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MP Nursing College Controversy: 453 नर्सिंग कॉलेज का रिकॉर्ड लेकर रवाना हुआ वाहन, युगलपीठ ने याचिका पर आज करेगी सुनवाई

हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ और जस्टिस पी के कौरव की युगलपीठ ने प्रदेश में संचालित सभी नर्सिंग कॉलेज की निरिक्षण रिपोर्ट 24 घंटों में पेश करने के निर्देश दिए हैं. (MP Nursing College Controversy) इस पर आनन फानन में वाहन के जरिए रिकॉर्ड भेजा जा रहा है. याचिका पर आज हाईकोर्ट में सुनवाई है.

vehicle left with 453 Nursing College
453 नर्सिंग कॉलेज के साथ छोड़ा वाहन
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Published : May 12, 2022, 12:25 PM IST

जबलपुर। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ और जस्टिस पी के कौरव की युगलपीठ ने प्रदेश में संचालित सभी नर्सिंग कॉलेज की निरिक्षण रिपोर्ट 24 घंटों में पेश करने के निर्देश दिए थे. याचिका पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ और जस्टिस पी के कौरव की युगलपीठ को बताया गया कि 453 कॉलेजों का रिकॉर्ड लेकर वाहन रवाना हो गया है. युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई गुरूवार को निर्धारित की है. (jabalpur high court) (MP Nursing College Controversy)

ऐसे मिली कॉलेजो को मान्यता: लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि शैक्षणिक सत्र 2000-21 में प्रदेश के आदिवासी बहुल इलाकों में 55 नर्सिंग कॉलेज को मान्यता दी गई थी. मध्य प्रदेश नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल ने निरिक्षण के बाद इन कॉलजों को मान्यता दी गई थी. वास्तविकता में यह कॉलेज सिर्फ कागज में संचालित हो रहे हैं. ऐसा कोई कॉलेज नहीं है जो निर्धारित मापदण्ड पूरा करता हैं.

कुछ कमरों में हो रहा कॉलेज संचालित: अधिकांश कॉलेज की निर्धारित स्थल पर बिल्डिंग तक नहीं है. कुछ कॉलेज सिर्फ चार-पांच कमरों में संचालित हो रहे हैं. ऐसे कॉलेज में प्रयोगशाला सहित अन्य आवश्यक संरचना नहीं है. बिना छात्रावास ही कॉलेज का संचालन किया जा रहा है. नर्सिंग कॉलेज को फर्जी तरीके से मान्यता दिए जाने के आरोप में मध्य प्रदेश नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल के रजिस्ट्रार को पद से हटा दिया गया था. फर्जी नर्सिंग कॉलेज संचालित होने के संबंध में उन्होंने शिकायत की थी. शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं होने के कारण उक्त याचिका दायर की गई है.

सहायक ग्रेड तीन तथा स्टोनेग्राफर की नियुक्ति प्रक्रिया हाईकोर्ट के आदेश के अधीन

याचिका में छात्रों को पढ़ाने पर हुए सवाल खड़े: याचिका में ऐसे कॉलेज की सूची और फोटो प्रस्तुत किये गये थे. याचिका में कहा गया था कि जब कॉलेज ही नहीं है तो छात्रों को कैसे पढ़ाया जाता होगा. याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने ऐसे कॉलेजों को अनावेदक बनाने याचिकाकर्ता को निर्देश दिये थे. याचिका की सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल की तरफ से पेश किए गए जवाब में कहा गया कि याचिकाकर्ता ने 55 कॉलेजों से सिर्फ सात कॉलेजों को अनावेदक बनाया है. याचिकाकर्ता को अपनी आपत्ति काउसिंल के समक्ष प्रस्तुत करना था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया. युगलपीठ ने प्रदेश के सभी नर्सिंग कॉलेजों की निरिक्षण रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिये थे.

