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MP High Court MBBS के बाद NRI कोटे के लिए ग्रामीण क्षेत्र में सेवा में छूट क्यों, मामला हाई कोर्ट में - MBBS hearing in High Court

एमबीबीएस कोर्स पूर्ण कर एनआरआई कोर्ट के छात्रों पर एक साल तक ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा देने का नियम प्रभावी नहीं होने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी. याचिका में कहा गया कि सिर्फ एनआरआई कोर्ट के लिए विशेष रियायत देना संविधान के धाराओं का उल्लंघन है. याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. NRI quota after MBBS, Relaxation service rural area, Why relaxation NRI

MP High Court  MBBS
MBBS के बाद NRI कोटे के लिए ग्रामीण क्षेत्र में सेवा में छूट क्यों
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Published : Sep 8, 2022, 7:52 PM IST

जबलपुर। याचिकाकर्ता डॉ. रमेश यादव सहित अन्य 51 लोगों की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि निजी मेडिकल व डेंटल कॉलेज में 15 प्रतिशत सीटें एनआईआई कोटे के लिए आरक्षित रहती हैं. मेरिट लिस्ट के अनुसार योग्य छात्रों का सिलेक्शन अन्य 85 प्रतिशत सीट पर किया जाता है. मप्र निजी मेडिकल और डेंटल प्रवेश नियम 2016 के अनुसार एमबीबीएस कोर्स पूरा करने के बाद योग्यता के आधार पर मेरिट लिस्ट के अनुसार दाखिला लेने वालों को एक साल ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएं देना अनिवार्य है.

याचिका में यह कहा : इसके लिए दाखिला पाने वालों छात्रों को बांड भी भरवाया जाता है. इसके विपरित एनआरआई कोर्ट के तहत प्रवेश पाने वाले छात्रों के लिए यह नियव प्रभावशाली नहीं है. वह एमबीबीएस कोर्स कर सीधे पीजी कोर्स में दाखिला ले सकते हैं. योग्यता के आधार पर दाखिला प्राप्त करने वालों को एक साल ग्रामीण क्षेत्र में सेवा देने के बाद पीजी कोर्स में दाखिला मिलेगा.

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संविधान की धाराओं का उल्लंघन बताया : इस प्रकार एनआरआई कोर्ट के छात्र उनके सीनियर हो जाएंगे. याचिका में कहा गया था कि यह नियम संविधान के अनुच्छेद 14 व 19 का उल्लंघन है. याचिका में प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा, संचालक चिकित्सा शिक्षा तथा संचालक जनस्वास्थ व परिवार कल्याण को अनावेदक बनाया गया. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संघी ने पैरवी की. NRI quota after MBBS, Relaxation service rural area, Why relaxation NRI

जबलपुर। याचिकाकर्ता डॉ. रमेश यादव सहित अन्य 51 लोगों की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि निजी मेडिकल व डेंटल कॉलेज में 15 प्रतिशत सीटें एनआईआई कोटे के लिए आरक्षित रहती हैं. मेरिट लिस्ट के अनुसार योग्य छात्रों का सिलेक्शन अन्य 85 प्रतिशत सीट पर किया जाता है. मप्र निजी मेडिकल और डेंटल प्रवेश नियम 2016 के अनुसार एमबीबीएस कोर्स पूरा करने के बाद योग्यता के आधार पर मेरिट लिस्ट के अनुसार दाखिला लेने वालों को एक साल ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएं देना अनिवार्य है.

याचिका में यह कहा : इसके लिए दाखिला पाने वालों छात्रों को बांड भी भरवाया जाता है. इसके विपरित एनआरआई कोर्ट के तहत प्रवेश पाने वाले छात्रों के लिए यह नियव प्रभावशाली नहीं है. वह एमबीबीएस कोर्स कर सीधे पीजी कोर्स में दाखिला ले सकते हैं. योग्यता के आधार पर दाखिला प्राप्त करने वालों को एक साल ग्रामीण क्षेत्र में सेवा देने के बाद पीजी कोर्स में दाखिला मिलेगा.

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संविधान की धाराओं का उल्लंघन बताया : इस प्रकार एनआरआई कोर्ट के छात्र उनके सीनियर हो जाएंगे. याचिका में कहा गया था कि यह नियम संविधान के अनुच्छेद 14 व 19 का उल्लंघन है. याचिका में प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा, संचालक चिकित्सा शिक्षा तथा संचालक जनस्वास्थ व परिवार कल्याण को अनावेदक बनाया गया. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संघी ने पैरवी की. NRI quota after MBBS, Relaxation service rural area, Why relaxation NRI

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