जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट में एक युवक ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि संपत्ति हड़पने के लिये उसकी मां को बंधक बनाकर रखा गया है. पीड़ित ने पुलिस से इसकी शिकायत भी की लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नही की. याचिका पर जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस डीके पालीवाल की बेंच ने मामले को गंभीरता से लेते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं.
अगली सुनवाई 4 जुलाई को: यह बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका कटनी बहोरीबंद के ग्राम कछारगांव निवासी रामजी पटेल की ओर से दायर की गई है. जिसमें आरोप है कि उसकी माँ पानबाई को सुनीता और अम्बिका पटेल ग्राम दिनरी खमरिया तहसील सिहोरा जिला जबलपुर ने संपत्ति हड़पने के चक्कर में एवं शारीरिक स्थिति का गलत फायदा उठाने के लिए 26 मई 2022 से अवैधानिक रूप से अपने घर में बंद कर के रखे हुए हैं. याचिकाकर्ता ने आरोपियों से प्रार्थना की, पुलिस से कई बार अपनी माँ को छुड़ाने के लिए मदद मांगी लेकिन कोई मदद नहीं मिली. याचिकाकर्ता ने पुलिस अधीक्षक जबलपुर, कटनी, थाना प्रभारी सिहोरा व स्लीमनाबाद को शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. पीड़ित की याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने सभी अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं.
निरस्त हो पंचायतों का निर्वाचन: पंच पद पर निर्विरोध निर्वाचन के बाद सम्पूर्ण प्रदेश में पंचायतों के निर्वाचन को निरस्त करने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. हाईकोर्ट जस्टिस अतुल श्रीधरन व जस्टिस डी के पालीवाल की ग्रीष्मकालीन विशेष खंडपीठ ने ग्राम पंचायत धूमा के पंच पद पर निर्विरोध निर्वाचन पर स्थगन की मांग की गई है. इस संबंध में बेंच ने याचिका को रेगुलर बैंच के समक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश दिये हैं
यह मामला: याचिकाकर्ता गोविन्द साहू की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि नवंबर 2021 में राज्य चुनाव आयोग ने पंचायतों के निर्वाचन की प्रक्रिया प्रारंभ की थी. उस प्रक्रिया के अंतर्गत याचिकाकर्ता ग्राम पंचायत धूमा में पंच पद पर निर्विरोध निर्वाचित हुआ था जिसका प्रमाण पत्र जारी किया जाना शेष था, किंतु राज्य निर्वाचन आयोग ने संपूर्ण प्रदेश की पंचायतों की निर्वाचन प्रक्रिया निरस्त कर दी. याचिकाकर्ता के अनुसार याचिकाकर्ता के निर्विरोध निर्वाचन के पश्चात केवल निर्वाचन याचिका के माध्यम से ही उसके चुनाव को प्रभावित किया जा सकता है. राज्य चुनाव आयोग नियमों के अंतर्गत केवल चुनाव कार्यक्रम को स्थगित कर सकता है, उसको निरस्त नहीं कर सकता. मामले में न्यायालय ने अनावेदकों से जवाब तलब किया था, लेकिन हाल ही में याचिका के लंबित रहने के दौरान राज्य निर्वाचन आयोग पुन: ग्राम पंचायत धूमा का चुनाव संपन्न कराने जा रही है जो कि अवैधानिक है.