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Rewa Muktidham Scam:रीवा में चोरी हो गया मुक्तिधाम ! कमिश्नर ने करवाई जांच तो सामने आई सच्चाई, जानें क्या है पूरा मामला - Muktidham Theft In Sedha Panchayat Rewa

आपने अभी तक गहने जेवरात की चोरी के बारे में अकसर सुना होगा, लेकिन यह कभी नहीं सुना होगा कि मुक्तिधाम की चोरी हो गई है. ऐसा ही एक अनोखा मामला सामने आया है रीवा के सेदहा ग्राम पंचायत से. जाने क्या है मुक्तिधाम के चोरी होने की सच्चाई (Muktidham Theft In Sedha Panchayat Rewa).

Rewa Muktidham Scam
रीवा मुक्तिधाम चोरी
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Published : Jul 30, 2022, 8:58 PM IST

रीवा। मुक्तिधाम की चोरी का यह मामला गंगेव जनपद पंचायत के सेदहा गांव का है. यहां जनता के पैसों का बंदरबाट करने के लिए अधिकारी कर्मचारियों ने सारी हदें पार कर दीं. ग्राम पंचायत सेदहा में मुक्तिधाम के निर्माण के लिए 14 लाख 95 हजार की राशि स्वीकृत हुई थी. (Muktidham Theft In Sedha Panchayat Rewa) जब इसकी जांच की गई तो लगभग 15 लाख रुपए खर्च कर बना मुक्तिधाम निर्धारित स्थान से 15 किलोमीटर दूर दूसरी पंचायत में चट्टानों के बीच मिला. जहां केवल पत्थरों की बाउंड्री वाल ही नजर आई. कमिश्नर रीवा (Rewa Commissioner) अनिल सुचारी को आरटीआई कार्यकर्ता (Shivanand Dwivedi) ने मुक्तिधाम निर्माण में हुए घोटाले से संबंधित जानकारी उपलब्ध कराई गई. जिसके बाद कमिश्नर की जांच में जो सच्चाई सामने आई उसे जान कर आप ही कहने लगेंगे एमपी अजब है एमपी गजब है.

शिवानंद द्विवेदी ने की राशि वसूली की मांग


जांच में जुटा प्रशानिक अमला: सेदहा पंचायत के बघबिल नाम की जगह पर शासकीय राजस्व नंबर 3 पर 14 लाख 95 हजार रुपए का मुक्तिधाम वर्ष 2014-16 के बीच में बनाया गया था. शिकायतकर्ता द्वारा शिकायत की गई थी कि, शांतिधाम सेदहा पंचायत की रकबा नंबर 3 में नहीं बना है. इसकी जांच कमिश्नर रीवा अनिल सुचारी ने सिरमौर के अनुविभागीय अधिकारी नीलमणि अग्निहोत्री से इसकी जांच करने को कहा. एसडीएम सिरमौर नीलमणि अग्निहोत्री ने पटवारियों की टीम भेजकर जब 28 जुलाई 2022 को मौके पर नापजोख की तो पता चला कि, 14 लाख 95 हजार की लागत से बना मुक्तिधाम सेदहा पंचायत में है ही नहीं. जांच के दौरान यह मुक्तिधाम नजदीकी हिनौती पंचायत के गदही गांव के रकबा नंबर 24 - 27 में बना पाया गया. मामले की सच्चाई सामने आने के बाद ग्रामीणों के साथ ही अधिकारी भी इस बात से हैरान हैं कि आखिर सेदहा पंचायत में बनाया गया मुक्तिधाम, हिनौती पंचायत में कैसे पहुंच गया. कहीं ऐसा तो नहीं कि शांतिधाम चोरी हो गया हो और चुरा कर उसे हिनौती पंचायत पहुंचा दिया गया हो.

Rewa Muktidham Scam
रीवा मुक्तिधाम चोरी

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मुक्तिधाम के नाम पर सिर्फ पत्थर की बाउंड्रीबाल : अब सवाल यह है कि क्या रिहायशी इलाके से 15 किलोमीटर दूर जंगल, पहाड़ नदी नालों को पार करते हुए बनाए गए इस मुक्तिधाम की कोई उपयोगिता है. ग्राम पंचायत सेदहा और आसपास के अन्य ग्रामीणों ने का कहना है कि जब यह शांतिधाम बना तब किसी को पता ही नहीं है कि वहां पर शांतिधाम है. सभी लोग इसे किसी की निजी भूमि को कवर करने के लिए बनी बाउंड्रीवॉल ही समझते थे. जब लोगों को यह जानकारी मिली कि पंचायत विभाग के रिकॉर्ड में यह पत्थरों से घिरी हुई जगह ही 15 लाख रुपए से तैयार हुआ मुक्तिधाम है. जिसके बाद लोगों ने सवाल खड़े करना शुरू कर दिए.


