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MP High court News: न्यू लाइफ अस्पताल अग्निकांड की सीलबंद रिपोर्ट अदालत में पेश - न्यू लाइफ हास्पिटल अग्निकांड

न्यू लाइफ अस्पताल अग्निकांड की रिपोर्ट मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में पेश हुई. इस अग्निकांड में आठ लोगों की जान चली गई थी. सरकार द्वारा गठित जांच कमेटी और पुलिस जांच की रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में कोर्ट कौ सौंपीं गई है. Jabalpur High Court News,New Life Hospital fire tragedy

MP High court News
एमपी हाईकोर्ट न्यूज
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Published : Sep 1, 2022, 10:29 PM IST

Updated : Sep 2, 2022, 2:28 PM IST

जबलपुर। मध्य प्रदेश के चर्चित न्यू लाइफ अस्पताल अग्निकांड की जांच रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में उच्च न्यायालय में पेश कर दी गई. मालूम हो कि इस भयानक अग्निकांड में आठ व्यक्तियों की मौत हो गई थी. प्रदेश सरकार ने इसमें उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए थे. इस सीलबंद लिफाफे में सरकारी कमेटी की रिपोर्ट के साथ-साथ पुलिस की भी जांच रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपी गई है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रवि विजय कुमार मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने दोनों रिपोर्ट को संज्ञान में लेते हुए सुनवाई की अगली तारीख नौ सितम्बर निर्धारित की है.

नियमों की अनदेखी: लॉ स्टूडेंट एसोसियेशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि जबलपुर में नियम विरुद्ध तरीके से प्राइवेट अस्पताल को संचालन की अनुमत्ति प्रदान की गई थी. कोरोना काल के दौरान विगत तीन साल में करीब 65 निजी अस्पलातों को संचालन की अनुमत्ति प्रदान की गयी है. जिन अस्पतालों को अनुमति दी गयी है, उनमें नेशनल बिल्डिंग कोड और अग्नि सुरक्षा के नियमों का पालन नहीं किया गया. जमीन के उपयोग का उद्देश्य दूसरा होने के बावजूद अस्पताल बनाने के बाद उसके संचालन तक की अनुमति दे दी गयी.

बिना जांच-परख के दी थी नौकरी: बिल्डिंग का कार्य पूर्ण होने का प्रमाण-पत्र भी नहीं जारी किया गया था. इसके बाद भी इस अस्पताल के निर्माण की संस्तुति क्यों की गई. यह बहुत बड़ा सवाल है कि आखिर इसके पीछे क्या मंशा रही होगी. अगर नियमों की अनदेखी नहीं की गई होती तो शायद यह दर्दनाक हादसा नहीं हुआ होता. साथ ही आठ बेगुनाहों की जान भी न जाती. नियमों को किस तरह ताख पर रखा गया, इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि अस्पताल बनने के बाद मेडिकल और पैरामेडिकल व अन्य स्टाफ तक को बिना जांचे-परखे नौकरी पर रख लिया गया. ऐसे अनाड़ी स्टाफ और घोर लापरवाही के चलते इस तरह की दुर्घटना का होना स्वाभाविक था.

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याचिकाकर्ता की आपत्ति: पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान न्यू लाइफ मल्टी स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल के मामले में सरकार की तरफ से रिपोर्ट पेश की गयी थी. इसमें कहा गया था कि अस्पताल संचालन का प्रमाण पत्र देने के लिए निरीक्षण करने वाली तीन सदस्यीय डॉक्टरों की कमेटी को निलंबित कर दिया गया है. याचिकाकर्ता की तरफ से आपत्ति दर्ज कराते हुए यह बताया गया था कि, अस्पताल का निरिक्षण डॉ. एलएन पटेल, डॉ. निषेश पटेल तथा डॉ. कमलेष वर्मा द्वारा किया गया था. उनकी निरिक्षण रिपोर्ट के आधार पर अस्पताल संचालन का प्रमाण पत्र जारी किया गया था.

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सरकार की तरफ से पेश किया गया शपथ पत्र: शहर के सभी निजी अस्पतालों की जांच के लिए 41 सदस्यीय डॉक्टरों की टीम में इन तीनों डॉक्टर को भी शामिल किया गया था. जिन्हें निरीक्षण में लापरवाही का दोषी मानते हुए निलंबित कर दिया गया था. दो सदस्यीय न्यायपीठ ने मामले में अगली सुनवाई के दौरान निलंबन आदेश पेश करने के निर्देश जारी किये थे. वहीं सरकार की तरफ से पेश किये गये शपथ पत्र में बताया गया था कि न्यू लाइफ हॉस्पिटल को पंजीयन के पूर्व किये गये निरीक्षण में क्लीन चिट देने के मामले में दोषी चिकित्सकों निलंबित कर दिया गया है, जबकि नर्सिंग होम शाखा की जिम्मेदारी संभाल रहे डॉ. कमलेश वर्मा को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है. इसके बाद हाईकोर्ट ने उपरोक्त कार्यवाही पर नाराजगी व्यक्त करते हुए पूरे घटना क्रम की सिलेवार जांच करते हुए रिपोर्ट पेश करने के पारित किए थे. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आलोक वागरेचा ने मुकदमें की पैरवी की थी. (Jabalpur High Court News) (New Life Hospital fire tragedy)

