जबलपुर। 'मन में अगर इरादा हो तो कुछ भी काम नामुमकिन नहीं है' कुछ इस तरह के काम को मुमकिन कर रही है जबलपुर की मीना, जो अपने बेटे को अच्छी तालीम और परवरिश देने के लिए ऑटो चलाती है. अपने बेटे के लिए मीना ने पहले खुद को अपने पैरों पर खड़ा किया और वहीं खुद को किसी के सामने लाचार साबित न करने और बेटे को इंजीनियर बनाने का सपना देखते हुए मीना ने ऑटो चलाने की ठानी है.
दरअसल, जबलपुर के सिंधी कैम्प में रहने वाली मीना की कुछ साल पहले दमोह में शादी हुई थी. शादी के बाद से लगातार उसके साथ मारपीट किया जाता था. इस बीच मीना ने एक लड़के को जन्म दिया इसके बावजूद मीना के साथ मारपीट होना बंद नही हुआ. जिसके बाद मीना अपने मां-बाप के पास आकर रहने लगी. लेकिन किसी पर बोझ बनना मीना को गंवारा नहीं था लिहाजा मीना ने एक ऑटो फाइनेंस करवाया और सभी लाज शर्म को छोड़कर सड़कों पर उतर आई और ऑटो को हैंडल थाम लिया.
मीना ज्यादातर रेलवे स्टेशन में रहकर ही अपना काम करती है कई बार एक लड़की होने के चलते उसे सवारी मिलने में दिक्कत भी आती है. ऐसे समय में उसके साथी ऑटो चालक मीना का साथ देते हैं. ऑटो चालकों का कहना है कि मीना उनकी छोटी बहन जैसी है और उसकी मदद करना न सिर्फ उनका फर्ज है बल्कि कर्तव्य भी बनता है.
जबलपुर रेलवे स्टेशन से बाहर निकलने वाले यात्री भी मीना को देखकर दंग रह जाते है. कई लोग मीना को जबलपुर संस्कारधानी की शान कहते है. लोगों का मानना है कि मीना आज उन लड़कियों के लिए प्रेरणा है जो घर मे रहकर अपने ऊपर हर जुल्म सितम सहती है.
मीना ने करीब एक साल पहले ये ऑटो फाइनेंस करवाया था और दिन भर में मीना करीब 400 से 500 रु कमा लेती है. इसमें से कुछ पैसे मीना ऑटो की किस्त के लिए रख लेती है, जबकि बाकी के पैसों से वो अपना घर और बच्चे की तालीम में खर्च करती है. बहरहाल जिस तरह से मीना अपने पैरों में खड़े होकर काम कर रही है आज यही मीना दूसरी महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बनी हुई है.