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'आम' नहीं ये आमः बंजर धरती में पैदा होने वाले इस आम की लाखों में है कीमत - जबलपुर

जबलपुर जापान में टाइयो नो टमागो के नाम से मशहूर आम की एक खास वैरायटी जिसे इंग्लिश में एग ऑफ द सन का नाम दिया गया है. जापान मैं इस वैरायटी के आम लगभग ढाई लाख रुपया किलो बेचे जाते हैं. इस आम की एक खास वैरायटी जबलपुर में भी सफलतापूर्वक उगाई जा रही है.

जबलपुर में मिलेगा 'टाइयो नो टमैगो' आम
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Published : Jul 12, 2019, 6:12 PM IST

जबलपुर। आम नहीं है ये आम, बल्कि बेहद खास है क्योंकि बंजर धरती का सीना चीरकर पैदा होने वाले इस आम को दुनिया का सबसे महंगा आम होने का दावा किया जा रहा है. जापान के इस आम की पैदावार अब संस्कारधानी जबलपुर में भी शुरू हो चुकी है. जापान के टाइयो नो टमैगो मैंगोज को दुनिया का सबसे महंगा आम माना जाता है, इस एक आम की कीमत ढाई लाख रुपये तक होती है. जिस पर विश्वास करना थोड़ा मुश्किल लगता है. पर इस आम की खेती करने वाले किसान संकल्प सिंह परिहार ने इसकी खूबियों को बारीकी से गिनाया है.

दुनिया का सबसे महंगा आम अब जबलपुर में भी उपलब्ध

संकल्प सिंह परिहार ने दुनिया के सबसे महंगे आम की खेती बंजर जमीन पर करके मिसाल पेश की है. 'टाइयो नो टमैगो' आम का मतलब होता है 'एक ऑफ द सन' यानि सूरज का अंडा. जो अब बेहद सस्ती दरों पर जबलपुर में भी आपको मिल जाएगा. स्वाद में लाजबाव टाइयो नो टमैगो आम की खेती करने वाले संकल्प बताते हैं कि जबलपुर में ज्यादातर आम उत्तर भारत या आंध्र प्रदेश से मंगाया जाता है. जिन्हें कार्बाइड लगाकर पकाया जाता है. यही वजह है कि उन्होंने साफ-शुद्ध और ताजे आम की पैदावार का फैसला किया. अब उनके बगीचे के आसपास से जो भी गुजरता है, वह पेड़ से पके हुए आम को तोड़ कर ले जाता है. संकल्प कहते हैं कि उनकी यही सोच है कि अब इस आम की पहुंच हर आदमी तक हो.

जबलपुर हार्टिकल्चर विभाग के पास करोड़ों रुपए का बजट है, लेकिन उनके पास खाने के लिए आम की अच्छी किस्म तक नहीं है, जबकि संकल्प ने अपनी मेहनत से बंजर जमीन पर दुनिया के सबसे महंगे आम का बगीचा लगा दिया. इससे साफ है कि सरकार की योजनाओं का हकीकत से कम ही वास्ता है, लेकिन संकल्प के इस प्रयास में सरकार और बेरोजगारों को भी आगे बढ़ाना चाहिए. जिससे न सिर्फ लोगों को जैविक फल खाने को मिलेंगे, बल्कि अच्छा खासा रोजगार भी मिलेगा.

जबलपुर। आम नहीं है ये आम, बल्कि बेहद खास है क्योंकि बंजर धरती का सीना चीरकर पैदा होने वाले इस आम को दुनिया का सबसे महंगा आम होने का दावा किया जा रहा है. जापान के इस आम की पैदावार अब संस्कारधानी जबलपुर में भी शुरू हो चुकी है. जापान के टाइयो नो टमैगो मैंगोज को दुनिया का सबसे महंगा आम माना जाता है, इस एक आम की कीमत ढाई लाख रुपये तक होती है. जिस पर विश्वास करना थोड़ा मुश्किल लगता है. पर इस आम की खेती करने वाले किसान संकल्प सिंह परिहार ने इसकी खूबियों को बारीकी से गिनाया है.