जबलपुर। मध्य प्रदेश के चर्चित न्यू लाइफ अस्पताल अग्निकांड की जांच रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में उच्च न्यायालय में पेश कर दी गई. मालूम हो कि इस भयानक अग्निकांड में आठ व्यक्तियों की मौत हो गई थी. प्रदेश सरकार ने इसमें उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए थे. इस सीलबंद लिफाफे में सरकारी कमेटी की रिपोर्ट के साथ-साथ पुलिस की भी जांच रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपी गई है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रवि विजय कुमार मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने दोनों रिपोर्ट को संज्ञान में लेते हुए सुनवाई की अगली तारीख नौ सितम्बर निर्धारित की है.

नियमों की अनदेखी: लॉ स्टूडेंट एसोसियेशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि जबलपुर में नियम विरुद्ध तरीके से प्राइवेट अस्पताल को संचालन की अनुमत्ति प्रदान की गई थी. कोरोना काल के दौरान विगत तीन साल में करीब 65 निजी अस्पलातों को संचालन की अनुमत्ति प्रदान की गयी है. जिन अस्पतालों को अनुमति दी गयी है, उनमें नेशनल बिल्डिंग कोड और अग्नि सुरक्षा के नियमों का पालन नहीं किया गया. जमीन के उपयोग का उद्देश्य दूसरा होने के बावजूद अस्पताल बनाने के बाद उसके संचालन तक की अनुमति दे दी गयी.

बिना जांच-परख के दी थी नौकरी: बिल्डिंग का कार्य पूर्ण होने का प्रमाण-पत्र भी नहीं जारी किया गया था. इसके बाद भी इस अस्पताल के निर्माण की संस्तुति क्यों की गई. यह बहुत बड़ा सवाल है कि आखिर इसके पीछे क्या मंशा रही होगी. अगर नियमों की अनदेखी नहीं की गई होती तो शायद यह दर्दनाक हादसा नहीं हुआ होता. साथ ही आठ बेगुनाहों की जान भी न जाती. नियमों को किस तरह ताख पर रखा गया, इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि अस्पताल बनने के बाद मेडिकल और पैरामेडिकल व अन्य स्टाफ तक को बिना जांचे-परखे नौकरी पर रख लिया गया. ऐसे अनाड़ी स्टाफ और घोर लापरवाही के चलते इस तरह की दुर्घटना का होना स्वाभाविक था.

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याचिकाकर्ता की आपत्ति: पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान न्यू लाइफ मल्टी स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल के मामले में सरकार की तरफ से रिपोर्ट पेश की गयी थी. इसमें कहा गया था कि अस्पताल संचालन का प्रमाण पत्र देने के लिए निरीक्षण करने वाली तीन सदस्यीय डॉक्टरों की कमेटी को निलंबित कर दिया गया है. याचिकाकर्ता की तरफ से आपत्ति दर्ज कराते हुए यह बताया गया था कि, अस्पताल का निरिक्षण डॉ. एलएन पटेल, डॉ. निषेश पटेल तथा डॉ. कमलेष वर्मा द्वारा किया गया था. उनकी निरिक्षण रिपोर्ट के आधार पर अस्पताल संचालन का प्रमाण पत्र जारी किया गया था.

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सरकार की तरफ से पेश किया गया शपथ पत्र: शहर के सभी निजी अस्पतालों की जांच के लिए 41 सदस्यीय डॉक्टरों की टीम में इन तीनों डॉक्टर को भी शामिल किया गया था. जिन्हें निरीक्षण में लापरवाही का दोषी मानते हुए निलंबित कर दिया गया था. दो सदस्यीय न्यायपीठ ने मामले में अगली सुनवाई के दौरान निलंबन आदेश पेश करने के निर्देश जारी किये थे. वहीं सरकार की तरफ से पेश किये गये शपथ पत्र में बताया गया था कि न्यू लाइफ हॉस्पिटल को पंजीयन के पूर्व किये गये निरीक्षण में क्लीन चिट देने के मामले में दोषी चिकित्सकों निलंबित कर दिया गया है, जबकि नर्सिंग होम शाखा की जिम्मेदारी संभाल रहे डॉ. कमलेश वर्मा को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है. इसके बाद हाईकोर्ट ने उपरोक्त कार्यवाही पर नाराजगी व्यक्त करते हुए पूरे घटना क्रम की सिलेवार जांच करते हुए रिपोर्ट पेश करने के पारित किए थे. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आलोक वागरेचा ने मुकदमें की पैरवी की थी. (Jabalpur High Court News) (New Life Hospital fire tragedy)

Last Updated : Sep 2, 2022, 2:28 PM IST
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