राशि वसूली की मांग: विभागीय जांच के दौरान जब मामला साफ हो गया तो ग्रामीणों ने यह मांग की कि इस पूरे मामले में जिस इंजीनियर ने लेआउट जारी किया, जिस इंजीनियर ने इसकी तकनीकी स्वीकृती दी, जिस सहायक यंत्री उपयंत्री एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने इसमें पूर्णता और उपयोगिता प्रमाण पत्र जारी किया उन सब के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई जाए. इसके साथ ही मुक्तिधाम बनाने के लिए आई राशि की बंदरबाट करने वाले अधिकारियों से इस राशि को वसूले जाने की मांग भी की है. फिलहाल मामले की जांच रिपोर्ट ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के कार्यपालन यंत्री और अनुविभागीय अधिकारी सहित राजस्व विभाग के पटवारी आरआई और अनुविभागीय दंडाधिकारी अब कमिश्नर रीवा संभाग अनिल सुचारी को सौंपेंगे जिसके बाद ही साफ हो पाएगा की दोषियों के खिलाफ आगे क्या कार्रवाई होती है.

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शिवानंद द्विवेदी का आराेप: मामले को लेकर आरटीआई एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी ने बताया की यह मुक्तिधाम निर्धारित स्थान से 15 किलोमीटर की दूरी पर दूसरी ग्राम पंचायत में एक जंगली और पहाड़ी इलाके में बना है. यहां पहुंचने का रास्ता काफी दुर्गम है. जब मौके पर जाकर देखा तो मुक्तिधाम में मात्र कुछ पत्थरों से बाउंड्रीवॉल बनाई गई है. मामले की शिकायत संभागीय कमिश्नर अनिल सुचारी से की गई. जिसके बाद जांच के लिए कमिश्नर ने दो टीमें गठित की और जांच शुरू करवाई गई. जिसमें मुक्तिधाम के चोरी होने की सच्चाई सामने आई. सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने आरोप लगाते हुए कहा कि, जंगल में मुक्तिधाम को बनाने से यह स्पष्ट होता है कि, मात्र सरकार और जनता और टैक्स के पैसों का बंदरबाट करने के लिए ही तत्कालीन सरपंच, सचिव, जनपद पंचायत के सीईओ और सहायक यंत्री, उपयंत्री ने मिलाकर लीपापोती की है.

रीवा। मुक्तिधाम की चोरी का यह मामला गंगेव जनपद पंचायत के सेदहा गांव का है. यहां जनता के पैसों का बंदरबाट करने के लिए अधिकारी कर्मचारियों ने सारी हदें पार कर दीं. ग्राम पंचायत सेदहा में मुक्तिधाम के निर्माण के लिए 14 लाख 95 हजार की राशि स्वीकृत हुई थी. (Muktidham Theft In Sedha Panchayat Rewa) जब इसकी जांच की गई तो लगभग 15 लाख रुपए खर्च कर बना मुक्तिधाम निर्धारित स्थान से 15 किलोमीटर दूर दूसरी पंचायत में चट्टानों के बीच मिला. जहां केवल पत्थरों की बाउंड्री वाल ही नजर आई. कमिश्नर रीवा (Rewa Commissioner) अनिल सुचारी को आरटीआई कार्यकर्ता (Shivanand Dwivedi) ने मुक्तिधाम निर्माण में हुए घोटाले से संबंधित जानकारी उपलब्ध कराई गई. जिसके बाद कमिश्नर की जांच में जो सच्चाई सामने आई उसे जान कर आप ही कहने लगेंगे एमपी अजब है एमपी गजब है.

