रीवा। कोरोना काल में कुछ तस्वीरें ऐसी सामने आ रही हैं जो इंसान और इंसानियत की मजबूरी को बंया करती हैं. संक्रमण से मरने वाले मृतकों के परिजन की चींखती तस्वीरें हर किसी को रुला देती हैं. एक ऐसी ही तस्वीर रीवा से आई है. देश की रक्षा के लिए तैनात रहने वाला सीमा सुरक्षा बल का जवान अपनी पत्नी की रक्षा नहीं कर पाया. लाचार और बेबस इस जवान की पत्नी ने उसके सामने ही दम तोड़ दिया. कोरोना संक्रमित अपनी पत्नी को विनोद तिवारी नाम का यह शख्स 10 घंटे तक अस्पतालों के चक्कर काटता रहा, लेकिन कहीं से भी उसे मदद नहीं मिली.
हर दर पर लगाई गुहार, मगर नहीं बची जान
बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स के इस जवान को जिसने भी देखा सबकी आंखें नम हो गईं. पत्नी को जीवित रखने की चाह और आंखों में आंसू लिए जवान ने सुबह 6 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक कई निजी अस्पतालों का चक्कर लगाया, लेकिन उसे कहीं से भी मदद नहीं मिली. अंत में थका, हारा भटकता विनोद शहर के संजय गांधी अस्पताल पहुंचा, लेकिन वहां मौजूद कर्मचारियों ने भी उसे नजरअंदाज करने की कोशिश की.
अस्पताल में नहीं मिला ऑक्सीजन
सीधी जिले के रहने वाले विनोद तिवारी BSF में त्रिपुरा के 3 बटालियन में पदस्थ हैं. वो 4 दिनों की छुट्टी पर घर आए और और इस दौरान उनकी पत्नी श्यामवती तिवारी की अचानक तबियत खराब हो गई. सुबह 6 बजे से वो जिला अस्पताल के चक्कर काटते रहे, बाद में पता चला कि उनकी पत्नी कोरोना पॉजिटिव हैं. श्यामवती के सीने में काफी दर्द था और उन्हें सांस लेने में भी तकलीफ थी. विनोद, पत्नी को निजी अस्पताल लेकर पहुंचे लेकिन वहां ऑक्सीजन नहीं था. एक के बाद एक कई निजी अस्पतालों के चक्कर काटे, पर इलाज नहीं मिल सका. भागदौड़ में शाम के 5 बज गए, पेशेंट की हालत लगातार बिगड़ती गई. शाम 5 बजे वह अपनी पत्नी को लेकर संजय गांधी अस्पताल पहुंचे, लेकिन वहां भी कोई मदद करने वाला नहीं मिला.
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जवान के लिए ईटीवी भारत का सहयोग
पत्नी की जिंदगी बचाने की जद्दोजेहद में जुटा BSF जवान सिस्टम के आगे लाचार था. तभी उसकी नजर कुछ दूरी पर खड़े ईटीवी भारत की टीम पर पड़ी. मदद की आस में हाथ जोड़कर विनोद ने ईटीवी भारत की टीम से रोते हुए कहा...
हम देश के लिए मरते हैं, हमारी मदद करिए सर'. मैं हर जगह जा रहा हूं, कोई कहता है यहां जाइए कोई कहता है वहां जाइए. हम कहां जाएं? ये मेरी पत्नी है इसकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव है, लेकिन मेरी नेगेटिव है - विनोद तिवारी, BSF जवान
हमारी टीम ने अस्पताल प्रबंधन से बात की और श्यामवती तिवारी को संजय गांधी अस्पताल के कोरोना वार्ड में भर्ती कराया.
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...लेकिन नहीं रही श्यामवती
जिला अस्पताल के बाहर मौजूद ईटीवी भारत की टीम के सहयोग से जवान की पत्नी को अस्पताल में बेड तो मिल गया. लेकिन 4 दिनों तक अस्पताल में जिंदगी और मौत से संघर्ष में श्यामवती हार गई. विनोद नम आँखों से अपनी पत्नी के निधन की खबर सबको सुनाई और चला गया. उसने ज्यादा बात करने से इंकार कर दिया, कुछ गम तो कुछ अनुशासन का कायदा था.
बच्चों को नहीं है मां के निधन की खबर
अस्पताल से जाते-जाते आंखों में आंसू लिए "BSF" जवान ने मीडियाकर्मियों का धन्यवाद किया. अपने बच्चों का जिक्र करते हुए कहा कि उनका 13 साल का एक बेटा और 8 साल की बेटी है, जिन्हें अब तक पता नहीं कि उनकी माँ अब इस दुनिया में नहीं. पत्नी के निधन के शोक में डूबे विनोद कहते हैं कि अपने बच्चों को वह घर पहुंच कर क्या जवाब देंगे. कोरोना प्रोटोकॉल के तहत उनकी पत्नी के शव का अंतिम संस्कार हो गया, लेकिन मां का इंतजार कर रहे बच्चों को उनका अंतिम दर्शन भी नसीब नहीं हो पाया.