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High court news - डिफेंस की जमीन को माइनिंग के लिए लीज पर देना चाहती है सरकार, याचिकाकर्ता ने की रोक लगाने की मांग - डिफेंस की जमीन को माइनिंग के लिए लीज

पन्ना के महाराज महेन्द्र सर यादवेन्द्र सिंह की डिफेंस को दी गई 5 सौ एकड जमीन को अभी तक सेना के नाम दर्ज नहीं किया गया है. सरकार द्वारा उक्त भूमि को माइनिंग के लिए लीज पर दिया जा रहा है . इसे चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में में एक जनहित याचिका दायर की गई थी. जिसपर चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने सुनवाई करते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर छः सप्ताह में जवाब मांगा है.

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डिफेंस की जमीन को माइनिंग के लिए लीज पर देना चाहती है सरकार
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Published : Sep 29, 2021, 10:17 PM IST

जबलपुर। पन्ना के महाराज महेन्द्र सर यादवेन्द्र सिंह की डिफेंस को दी गई 5 सौ एकड जमीन को अभी तक सेना के नाम दर्ज नहीं किया गया है. सरकार द्वारा उक्त भूमि को माइनिंग के लिए लीज पर दिया जा रहा है . इसे चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में में एक जनहित याचिका दायर की गई थी. जिसपर चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने सुनवाई करते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर छः सप्ताह में जवाब मांगा है.

जयपुर, राजस्थान निवासी सुनील कुमार सिंह की तरफ से दायर इस याचिका में कहा गया था कि साल 1950 में पन्ना के पूर्व महाराज महेन्द्र सर यादवेन्द्र सिंह ने अपने स्वामित्व की 500 एकड भूमि डिफेंस (आर्मी) को दान पर दी थी. जिसे अभी तक डिफेंस के नाम पर दर्ज नहीं किया गया है. उक्त भूमि का पुलिस विभाग व अन्य सरकारी विभाग उपयोग करते हुए डिफेंस को किराया देते है. इस भूमि को अपने नाम दर्ज कराने डिफेंस की ओर से 2014 व 2017 को शासन को पत्र भी लिखे गये, लेकिन इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई है. याचिका में कहा गया था कि उक्त भूमि को प्रदेश सरकार जेके सीमेंट प्रालि. बंसल कंस्ट्रक्शन प्रालि. व नेशनल कंस्ट्रक्ंशन डेव्हलपमेंट को माईनिंग के लिए लीज पर दे रहीं है. इससे क्षेत्र के पर्यावरण और आसपास जंगल और वन्य जीवों को भी खतरा उत्पन्न हो जाएगा. याचिका कर्ता ने उक्त जमीन के कमर्शियल यूज करने और लीज पर देने से रोक लगाए जाने की मांग की है. मामले में रक्षा मंत्रालय के सचिव, मप्र शासन के सचिव, कलेक्टर पन्ना, डिफेंस स्टेट ऑफीसर जबलपुर, जेके सीमेंट प्रालि., बंसल कंस्ट्रक्ंशन प्रालि., नेशनल मिनरल डेव्हल्पमेंट सहित जितेश्वरी जूदेवी महेन्द्र महारानी को पक्षकार बनाया गया है.

रिजल्ट घोषित करने से पहले ही नष्ट कर दीं उत्तर पुस्तिका

नियमानुसार परीक्षा परिणाम घोषित किये जाने के 6 महिने बाद उत्तर पुस्तिकाओं का नष्ट किया जाता है. लेकिन परीक्षा परिणाम घोषित करने के पहले ही उत्तर पुस्तिकाओं को नष्ट किये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गयी है. जिसपर सुनवाई करते हुए जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव व जस्टिस वीरेन्द्र सिंह की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. याचिकाकर्ता जितेन्द्र सिंह की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि वह एमपीपीएस पार्ट 2 की परीक्षा में मार्च 2017 को शामिल हुआ था. उसका रिजल्ट घोषित नहीं किये जाने पर उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. विश्वविद्यालय को रिजल्ट घोषित करने के लिए अभ्यावेदन पेश करने की स्वतंत्रता के साथ उसने याचिका वापस भी ले ली थी. जिसके बाद 31 मार्च 2017 को उसका रिजल्ट घोषित किया गया था. बरकतउल्ला विश्वविद्यालय द्वारा उसका रिजल्ट 31 अगस्त 2018 को जारी किया गया. विश्व विद्यालय द्वारा उसे बताया गया कि रोल नम्बर नहीं होने के कारण उसका रिजल्ट घोषित नहीं किया गया था. जिसके बाद छात्र ने सूचना के अधिकार के लिए उत्तर पुस्तिकाओं की प्रति के लिए आवेदन किया और हाईकोर्ट में याचिका भी प्रस्तुत की थी. विश्व विद्यालय द्वारा 27 नवंबर 2019 को जानकारी प्रदान की गयी थी कि उसकी उत्तर पुस्तिकाओं को 27 अप्रैल से 25 जून तक नष्ट कर दिया गया था. अब उसे औसत अंक दिए जाएंगे. याचिकाकर्ता ने विश्व विद्यालय के आवश्वासन के बाद याचिका वापस ले ली, लेकिन विश्व विद्यालय ने अपना वादा पूरा नहीं किया. याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने वरकतउल्ला विश्वविद्यालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

