जबलपुर। अब स्थानीय निकाय के चुनाव में आर्थिक रूप से कमजोर नेता भी लड़ पाएंगे, ऐसा इसलिए क्योंकि राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के आधार पर निकाय चुनाव के लिए खर्च की सीमा तय कर दी है. इस संबंध में जबलपुर की एक समाजसेवी संस्था ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने मांग की थी कि पार्षद और महापौर को तय सीमा से ज्यादा खर्च करने की इजाजत नहीं होनी चाहिए.
जनहित याचिका पर कोर्ट के नोटिस के बाद चुनाव आयोग ने खर्च की सीमा बताई थी और अब इस पर सरकार ने मुहर लगा दी है. जनहित याचिका की सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से पेश किए गए जवाब में सरकार ने नगरीय निकाय चुनाव में खर्च की सीमा का ब्यौरा पेश किया है, जिसमें पहली बार पार्षद का चुनाव लड़ने के लिए खर्च की सीमा तय की गई.
नगर पालिका निगम में खर्च की सीमा
- 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में 8 लाख 75 हजार रुपये
- 10 लाख से कम आबादी वाले शहरों में 3 लाख 75 हजार रुपये
नगर पालिका में खर्च की सीमा
- 1 लाख से अधिक आबादी वाले शहर में 2 लाख 50 हजार रुपये
- 50 हजार से 10 हजार तक की आबादी वाले शहर में 1 लाख 50 हजार रुपये
- 50 हजार से कम आबादी वाले शहरों में 1 लाख रुपये
नगर परिषद में खर्च की सीमा
सरकार ने सबसे कम खर्च की सीमा छोटे शहरों और कस्बों के लिए रखी है, जिनमें नगर परिषद में पार्षद पद के उम्मीदवार चुनाव लड़ने के लिए मात्र 75 हजार रुपये खर्च कर सकेंगे. हालांकि इसके बाद भी तय सीमा से ज्यादा का खर्च उम्मीदवार करेंगे, लेकिन अब जब सीमा निर्धारित कर दी गई है तो चुनाव में होने वाले बेलगाम पैसों के खर्च पर कुछ लगाम लगेगी और कमजोर आर्थिक परिस्थिति के लोग भी अपनी दावेदारी पेश कर पाएंगे.