जबलपुर। मध्य प्रदेश में बढ़ते जल संकट तथा दूषित होते जल स्त्रोतों को लेकर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गयी है. याचिका में कहा गया है कि जानवर तो दूर इंसान को भी पानी के लिए भटकना पड़ रहा है. हाईकोर्ट के जस्टिस एम. एस. भट्टी तथा जस्टिस पी. सी. गुप्ता की युगलपीठ ने प्रारंभिक सुनवाई के बाद अगली सुनवाई ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद निर्धारित की है.
विकराल रूप धारण कर रहा है जल संकट: गैर सरकारी संगठन (पंजीकृत) सोसाइटी वॉक एंड क्लीन की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि- " प्रदेश में जल संकट विकराल रूप धारण कर रहा है. पानी की तलाश में लोगों को चार-पांच किलोमीटर दूर तक जाना पड़ता है. लोगों को दूषित जल स्रोतों से पानी का मजबूरन उपयोग करना पड़ रहा है". सिहोरा में दूषित जल पीने के कारण हुई गायों की मौत तथा जल संकट के संबंध में प्रकाशित अखबारों की खबरों को भी याचिका के साथ प्रस्तुत किया गया है.
याचिका में ये मांग की गयी : हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका में मांग किया गया कि - "प्राकृतिक जल स्त्रोतों को अतिक्रमण मुक्त करवाकर उन्हें संरक्षित किया जाये. जल स्रोतों की साफ सफाई की जाये तथा उन्हें प्रदूषित होने से रोका जाये. जल संकट प्रभावित क्षेत्रों में टैंकरों से सप्लाई सुनिश्चित की जाये. इसके अलावा लोगों की आवाजाही वाले क्षेत्रों में भी पीने के पानी की व्यवस्था की जाये". याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के बाद युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी करते हुए अगली सुनवाई 13 जून को निर्धारित की है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता नितिन सिंह सोलंकी ने पैरवी की. (Water crisis in MP) (MP High court News)(Jabalpur High court news) ( Petition filed on Water crisis in MP)