शिवानंद द्विवेदी ने की राशि वसूली की मांग


जांच में जुटा प्रशानिक अमला: सेदहा पंचायत के बघबिल नाम की जगह पर शासकीय राजस्व नंबर 3 पर 14 लाख 95 हजार रुपए का मुक्तिधाम वर्ष 2014-16 के बीच में बनाया गया था. शिकायतकर्ता द्वारा शिकायत की गई थी कि, शांतिधाम सेदहा पंचायत की रकबा नंबर 3 में नहीं बना है. इसकी जांच कमिश्नर रीवा अनिल सुचारी ने सिरमौर के अनुविभागीय अधिकारी नीलमणि अग्निहोत्री से इसकी जांच करने को कहा. एसडीएम सिरमौर नीलमणि अग्निहोत्री ने पटवारियों की टीम भेजकर जब 28 जुलाई 2022 को मौके पर नापजोख की तो पता चला कि, 14 लाख 95 हजार की लागत से बना मुक्तिधाम सेदहा पंचायत में है ही नहीं. जांच के दौरान यह मुक्तिधाम नजदीकी हिनौती पंचायत के गदही गांव के रकबा नंबर 24 - 27 में बना पाया गया. मामले की सच्चाई सामने आने के बाद ग्रामीणों के साथ ही अधिकारी भी इस बात से हैरान हैं कि आखिर सेदहा पंचायत में बनाया गया मुक्तिधाम, हिनौती पंचायत में कैसे पहुंच गया. कहीं ऐसा तो नहीं कि शांतिधाम चोरी हो गया हो और चुरा कर उसे हिनौती पंचायत पहुंचा दिया गया हो.

Rewa Muktidham Scam
रीवा मुक्तिधाम चोरी

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मुक्तिधाम के नाम पर सिर्फ पत्थर की बाउंड्रीबाल : अब सवाल यह है कि क्या रिहायशी इलाके से 15 किलोमीटर दूर जंगल, पहाड़ नदी नालों को पार करते हुए बनाए गए इस मुक्तिधाम की कोई उपयोगिता है. ग्राम पंचायत सेदहा और आसपास के अन्य ग्रामीणों ने का कहना है कि जब यह शांतिधाम बना तब किसी को पता ही नहीं है कि वहां पर शांतिधाम है. सभी लोग इसे किसी की निजी भूमि को कवर करने के लिए बनी बाउंड्रीवॉल ही समझते थे. जब लोगों को यह जानकारी मिली कि पंचायत विभाग के रिकॉर्ड में यह पत्थरों से घिरी हुई जगह ही 15 लाख रुपए से तैयार हुआ मुक्तिधाम है. जिसके बाद लोगों ने सवाल खड़े करना शुरू कर दिए.


राशि वसूली की मांग: विभागीय जांच के दौरान जब मामला साफ हो गया तो ग्रामीणों ने यह मांग की कि इस पूरे मामले में जिस इंजीनियर ने लेआउट जारी किया, जिस इंजीनियर ने इसकी तकनीकी स्वीकृती दी, जिस सहायक यंत्री उपयंत्री एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने इसमें पूर्णता और उपयोगिता प्रमाण पत्र जारी किया उन सब के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई जाए. इसके साथ ही मुक्तिधाम बनाने के लिए आई राशि की बंदरबाट करने वाले अधिकारियों से इस राशि को वसूले जाने की मांग भी की है. फिलहाल मामले की जांच रिपोर्ट ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के कार्यपालन यंत्री और अनुविभागीय अधिकारी सहित राजस्व विभाग के पटवारी आरआई और अनुविभागीय दंडाधिकारी अब कमिश्नर रीवा संभाग अनिल सुचारी को सौंपेंगे जिसके बाद ही साफ हो पाएगा की दोषियों के खिलाफ आगे क्या कार्रवाई होती है.

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शिवानंद द्विवेदी का आराेप: मामले को लेकर आरटीआई एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी ने बताया की यह मुक्तिधाम निर्धारित स्थान से 15 किलोमीटर की दूरी पर दूसरी ग्राम पंचायत में एक जंगली और पहाड़ी इलाके में बना है. यहां पहुंचने का रास्ता काफी दुर्गम है. जब मौके पर जाकर देखा तो मुक्तिधाम में मात्र कुछ पत्थरों से बाउंड्रीवॉल बनाई गई है. मामले की शिकायत संभागीय कमिश्नर अनिल सुचारी से की गई. जिसके बाद जांच के लिए कमिश्नर ने दो टीमें गठित की और जांच शुरू करवाई गई. जिसमें मुक्तिधाम के चोरी होने की सच्चाई सामने आई. सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने आरोप लगाते हुए कहा कि, जंगल में मुक्तिधाम को बनाने से यह स्पष्ट होता है कि, मात्र सरकार और जनता और टैक्स के पैसों का बंदरबाट करने के लिए ही तत्कालीन सरपंच, सचिव, जनपद पंचायत के सीईओ और सहायक यंत्री, उपयंत्री ने मिलाकर लीपापोती की है.

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