जबलपुर। कोरोना काल में स्कूल प्रबंधन द्वारा सिर्फ टयूशन फीस लेने संबंधित नोटिफिकेशन को सरकार द्वारा शून्य घोषित किये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी. जनहित याचिका शुक्रवार को सुनवाई के लिए जस्टिस शील नागू और जस्टिस पी के कौरव की युगलपीठ के समक्ष पेश की गयी. पहले महाधिवक्ता के रूप में जस्टिस पी के कौरव स्कूल फीस संबंधित याचिका में सरकार की तरफ से उपस्थित हुए थे. (Jabalpur High Court News Latest) जिसके कारण जस्टिस कौरव ने याचिका की सुनवाई करने से इनकार कर दिया. युगलपीठ ने अगाली सुनवाई 13 दिसम्बर को निर्धारित करते हुए याचिका को जस्टिस कौरव की बेंच में प्रस्तुत नहीं करने के निर्देश जारी किये हैं.
डेयरियां हटाने के मामले में सरकार को नोटिस
नगर निगम क्षेत्र में संचालित डेयरियों को हटाने के संबंध में पारित आदेश के परिपालन कियेे जाने की मांग करते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में आवेदन पेश किया गया था. आवेदन की सुनवाई करते हुए जस्टिस एस के सिंह और एक्सपर्ट मेम्बर ए के वर्मा ने सरकार को चार सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं. नागरिक उपभोक्ता मंच के डॉ पी जी नाजपांडे की तरफ से दिए गए आवेदन में कहा गया था कि पूर्व में जबलपुर नगर निगम क्षेत्र में संचालित डेयरियों के हटाने के आदेश पारित किये गये थे. इसके बावजूद जबलपुर नगर निगम क्षेत्र में 450 डेरियां संचालित हो रही हैं. डेयरियों की गंदगी के कारण डेंगू,मलेरिया,वायरल फिवर जैसी बीमारियां फैल रही है. युगलपीठ ने सरकार को चार सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश देते हुए याचिकाकर्ता को हलफनामा प्रस्तुत करने का आदेश दिया है.
मुन्नाभाई को एक साल की जेल
खंडवा शहर के मोतिलाल नेहरू स्कूल परीक्षा केंद्र पर कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा में सात साल पहले नकल करते हुए पकड़े गए तीन मुन्ना भाइयों को एक साल की सजा सुनाई है. यह फैसला न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी मोहन डावर ने दिया. दोषी पाए गए तीनों युवक हरियाणा के रहने वाले हैं. तीनों पर दो-दो हजार रुपये जुर्माना लगाया गया है. मोतीलाल शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय खंडवा के परीक्षा केन्द्र में दिनांक 2 नवंबर 2014 को कर्मचारी चयन आयोग मध्यप्रदेश क्षेत्र रायपुर (छतीसगढ़) परीक्षा आयोजित की गई थी. आरोपी को मोबाइल फोन और इयरफोन से नकल करते हुए पकड़ा गया था.
एकलपीठ के आदेश पर फिर सुनवाई के निर्देश
आवेदन की अंतिम तिथि तक निर्धारित योग्यता का प्रमाण-पत्र नहीं होने के कारण नियुक्ति निरस्त किये जाने को हाईकोर्ट ने विधि संगत करार दिया था. एकलपीठ ने उक्त आदेश के पुननिरिक्षण के लिए हाईकोर्ट में रिव्यू याचिका दायर की गयी थी. रिव्यू याचिका में कहा गया था कि याचिकाकर्ता के पास पहले से निर्धारित योग्यता का प्रमाण-पत्र था. अंक सुधार के लिए वह दूसरी बार परीक्षा में शामिल हुआ था. जस्टिस व्ही के शुक्ला की एकलपीठ ने रिव्यू याचिका स्वीकार करते हुए पूर्व में दायर याचिका पर पुन सुनवाई के निर्देश दिये हैं.