जबलपुर। मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने से संबंधित याचिकाओं पर मंगलवार को सरकार की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय में लंबित याचिकाओं की स्टेटस रिपोर्ट पेश की गयी. हाईकोर्ट के जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस वीरेद्र सिंह की युगलपीठ याचिकाओं पर अगली सुनवाई 13 अक्टूबर को निर्धारित की है.
ओबीसी आरक्षण के खिलाफ व पक्ष में 64 याचिकाएं दायर की गयी थीं: गौरतलब है कि प्रदेश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण किये जाने के खिलाफ व पक्ष में 64 याचिकाएं दायर की गयी थीं. याचिका की अंतिम सुनवाई के दौरान विपक्ष में दायर याचिका पर पक्ष प्रस्तुत किया जा चुका है. समर्थन में दायर याचिका पर पक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है. पिछली सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया कि साल 2003 में शासन ने ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत करने के आदेश जारी किये थे. इस संबंध में दायर याचिकाओं की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2014 में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने के आदेश को खारिज कर दिया था.
HC के आदेश को चुनौती देते हुए SC में तीन याचिकाएं दायर की गयी थीं: हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सर्वाेच्च न्यायालय में तीन याचिकाएं दायर की गयी थीं. सर्वाेच्च न्यायालय के निर्देशानुसार अनुपालन में प्रदेश सरकार ने ओबीसी आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत किया है. सर्वाेच्च न्यायालय में लंबित याचिका का विवरण भी पेश किया गया था. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद शासन को निर्देशित किया है कि सर्वाेच्च न्यायालय में लंबित याचिका के संबंध में पेपरबुक के साथ स्टेटस रिपोर्ट पेश करें.
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याचिका पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय में लंबित याचिकाओं की स्टेटस रिपोर्ट पेश की गयी. रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किये. याचिकाकर्ताओं की तरफ से आदित्य संघी तथा शासन की तरफ से विशेष अधिवक्ता रामेश्वर पी सिंह उपस्थित हुए.
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