दुनिया का सबसे महंगा आम अब जबलपुर में भी उपलब्ध

संकल्प सिंह परिहार ने दुनिया के सबसे महंगे आम की खेती बंजर जमीन पर करके मिसाल पेश की है. 'टाइयो नो टमैगो' आम का मतलब होता है 'एक ऑफ द सन' यानि सूरज का अंडा. जो अब बेहद सस्ती दरों पर जबलपुर में भी आपको मिल जाएगा. स्वाद में लाजबाव टाइयो नो टमैगो आम की खेती करने वाले संकल्प बताते हैं कि जबलपुर में ज्यादातर आम उत्तर भारत या आंध्र प्रदेश से मंगाया जाता है. जिन्हें कार्बाइड लगाकर पकाया जाता है. यही वजह है कि उन्होंने साफ-शुद्ध और ताजे आम की पैदावार का फैसला किया. अब उनके बगीचे के आसपास से जो भी गुजरता है, वह पेड़ से पके हुए आम को तोड़ कर ले जाता है. संकल्प कहते हैं कि उनकी यही सोच है कि अब इस आम की पहुंच हर आदमी तक हो.

जबलपुर हार्टिकल्चर विभाग के पास करोड़ों रुपए का बजट है, लेकिन उनके पास खाने के लिए आम की अच्छी किस्म तक नहीं है, जबकि संकल्प ने अपनी मेहनत से बंजर जमीन पर दुनिया के सबसे महंगे आम का बगीचा लगा दिया. इससे साफ है कि सरकार की योजनाओं का हकीकत से कम ही वास्ता है, लेकिन संकल्प के इस प्रयास में सरकार और बेरोजगारों को भी आगे बढ़ाना चाहिए. जिससे न सिर्फ लोगों को जैविक फल खाने को मिलेंगे, बल्कि अच्छा खासा रोजगार भी मिलेगा.

Intro:जापान का टाइयो नो टमागो या एक ऑफ द सन नाम का दुनिया का सबसे महंगा आम जबलपुर में सफलतापूर्वक उगाया गया बंजर जमीन पर खुले आसमान में हो रही है इस आम की सफल खेती


Body:जबलपुर जापान में टाइयो नो टमागो के नाम से मशहूर आम की एक खास वैरायटी जिसे इंग्लिश में एग ऑफ द सन का नाम दिया गया है जापान मैं इस वैरायटी के आम लगभग ढाई लाख रुपया किलो बेचे गए हैं आम की एक खास वैरायटी जबलपुर मैं सफलतापूर्वक उगाई जा रही है

आम की एक विशेष प्रजाति जो इन दिनों पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बनी हुई है यह आम अंडे की शक्ल का होता है बैगनी और लाल कलर के साथ ही पकने पर इसका कुछ हिस्सा पीला पड़ जाता है इसमें रेशे नहीं पाए जाते और स्वाद में यह बहुत मीठा होता है आम की यह प्रजाति जापान में संरक्षित वातावरण में उगाई जाती है लेकिन जबलपुर की तिलवारा घाट के पास बंजर पड़ी जमीन पर संकल्प सिंह परिहार ने इसे खुले वातावरण में उग आया है

दरअसल जबलपुर में आम के बगीचे नहीं है और ज्यादातर आम उत्तर भारत या आंध्र प्रदेश से आता है और यह आम कार्बाइड लगाकर पकाया जाता है संकल्प ने तय किया गिना तो वे खुद ऐसा केमिकल वाला हम खाएंगे और ना ही किसी को खाने देंगे बंजर पड़ी अपनी जमीन पर उन्होंने कुछ देसी हाइब्रिड और कुछ विदेशी हाइब्रिड किस्म के आमों की किस्में लगाएं इनमें सबसे ज्यादा सफल मल्लिका किस्म का नाम है संकल्प का कहना है कि यह आम अल्फाजों से भी बेहतर है इसमें ज्यादा पल्प होता है मल्लिका की यह वैरायटी स्वाद में बहुत अच्छी है

आम का ऐसा बगीचा जबलपुर के आसपास नहीं हैं लिहाजा जो भी इस सड़क से गुजरता है वह पेड़ से पके हुए आम को तोड़ कर ले जाता है संकल्प का यह सोच है कि आम केवल खास लोगों के लिए ना हो इसलिए इसकी कीमत भी बहुत कम है संकल्प का कहना है कि उन्होंने जो प्रयास किया है यह प्रयास सरकार को और बेरोजगार लोगों को जरूर करना चाहिए इससे ना सिर्फ लोगों को जैविक फल खाने को मिलेंगे बल्कि अच्छा खासा रोजगार भी मिलेगा


Conclusion:जबलपुर हॉर्टिकल्चर विभाग के पास करोड़ों रुपए का बजट है लेकिन उनके पास खाने के लिए एक आम तक नहीं है वहीं संकल्प ने अपनी मेहनत से बंजर जमीन पर एक बगीचा बना दिया इससे साफ होता है कि सरकार की योजनाएं और जमीनी हकीकत अलग अलग होती है
बाइट संकल्प सिंह परिहार आम उत्पादक किसान
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