जबलपुर। एटीएस आरक्षक की हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ प्रतिबंधित संगठन सिमी में मास्टर माइंड अबू फैजल ने हाईकोर्ट में अपील दायर की है. दण्डित किये जाने के सात साल बाद सिमी आतंकी ने अपील दायर की है, सरकार द्वारा उसे फांसी की सजा दिये जाने की मांग करते हुए पूर्व में अपील दायर की गयी थी. हाईकोर्ट जस्टिस सुजय पॉल तथा जस्टिस डीडी बसंल की युगलपीठ ने सिमी आतंकी की अपील पर सरकार से जवाब मांगा है.
सिमी कार्यकर्ताओं ने रची थी साजिश: एटीएस आरक्षक सीताराम यादव की 28 नवंबर 2009 को मध्य प्रदेश के सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील शहर खंडवा में बकरा ईद पर दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी थी. एटीएस कांस्टेबल को मारने की साजिश फैसल और चार अन्य सिमी कार्यकर्ताओं ने रची थी. आरक्षक यादव कथित तौर पर प्रतिबंधित संगठन के सदस्यों तक पहुंचने के लिए अपने मुखबिरों के नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे थे. अबू फैसल को 27 जून 2011 को भोपाल में गिरफ्तार किया गया और 29 दिसंबर 2011 को खंडवा अदालत में मुकदमा शुरू हुआ. वह 2013 में सिमी के पांच अन्य कार्यकर्ताओं के साथ खंडवा जेल से भाग गया था, लेकिन दो महीने बाद पकड़ा गया.
पूर्व मुख्य सचिव मोहंती को हाईकोर्ट से मिला झटका, जानें वजह
सरकार की तरफ से दायर की गई अपील: प्रदेश की जेल में निरुद्ध सभी सिमी आतंकियों को भोपाल की केंद्रीय जेल में स्थानांतरित कर प्रकरण की सुनवाई भी 28 जनवरी 2014 को भोपाल की विशेष अदालत में स्थानांतरित कर दी गई. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बीएस भदौरिया ने 31 अक्टूबर 2015 को पारित फैसले में अबू फैसल को आजीवन कारावास की सजा से दण्डित किया. प्रदेश सरकार ने सिमी आतंकी को मौत की सजा दिये जाने की मांग करते हुए साल 2016 में हाईकोर्ट में अपील दायर की थी. सरकार की तरफ से दायर की गयी अपील में कहा गया था कि वह पुलिसकर्मियों के बीच डर पैदा करना चाहता था और सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने के लिए ईद के दिन वारदात को अंजाम दिया.
चार सप्ताह बाद अगली सुनवाई: मृतक सीताराम यादव शासकीय कर्मचारी था और आतंक व आतंकियों के रोकधाम के लिए गठित एटीएस में पदस्थ था. सजा के लगभग सात पूरे होने के बाद सिमी आतंकी ने आदेश के खिलाफ अपील दायर की है. सरकार की तरफ से दायर अपील में यह कहते हुए विरोध किया गया कि नियमानुसार 60 दिनों के अंदर अपील दायर करने का प्रावधान है. आरोपी की तरफ से बताया गया कि सरकार की तरफ से विधिक सहायता नहीं मिलने के कारण वह आदेश के खिलाफ अपील दायर नहीं कर सका था. युगलपीठ ने इस संबंध में शासकीय अधिवक्ता एसके कष्यव को सरकार से दिशा-निर्देश प्राप्त कर जवाब पेश करने को कहा है. दो अपीलों पर संयुक्त रूप से अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की गयी है.