जबलपुर। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में प्रत्याशियों के लिए अधिकतम खर्च की सीमा तय की जाए. इस मांग के समर्थन में हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस डी के पालीवाल की बेंच ने सरकार की पॉलिसी में दखल देने से इंकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया है.
याचिका में कहा गया था कि धनबल से उम्मीदवार चुनाव नतीजे प्रभावित करते है. गरीब व मध्यमवर्गी वर्ग के लोग चुनाव में अधिक व्यय नहीं कर पाते हैं. याचिका में पूर्व में हाईकोर्ट के निर्देश पर चुनाव आयोग ने पार्षद चुनाव में अधिकतम चुनाव खर्च सीमा निर्धारित की है. याचिका की सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने कहा कि इस संबंध में सरकार को निर्णय लेना है. हम सरकार की पॉलिसी मैटर में दखल नहीं दे सकते. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद याचिका को खारिज कर दिया है. याचिकाकर्ता अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.
पीएमटी फर्जीवाड़ा 6 आरोपियों को 5 साल की सजा
प्रदेश के बहुचर्चित पीएमटी फर्जीवाड़ा मामले में सीबीआई (mp pmt scam 2010) की विशेष कोर्ट ने 6 आरोपियों को पांच पांच साल की सजा सुनाई है. इन पर 3700-3700 रुपए का अर्थदंड भी लगाया गया है. इसमें मूल परीक्षार्थी के अलावा बिचौलिए और सोल्वर भी शामिल हैं. खास बात यह है कि सजा पाए 5 युवक उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के रहने वाले हैं, जबकि एक युवक मध्यप्रदेश के अलीराजपुर का रहने वाला है. सीबीआई के अधिवक्ता चंद्रपाल ने बताया कि परीक्षा गुना कैंट थाने में 2010 में आयोजित हुई थी.
पीएमटी की प्रवेश परीक्षा में दो फर्जी परीक्षार्थियों को फोटो मिसमैच और सिग्नेचर में मिलान नहीं होने के चलते परीक्षा केंद्र पर पकड़ा गया था. इनमें परवेज आलम और अवधेश कुमार फर्जी परीक्षार्थी बनकर राजेश बघेल और प्रदीप उपाध्याय के स्थान पर परीक्षा में शामिल हो रहे थे. इनसे जब कड़ाई से पूछताछ की गई तो पता चला कि उन्हें उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में रहने वाले हरि नारायण सिंह ने बिचौलिया बनकर संपर्क किया था. जिसके बाद वो गुना परीक्षा देने पहुंचे थे. इनमें आरोपी हरिनारायण सिंह एवं अवधेश कुमार हमीरपुर के रहने वाले हैं,जबकि परीक्षार्थी राजेश बघेल अलीराजपुर और प्रदीप उपाध्याय प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं. सॉल्वर परवेज मऊ उत्तर प्रदेश का रहने वाला है और दलाल वेदरतन राजपूत गोरखपुर का रहने वाला है.
कोर्ट के ऑर्डर ने बढ़ाई पीडि़त की परेशानी
हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ के एक आदेश ने पीड़ित पति की परेशानी और ज्यादा बढ़ा दी है. पीडि़त पति को कोर्ट ने यह कहते हुए एक महीने के लिए ससुराल रहने को भेजा था ताकि पति पत्नी के बीच चल रही विवाद की स्थिति को खत्म किया जा सके, और वह फिर से एक साथ रहने लगें. उनका घर न टूटे, लेकिन हाईकोर्ट के आदेश पर ससुराल पहुंचे दामाद को ससुर न सिर्फ घर से निकाल दिया गया बल्कि उसे खाना भी नहीं दिया. पीडि़त ने किसी तरह रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर रात गुजारी. युवक के ससुर महेंद्र रजक ने उसे धमकाया है कि अगर वह वापस आया तो जिंदा नहीं जाएगा. खास बात यह है कि कोर्ट में इस युवक के सास, ससुर और पत्नी उसका घर में पूरी तरह ख्याल रखने का वादा करके आए थे. इस घटना के बाद पीड़ित युवक ने पुलिस थाने में शिकायती आवेदन दिया है और अपने ससुरालियों पर कार्रवाई की मांग की है.
नर्मदा में अवैध उत्खनन रोकने के लिए याचिका
सिहोर जिले में नर्मदा नदी से रेत उत्खनन पर भारी भरकम मशीनों का प्रयोग किये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. याचिका में रेत उत्खन्न के लिए नर्मदा नदी में मशीनों का प्रयोग किये जाने को चुनौती दी गई है. हाईकोर्ट जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ ने पूर्व में पारित आदेश को यथावत रखते हुए नयी याचिका में सरकार को जवाब पेश करने के निर्देष जारी किये हैं.
जबलपुर गढ़ा निवासी एडवोकेट विजित साहू की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि मप्र शासन ने रेत खनिज उत्खनन परिवहन एवं भण्डारण नियम 2019 बनाया है. जिसके नियम-3 में यह प्रावधान है कि नर्मदा नदी से रेत उत्खनन में किसी तरह की मशीन का प्रयोग नहीं किया जायेगा, सिर्फ मैन्युअल रूप से रेत खनन किया जा सकता है. जबकि दोनों ही जगहों पर रेत ठेकेदार मशीनरी का प्रयोग कर रेत उत्खनन कर रहे हैं. इस संबंध में जिला कलेक्टर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से मशीनरी के प्रयोग पर रोक लगाने मांग की गयी थी, लेकिनकोई कार्यवाही नहीं किये जाने के चलते हाई कोर्ट में याचिका दायर की गयी है.