जबलपुर। जबलपुर लोकसभा सीट पर भले ही बीजेपी ने मजबूत प्रत्याशी राकेश सिंह को मैदान में उतारा है, लेकिन इस बार उनकी राह आसान नहीं है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह के सामने बागियों से निपटने की चुनौती है. अगर वह बागियों को नहीं साध पाये तो उन्हें तकरीबन 40 हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ सकता है.
साल 2018 के अंत में हुये विधानसभा चुनाव में वोटों के गणित पर नजर दौड़ाएं तो जबलपुर लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी को 5,67,506 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस को 5,35,665 लोगों ने वोट दिया था. अगर लोकसभा चुनाव में भी लोग इसी तरह वोट करते हैं तो बीजेपी प्रत्याशी राकेश सिंह लगभग 31,800 वोटों से जीत जाएंगे.
बीजेपी उम्मीदवार राकेश सिंह की जीत इतनी आसान भी नहीं है, क्योंकि विधानसभा चुनाव में बीजेपी के दो बागी प्रत्याशी भरत सिंह यादव और धीर पटेरिया ने भाजपा का खेल बिगाड़ा था. भरत सिंह यादव को पनागर विधानसभा क्षेत्र से 42,500 वोट मिले थे, जबकि जबलपुर उत्तर विधानसभा से धीरज पटेरिया ने 29,400 वोट खींचे थे. यदि इन दोनों बागी उम्मीदवारों को वोटों को जोड़ा जाए तो 72,000 का आंकड़ा होता है, जो बीजेपी प्रत्याशियों के खिलाफ डाले गये थे.
लोकसभा चुनाव में भी जबलपुर के मतदाता इसी तरीके से वोट करते हैं तो बीजेपी प्रत्याशी लगभग 40,207 वोटों से हार सकता है. इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि पार्टी ने बागी नेताओं को अब तक ना तो मनाने की पहल की न वापस बुलाया, जबकि विधानसभा चुनाव के नतीजों से यह भी स्पष्ट हो गया था कि जबलपुर की एक विधानसभा सीट बीजेपी बागी प्रत्याशी की वजह से ही हार गई थी.
धीरज पटेरिया लड़ सकते हैं लोकसभा चुनाव
युवा मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष धीरज पटेरिया ने विधानसभा चुनाव में बीजेपी का खेल बिगाड़ा था. वह जबलपुर की उत्तर मध्य विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़े थे, इसी वजह से बीजेपी के प्रत्याशी शरद जैन को हार का सामना करना पड़ा था. अब धीरज पटेरिया लोकसभा चुनाव लड़ते हैं तो बीजेपी की मुश्किल बढ़ सकती है. बीजेपी के बागी नेता धीरज पटेरिया का कहना है कि पार्टी ने उनके प्रति कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई और न ही वापस बुलाने के प्रयास किये. इसलिये वह बीजेपी में जाने की नहीं सोच रहे.