम कायदे से व्यवसाय नहीं करते हैं. चोरी का तेंदूपत्ता, तंबाकू और हर चीज लेकर चोरी छुपे बीड़ी बनवाते हैं और बिना करों का भुगतान किए हुए बीड़ी का व्यवसाय करते हैं. इन हालातों में वैध तरीके से व्यवसाय करने वालों की कमर टूटती जा रही है और अवैध व्यवसाय करने वालों की चांदी हो रही है.

सरकार को हो रहा है घाटा
बीड़ी के अवैध व्यवसाय से सिर्फ वैध तरीके से व्यवसाय करने वाले कारोबारियों का नुकसान नहीं हो रहा है, बल्कि सरकार को भी बड़े पैमाने पर नुकसान हो रहा है. जो लोग अवैध तरीके से बीड़ी बनवाते हैं और उसको बाजार में अवैध तरीके से ही बेंचते हैं, ऐसी स्थिति में सरकार को ना तो तेंदूपत्ता और तंबाकू पर मिलने वाला जीएसटी हासिल होता है और ना ही बीड़ी के तैयार हो जाने के बाद मिलने वाला 28% जीएसटी. इससे अवैध कारोबारियों को तो जमकर आमदनी होती है, लेकिन सरकार को राजस्व कुछ भी हासिल नहीं होता.

सागर। प्रदेश के बुंदेलखंड और महाकौशल क्षेत्रों के साथ देश के कई राज्यों में ग्रामीण इलाकों के कुटीर उद्योग के रूप में स्थापित हो चुके बीड़ी व्यवसाय पर गंभीर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. दरअसल, बीड़ी और बीड़ी बनाने में काम आने वाले तमाम उत्पादों पर भारी-भरकम जीएसटी लगा दिया गया है जिसके चलते वैध तरीके से बीड़ी व्यवसाय करने वाले लोगों की कमर टूट (Beedi industry in crisis) गई है. हालाकि, अवैध तरीके से बीड़ी व्यवसायियों की चांदी भी हुई है, लेकिन इन परिस्थितियों में सरकार को राजस्व की हानि हो रही है.

भारी भरकम जीएसटी ने तोड़ी बीड़ी व्यपारियों की कमर

जीएसटी लगने से बढ़ी चिंता
सरकार द्वारा विभिन्न उत्पादों पर लगाई गई जीएसटी आम कारोबारियों की तो कमर तोड़ ही रही है, दूसरी तरफ ग्रामीण अंचलों में ग्रामीण मजदूरों को कुटीर उद्योग के तौर पर रोजगार उपलब्ध कराने वाले बीड़ी व्यवसाय की भी कमर तोड़ दी है. बीड़ी पर मौजूदा स्थिति में 28% जीएसटी लगता है, इसके अलावा तेंदूपत्ता पर 18% और तंबाकू पर 28% जीएसटी लगता है. इसके साथ ही प्रिंटिंग पर 18% जीएसटी देना होता है. भारी भरकम जीएसटी के कारण बीड़ी उत्पादन की लागत काफी बढ़ गई है, पिछले दिनों बीडी पर लगने वाले करों को लेकर स्वदेशी जागरण मंच, भारतीय मजदूर संघ और ऑल इंडिया बीड़ी इंडस्ट्री फेडरेशन के लोगों के अलावा बीड़ी उद्योग वाले प्रदेशों के राजनीतिक दलों के जनप्रतिनिधियों ने राउंड टेबल मीटिंग की थी, इस मीटिंग में बीड़ी उद्योग की मौजूदा स्थिति और बीड़ी पर लगने वाले करों का व्यवसाय पर क्या असर पड़ रहा है, इस पर मंथन किया गया.

जीएसटी रिटर्न का मुश्किल पैटर्न, एमपी के कई कारोबारी नहीं भर पा रहे रिटर्न अब देनी होगी पेनेल्टी, रियल टाइम इनपुट क्रेडिट शो करने की मांग

अवैध व्यवसायियों की चांदी
भारी भरकम जीएसटी के कारण बीड़ी उद्योग का ढांचा पूरी तरह से चरमरा गया है. इस परिस्थितियों में वो लोग ज्यादा पनप रहे हैं, जो नियम कायदे से व्यवसाय नहीं करते हैं. चोरी का तेंदूपत्ता, तंबाकू और हर चीज लेकर चोरी छुपे बीड़ी बनवाते हैं और बिना करों का भुगतान किए हुए बीड़ी का व्यवसाय करते हैं. इन हालातों में वैध तरीके से व्यवसाय करने वालों की कमर टूटती जा रही है और अवैध व्यवसाय करने वालों की चांदी हो रही है.

सरकार को हो रहा है घाटा
बीड़ी के अवैध व्यवसाय से सिर्फ वैध तरीके से व्यवसाय करने वाले कारोबारियों का नुकसान नहीं हो रहा है, बल्कि सरकार को भी बड़े पैमाने पर नुकसान हो रहा है. जो लोग अवैध तरीके से बीड़ी बनवाते हैं और उसको बाजार में अवैध तरीके से ही बेंचते हैं, ऐसी स्थिति में सरकार को ना तो तेंदूपत्ता और तंबाकू पर मिलने वाला जीएसटी हासिल होता है और ना ही बीड़ी के तैयार हो जाने के बाद मिलने वाला 28% जीएसटी. इससे अवैध कारोबारियों को तो जमकर आमदनी होती है, लेकिन सरकार को राजस्व कुछ भी हासिल नहीं होता.

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