दस्तावेज पेश करने का नोटिस जारी: याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान काउसिंलिंग की तरफ से निरिक्षण रिपोर्ट पेश करते वक्त और समय देने करने का आग्रह किया गया. जिस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए युगलपीठ ने 24 घंटो में रिपोर्ट पेश करने के निर्देश जारी किये गये थे. याचिका पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से उक्त जानकारी पेश की गई. सरकार की तरफ से युगलपीठ को बताया गया कि याचिका में जिन 55 कॉलेज का उल्लेख किया गया है, उनको सभी दस्तावेज पेश करने का नोटिस जारी कर दिया गया है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आलोक बागरेजा ने पैरवी की.

जबलपुर। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ और जस्टिस पी के कौरव की युगलपीठ ने प्रदेश में संचालित सभी नर्सिंग कॉलेज की निरिक्षण रिपोर्ट 24 घंटों में पेश करने के निर्देश दिए थे. याचिका पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ और जस्टिस पी के कौरव की युगलपीठ को बताया गया कि 453 कॉलेजों का रिकॉर्ड लेकर वाहन रवाना हो गया है. युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई गुरूवार को निर्धारित की है. (jabalpur high court) (MP Nursing College Controversy)

ऐसे मिली कॉलेजो को मान्यता: लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि शैक्षणिक सत्र 2000-21 में प्रदेश के आदिवासी बहुल इलाकों में 55 नर्सिंग कॉलेज को मान्यता दी गई थी. मध्य प्रदेश नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल ने निरिक्षण के बाद इन कॉलजों को मान्यता दी गई थी. वास्तविकता में यह कॉलेज सिर्फ कागज में संचालित हो रहे हैं. ऐसा कोई कॉलेज नहीं है जो निर्धारित मापदण्ड पूरा करता हैं.

कुछ कमरों में हो रहा कॉलेज संचालित: अधिकांश कॉलेज की निर्धारित स्थल पर बिल्डिंग तक नहीं है. कुछ कॉलेज सिर्फ चार-पांच कमरों में संचालित हो रहे हैं. ऐसे कॉलेज में प्रयोगशाला सहित अन्य आवश्यक संरचना नहीं है. बिना छात्रावास ही कॉलेज का संचालन किया जा रहा है. नर्सिंग कॉलेज को फर्जी तरीके से मान्यता दिए जाने के आरोप में मध्य प्रदेश नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल के रजिस्ट्रार को पद से हटा दिया गया था. फर्जी नर्सिंग कॉलेज संचालित होने के संबंध में उन्होंने शिकायत की थी. शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं होने के कारण उक्त याचिका दायर की गई है.

सहायक ग्रेड तीन तथा स्टोनेग्राफर की नियुक्ति प्रक्रिया हाईकोर्ट के आदेश के अधीन

याचिका में छात्रों को पढ़ाने पर हुए सवाल खड़े: याचिका में ऐसे कॉलेज की सूची और फोटो प्रस्तुत किये गये थे. याचिका में कहा गया था कि जब कॉलेज ही नहीं है तो छात्रों को कैसे पढ़ाया जाता होगा. याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने ऐसे कॉलेजों को अनावेदक बनाने याचिकाकर्ता को निर्देश दिये थे. याचिका की सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल की तरफ से पेश किए गए जवाब में कहा गया कि याचिकाकर्ता ने 55 कॉलेजों से सिर्फ सात कॉलेजों को अनावेदक बनाया है. याचिकाकर्ता को अपनी आपत्ति काउसिंल के समक्ष प्रस्तुत करना था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया. युगलपीठ ने प्रदेश के सभी नर्सिंग कॉलेजों की निरिक्षण रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिये थे.

दस्तावेज पेश करने का नोटिस जारी: याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान काउसिंलिंग की तरफ से निरिक्षण रिपोर्ट पेश करते वक्त और समय देने करने का आग्रह किया गया. जिस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए युगलपीठ ने 24 घंटो में रिपोर्ट पेश करने के निर्देश जारी किये गये थे. याचिका पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से उक्त जानकारी पेश की गई. सरकार की तरफ से युगलपीठ को बताया गया कि याचिका में जिन 55 कॉलेज का उल्लेख किया गया है, उनको सभी दस्तावेज पेश करने का नोटिस जारी कर दिया गया है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आलोक बागरेजा ने पैरवी की.

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