जबलपुर। पन्ना के महाराज महेन्द्र सर यादवेन्द्र सिंह की डिफेंस को दी गई 5 सौ एकड जमीन को अभी तक सेना के नाम दर्ज नहीं किया गया है. सरकार द्वारा उक्त भूमि को माइनिंग के लिए लीज पर दिया जा रहा है . इसे चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में में एक जनहित याचिका दायर की गई थी. जिसपर चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने सुनवाई करते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर छः सप्ताह में जवाब मांगा है.

जयपुर, राजस्थान निवासी सुनील कुमार सिंह की तरफ से दायर इस याचिका में कहा गया था कि साल 1950 में पन्ना के पूर्व महाराज महेन्द्र सर यादवेन्द्र सिंह ने अपने स्वामित्व की 500 एकड भूमि डिफेंस (आर्मी) को दान पर दी थी. जिसे अभी तक डिफेंस के नाम पर दर्ज नहीं किया गया है. उक्त भूमि का पुलिस विभाग व अन्य सरकारी विभाग उपयोग करते हुए डिफेंस को किराया देते है. इस भूमि को अपने नाम दर्ज कराने डिफेंस की ओर से 2014 व 2017 को शासन को पत्र भी लिखे गये, लेकिन इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई है. याचिका में कहा गया था कि उक्त भूमि को प्रदेश सरकार जेके सीमेंट प्रालि. बंसल कंस्ट्रक्शन प्रालि. व नेशनल कंस्ट्रक्ंशन डेव्हलपमेंट को माईनिंग के लिए लीज पर दे रहीं है. इससे क्षेत्र के पर्यावरण और आसपास जंगल और वन्य जीवों को भी खतरा उत्पन्न हो जाएगा. याचिका कर्ता ने उक्त जमीन के कमर्शियल यूज करने और लीज पर देने से रोक लगाए जाने की मांग की है. मामले में रक्षा मंत्रालय के सचिव, मप्र शासन के सचिव, कलेक्टर पन्ना, डिफेंस स्टेट ऑफीसर जबलपुर, जेके सीमेंट प्रालि., बंसल कंस्ट्रक्ंशन प्रालि., नेशनल मिनरल डेव्हल्पमेंट सहित जितेश्वरी जूदेवी महेन्द्र महारानी को पक्षकार बनाया गया है.

रिजल्ट घोषित करने से पहले ही नष्ट कर दीं उत्तर पुस्तिका

नियमानुसार परीक्षा परिणाम घोषित किये जाने के 6 महिने बाद उत्तर पुस्तिकाओं का नष्ट किया जाता है. लेकिन परीक्षा परिणाम घोषित करने के पहले ही उत्तर पुस्तिकाओं को नष्ट किये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गयी है. जिसपर सुनवाई करते हुए जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव व जस्टिस वीरेन्द्र सिंह की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. याचिकाकर्ता जितेन्द्र सिंह की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि वह एमपीपीएस पार्ट 2 की परीक्षा में मार्च 2017 को शामिल हुआ था. उसका रिजल्ट घोषित नहीं किये जाने पर उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. विश्वविद्यालय को रिजल्ट घोषित करने के लिए अभ्यावेदन पेश करने की स्वतंत्रता के साथ उसने याचिका वापस भी ले ली थी. जिसके बाद 31 मार्च 2017 को उसका रिजल्ट घोषित किया गया था. बरकतउल्ला विश्वविद्यालय द्वारा उसका रिजल्ट 31 अगस्त 2018 को जारी किया गया. विश्व विद्यालय द्वारा उसे बताया गया कि रोल नम्बर नहीं होने के कारण उसका रिजल्ट घोषित नहीं किया गया था. जिसके बाद छात्र ने सूचना के अधिकार के लिए उत्तर पुस्तिकाओं की प्रति के लिए आवेदन किया और हाईकोर्ट में याचिका भी प्रस्तुत की थी. विश्व विद्यालय द्वारा 27 नवंबर 2019 को जानकारी प्रदान की गयी थी कि उसकी उत्तर पुस्तिकाओं को 27 अप्रैल से 25 जून तक नष्ट कर दिया गया था. अब उसे औसत अंक दिए जाएंगे. याचिकाकर्ता ने विश्व विद्यालय के आवश्वासन के बाद याचिका वापस ले ली, लेकिन विश्व विद्यालय ने अपना वादा पूरा नहीं किया. याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने वरकतउल्ला विश्वविद्यालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

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