जबलपुर। कोरोना संक्रमण काल में जेल में निरुद्ध रेपिस्ट और नाबालिग बच्चियों से दुष्कर्म के आरोपियों को पैरोल पर छोड़े जाने की सरकार के मंशा के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. याचिका पर मंगलवार को सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया कि अधिनियम में किये गये संशोधन में इसका उल्लेख है.
अगली सुनवाई 25 अगस्त निर्धारित
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक तथा जस्टिस वीके शुक्ला की युगलपीठ ने बीमार तथा वृद्ध व्यक्ति को स्थाई जमानत व पैरोल दिये जाने, जेलों की संख्या बढ़ाने तथा महिला कैदियों के लिए सुविधों में बढ़ोत्तरी किये जाने के संबंध में सरकार को जवाब पेश करने निर्देश दिये हैं. याचिका पर अगली सुनवाई 25 अगस्त को निर्धारित तय की गयी है.
सरकार ने किया था हाई पॉवर कमेटी का गठन
नागरिक उपभोक्ता मार्ग दर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे की तरफ से दायर याचिका में कहा गया कि कोरोना महामारी के मद्दनजर जेल में क्षमता से अधिक निरुद्ध कैदियों को पैरोल व अस्थाई जमानत दिये जाने के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय ने आवश्यक निर्देश दिये थे. इसके लिए सरकार ने हाई पॉवर कमेटी का गठन किया था.
याचिका में सरकार पर दुष्कर्मियों को जमानत देने का लगाया आरोप
याचिका में कहा गया कि कमेटी ने आदतन अपराधियों तथा बेल जम्प करने वालों को अस्थाई जमानत तथा पैरोल का लाभ नहीं देने के निर्देश जारी किये थे. कमेटी ने संगीन अपराध करने वाले को इसका लाभ नहीं दिये जाने के संबंध में कोई निर्देश जारी नहीं किये थे. श्रेणी निर्धारित नहीं होने के कारण राज्य सरकार दुष्कर्मियों को भी उक्त लाभ देना चाहती है, जो कि अनुचित है.
याचिका में प्रार्थना की गई है कि रेपिस्ट और नाबालिग बच्चियों से यौन शोषण, भ्रष्टाचार, पाक्सो एक्ट, टाडा आदि अपराध में निरुद्ध गंभीर अपराध के दोषियों को इसका लाभ नहीं दिया जाये. याचिका में मांग की गयी थी कि महिलाओं के लिए अलग से पृथक जेल बनाई जाये, जिसमें महिला कैदियों के बच्चों के लिए आंगनबाड़ी, डिलेवरी वार्ड सहित अन्य सुविधाएं होनी चाहिए. याचिका में गृह विभाग के प्रमुख सचिव, मप्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव सहित अन्य को पक्षकार बनाया गया है.
कोरोना संक्रमण से जेल में संकट, पैरोल पर रिहा किए जा रहे कैदी
याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से जानकारी पेश की गयी. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने युगलपीठ को बताया कि पूरे प्रदेश में अस्थाई जमानत तथा पैरोल के लिए बीमारियों तथा उम्र को आधार माना गया है, जबकि प्रदेश में ऐसा नहीं है. युगलपीठ ने अन्य सभी मुद्दों पर सरकार को जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सुरेन्द्र वर्मा पैरवी कर रहे हैं.
पैरोल को लेकर सरकार ने पेश किया जवाब
कोरोना काल में मध्य प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों को पैरोल पर छोड़े जाने के मुद्दे को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट में सरकार ने अपना जवाब पेश किया. सरकार की ओर से हाईकोर्ट को बताया गया कि जेल एक्ट में हुए संशोधन के मुताबिक केवल सजायाफ्ता और विचाराधीन कैदियों को पैरोल पर छोड़े जाने का प्रावधान है. इसके अलावा सरकार की ओर से पैरोल को लेकर और कोई भी बदलाव नहीं किया गया है. स