जबलपुर। प्रदेश में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किए जाने से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान मंगलवार को नया पेंच फंस गया. हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस वीरेद्र सिंह की युगलपीठ को बताया गया कि हाईकोर्ट पूर्व में ओबीसी आरक्षण को 27 प्रतिशत किए जाने के आदेश को खारिज कर चुका है. जिसके खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में तीन याचिकाएं लंबित हैं. जिसके बाद हाईकोर्ट के बेंच ने राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट में लंबित याचिकाओँ की स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं.
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण किए जाने के खिलाफ व पक्ष में 64 याचिकाएं दायर की गयी थीं. याचिकाओं की अंतिम सुनवाई के दौरान विपक्ष में दायर की गई याचिकाओं पर पक्ष प्रस्तुत किया जा चुका है. मौजूदा समय में आरक्षण के समर्थन में दायर याचिका पर पक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है. मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया कि साल 2003 में शासन ने ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत करने के आदेश जारी किये थे. इस संबंध में दायर याचिकाओं की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2014 में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने के आदेश को खारिज कर दिया था.
MP High Court News ओबीसी को 27 फ़ीसदी आरक्षण पर सुनवाई जारी, EWS के मामले में सुनवाई से इनकार
हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय में तीन याचिकाएं दायर की गयी थीं. सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार अनुपालन में प्रदेश सरकार ने ओबीसी आरक्षण 14 से बढाकर 27 प्रतिशत किया है. सर्वोच्च न्यायालय में लंबित याचिका का विवरण भी पेश किया गया था.जिसपर युगलपीठ ने सर्च करने पर पाया कि वे सभी याचिकाएं सर्वोच्च न्यायालय में लंबित हैं. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद राज्य सरकार को निर्देशित किया है कि सर्वोच्च न्यायालय में लंबित याचिकाओं के संबंध में पेपरबुक के साथ स्टेटस रिपोर्ट पेश करें. जिसके बाद ओबीसी आरक्षण मामले में अगली सुनवाई 13 सितम्बर को निर्धारित की गयी है. कोर्ट में सरकार की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता आषीश बर्नाड तथा विषेष अधिवक्ता रामेश्वर पी सिंह उपस्थित हुए थे.