जबलपुर। याचिकाकर्ता डॉ. रमेश यादव सहित अन्य 51 लोगों की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि निजी मेडिकल व डेंटल कॉलेज में 15 प्रतिशत सीटें एनआईआई कोटे के लिए आरक्षित रहती हैं. मेरिट लिस्ट के अनुसार योग्य छात्रों का सिलेक्शन अन्य 85 प्रतिशत सीट पर किया जाता है. मप्र निजी मेडिकल और डेंटल प्रवेश नियम 2016 के अनुसार एमबीबीएस कोर्स पूरा करने के बाद योग्यता के आधार पर मेरिट लिस्ट के अनुसार दाखिला लेने वालों को एक साल ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएं देना अनिवार्य है.
याचिका में यह कहा : इसके लिए दाखिला पाने वालों छात्रों को बांड भी भरवाया जाता है. इसके विपरित एनआरआई कोर्ट के तहत प्रवेश पाने वाले छात्रों के लिए यह नियव प्रभावशाली नहीं है. वह एमबीबीएस कोर्स कर सीधे पीजी कोर्स में दाखिला ले सकते हैं. योग्यता के आधार पर दाखिला प्राप्त करने वालों को एक साल ग्रामीण क्षेत्र में सेवा देने के बाद पीजी कोर्स में दाखिला मिलेगा.
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संविधान की धाराओं का उल्लंघन बताया : इस प्रकार एनआरआई कोर्ट के छात्र उनके सीनियर हो जाएंगे. याचिका में कहा गया था कि यह नियम संविधान के अनुच्छेद 14 व 19 का उल्लंघन है. याचिका में प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा, संचालक चिकित्सा शिक्षा तथा संचालक जनस्वास्थ व परिवार कल्याण को अनावेदक बनाया गया. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संघी ने पैरवी की. NRI quota after MBBS, Relaxation service rural area, Why relaxation NRI