जबलपुर। शिवराज सरकार द्वारा संवैधानिक पदों पर नियुक्तियों को निरस्त करने का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है. मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष आनंद अहिरवार ने सरकार के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर स्टे लिया है. कमलनाथ सरकार ने अपने गिरने के ठीक पहले कई संवैधानिक पदों पर नियुक्तियां कर दी थीं, सभी को अंदाजा था यदि सरकार बदलेगी तो इन नियुक्तियों को खत्म किया जाएगा लेकिन यह शिवराज सरकार के लिए इतना सरल नहीं होगा क्योंकि किसी को भी बिना किसी वजह से नहीं हटाया जा सकता लिहाजा मामला हाई कोर्ट गया है.
प्राथमिक सुनवाई में मिला स्टे
अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष आनंद अहिरवार और सदस्य प्रदीप अहिरवार ने याचिका दायर करते हुए शिवराज सरकार द्वारा उनकी नियुक्तियों को निरस्त किए जाने के फैसले को कठघरे में रखा है. याचिका के माध्यम से उनकी नियुक्तियों को निरस्त करने की प्रक्रिया को असंवैधानिक करार देते हुए उसे निरस्त करने की मांग की गई है. मामले की प्राथमिक सुनवाई करते हुए अदालत ने सरकार द्वारा मध्यप्रदेश अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष आनंद अहिरवार और सदस्य प्रदीप अहिरवार की नियुक्ति निरस्तगी संबंधी आदेश पर स्टे जारी किया है.
कोर्ट ने सरकार से मांगा जबाव
इस साथ ही पूरे मामले मे सरकार से जवाब भी मांगा है. याचिका में तर्क दिया गया है कि आयोग के अध्यक्ष जैसे संवैधानिक पद पर की गई नियुक्ति को सिर्फ एक साधारण आदेश जारी कर रद्द किया गया है, जो गलत है. अध्यक्ष और सदस्य को हटाने के लिए निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना पड़ता है. इसके साथ ही जिस भी कारण से उन्हें पद से हटाया जा रहा है उसकी सुनवाई का भी मौका दिया जाता है. लेकिन किसी भी प्रक्रिया का पालन किए बगैर सत्ता में आते ही संवैधानिक पद पर हुई नियुक्तियों को निरस्त किया गया है.
अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद
मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी. गौरतलब है कि कमलनाथ सरकार ने जाते जाते कई संवैधानिक पदों पर नियुक्तियां की थीं जिनमें मध्यप्रदेश अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष आनंद अहिरवार और सदस्य प्रदीप अहिरवार भी शामिल थे. इन्हें 15 मार्च को नियुक्त किया गया था. फिलहाल हाईकोर्ट का स्टे हो जाने से कानूनी तौर पर अहिरवार आयोग के अध्यक्ष बने रहेंगे.